विनाश या हानि से रक्षा करने के अर्थ में यह क्षत्रिय शब्द सारे भुवनों में प्रसिद्व है।
उपार्जितानां वित्तानां त्याग एव हि रक्षणम् ।
तडागोदरसंस्थानां परिस्राव इवाम्भसाम्॥ -- चाणक्य
कमाए हुए धन को खर्च करना ही उसकी रक्षा है। जैसे तालाब का जल के बहते रहने से ही साफ रहता है। (अगर पानी एक जगह पर लंबे समय तक ठहर जाए तो वो सड़ जाता है और किसी और किसी काम का नहीं रहता। इसी प्रकार धन का प्रवाह भी बना रहना चाहिए।)
कुल की रक्षा के लिए एक मनुष्य का, ग्राम की रक्षा के लिए कुल का, देश की रक्षा के लिए ग्राम का और आत्मा की रक्षा के लिए पृथ्वी का त्याग कर देना चाहिए। -- वेदव्यास
भारत की रक्षा तभी हो सकती है जब इसके साहित्य, इसकी सभ्यता तथा इसके आदर्शों की रक्षा हो। -- पण्डित कृ० रंगनाथ पिल्लयार
सत्य से धर्म की रक्षा होती है। अभ्यास करने से विद्या की रक्षा होती है। शृंगार से रूप की रक्षा होती है। अच्छे आचरण से कुल (परिवार) की रक्षा होती है।
धर्मो रक्षति रक्षितः
जब धर्म की रक्षा की जाती है तो धर्म भी (उसकी रक्षा करने वालों की) रक्षा करता है।
वास्तव में योद्धा के लिए धर्म की रक्षा हेतु युद्ध करने के अतिरिक्त अन्य कोई विकल्प नहीं होता। -- भगवद्गीता
दण्ड द्वारा प्रजा की रक्षा करनी चाहिये लेकिन बिना कारण किसी को दंड नहीं देना चाहिये। -- रामायण
स्वतन्त्रता की रक्षा केवल सैनिकों का काम नहीं है। पूरे देश को मजबूत होना होगा। -- लाल बहादुर शास्त्री
व्याघ्ररहित वन भी काट दिया जाता है। इसलिए व्याघ्र को चाहिये कि वह वन की रक्षा करे और वन को चाहिए कि वह (अपने अन्दर) व्याघ्र को पाले। -- महाभारत
देवता, पशुपालक की भाँति दण्ड लेकर रक्षा नहीं करते। वे जिसकी रक्षा करना चाहते हैं उसे बुद्धि प्रदान कर देते हैं।
जिसके मनन, चिन्तन एवं ध्यान द्वारा संसार के सभी दुखों से रक्षा, मुक्ति एवं परम आनन्द प्राप्त होता है, वही मंत्र है।
चाणक्य कमाए हुए धन को खर्च करना ही उसकी रक्षा है। जैसे तालाब का जल के बहते रहने से ही साफ रहता है।
हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आजादी मिलेगी, हमारे अन्दर उसकी रक्षा करने की ताकत होनी चाहिए। तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा। -- सुभाष चन्द्र बोस
हर जाति या राष्ट्र खाली तलवार से वीर नहीं बनता। तलवार तो रक्षा-हेतु आवश्यक है, पर राष्ट्र की प्रगति को तो उसकी नैतिकता से ही मापा जा सकता है। -- वल्लभभाई पटेल