लाल बहादुर शास्त्री

भारत के पूर्व प्रधानमन्त्री (कार्यकाल: 1964 से 1966 तक) एवं स्वतन्त्रता सेनानी

लाल बहादुर शास्त्री (२ अक्तूबर १९०४ - ११ जनवरी १९६६) भारत देश के द्वितीय प्रधानमंत्री थे।

लाल बहादुर शास्त्री।

उद्धरण

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  • जय जवान, जय किसान।
  • अगर एक आदमी भी बोल दे की वो छुआछूत से पीड़ित है, तो भारत को शर्म से सर झुका देना चाहिए।
  • अनुशासन और एकता ही किसी देश की ताकत होती है।
  • आज़ादी की रक्षा केवल सैनिकों का काम नहीं है। पूरे देश को मजबूत होना होगा।
  • आजादी की रक्षा सिर्फ हमारे देश के सैनिको का काम नहीं है इसकी रक्षा के लिए पूरे देश को मजबूत होना पड़ेगा।
  • आर्थिक मुद्दे हमारे लिए सबसे जरूरी हैं, जिससे हम अपने सबसे बड़े दुश्मन 'गरीबी' और 'बेरोजगारी' से लड़ सकें।
  • इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारे पास बड़ी परियोजनाएं, बड़े उद्योग, बुनियादी उद्योग हैं, लेकिन यह सबसे महत्वपूर्ण है कि हम आम आदमी को देखें, जो समाज का सबसे कमजोर तत्व है।
  • उसकी जाति, रंग या नस्ल जो भी हो, हम एक व्यक्ति के रूप में मनुष्य की गरिमा में और उसके बेहतर, संपूर्ण और समृद्ध जीवन के लिए उसके अधिकार पर विश्वास करते हैं।
  • कानून का सम्मान किया जाना चाहिए ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे और हमारा लोकतंत्र भी मजबूत बने।
  • जब स्वतंत्रता और देश की अखंडता खतरे में हो तो पूरी शक्ति से उस चुनौती का मुकाबला करना सभी का एकमात्र कर्तव्य होता है और इसके लिए किसी भी प्रकार के बलिदान के लिए भी एक साथ मिलकर तैयार रहना होगा।
  • जो शासन करते हैं, उन्हे देखना चाहिए कि लोग प्रशासन पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं। अंततः जनता ही मुखिया होती है।
  • देश की तरक्की के लिए हमें आपस में लड़ने के बजाय गरीबी, बिमारी और अज्ञानता से लड़ना होगा।
  • देश की ताकत और मजबूती के लिए सबसे जरूरी काम है लोगों में एकता स्थापित करना।
  • देश के प्रति निष्ठा सभी निष्ठाओं से पहले आती है और यह पूर्ण निष्ठा है क्योंकि इसमें कोई प्रतीक्षा नहीं कर सकता कि बदले में उसे क्या मिलता है।
  • दोनों देशों की आम जनता की समस्याएं, आशाएं और आकांक्षाएं एक समान है। उन्हे लड़ाई-झगड़ा और गोला-बारूद नहीं , बल्कि रोटी, कपड़ा और मकान की आवश्यकता है।
  • भ्रष्टाचार को पकड़ना बहुत कठिन काम है लेकिन मैं पूरे जोर के साथ कहता हूं कि यदि हम इस समस्या से गंभीरता और दृढ़ संकल्प के साथ नहीं निपटते हैं तो हम अपने कर्तव्यों का निर्वाह करने में असफल होंगे।
  • मुझे ग्रामीण क्षेत्रों में एक मामूली कार्यकर्ता के रूप में लगभग पचास वर्ष तक कार्य करना पड़ा है, इसलिए मेरा ध्यान स्वत: ही उन लोगों की ओर तथा उन क्षेत्रों के हालात पर चला जाता है। मेरे दिमाग में यह बात आती है कि सर्वप्रथम उन लोगों को राहत दी जाए । हर रोज हर समय मैं यही सोचता हूं कि उन्हे किस प्रकार से राहत पहुंचाई जाए।
  • मेरी समझ से प्रशासन का मूल विचार यह है कि समाज को एकजुट रखा जाये ताकि वह विकास कर सके और अपने लक्ष्‍यों की तरफ बढ़ सके।
  • मैं किसी दूसरे को सलाह दूं और मैं खुद उस पर अमल ना करू तो मैं असहज महसूस करता हूँ।
  • मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूँ कि बल का बल से सामना होगा और हमारे खिलाफ़ आक्रामकता कभी भी सफ़ल नहीं होने दी जायेगी।
  • यदि कोई भी व्यक्ति हमारे देश में अछूत कहा जाता है तो भारत को अपना सर शर्म से झुकाना पड़ेगा।
  • यदि पाकिस्तान का हमारे देश के किसी भी हिस्से को हड़पने का इरादा है, तो उसे नए सिरे से सोचना चाहिए। मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूँ कि बल का बल से सामना होगा और हमारे खिलाफ़ आक्रामकता कभी भी सफ़ल नहीं होने दी जायेगी।
  • यदि मैं एक तानाशाह होता तो धर्म और राष्ट्र अलग-अलग होते। मैं धर्म के लिए जान तक दे दूंगा, लेकिन यह मेरा निजी मामला है राज्य का इससे कुछ लेना देना नहीं है। राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष, कल्याण, स्वास्थ्य, संसार, विदेशी संबंधों, मुद्रा इत्यादि का ध्यान रखेगा। लेकिन मेरे या आपके धर्म का नहीं, वो सबका निजी मामला है।
  • यदि हम लगातार लड़ते रहेगे तो हमारी ही जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा, हमे लड़ने के बजाय गरीबी, बीमारी और अशिक्षा से लड़ना चाहिए।
  • लोगों को सच्चा लोकतंत्र और स्वराज कभी भी हिंसा और असत्य से प्राप्त नहीं हो सकता।
  • विज्ञान और वैज्ञानिक कार्यों में सफलता असीमित या बड़े संसाधनों का प्रावधान करने से नहीं मिलती बल्कि यह समस्याओं और उद्दश्यों को बुद्धिमानी और सतर्कता से चुनने से मिलती है और सबसे बढ़कर जो चीज चाहिए वो है निरंतर कठोर परिश्रम।
  • शासन के मूल विचार, जैसा कि मैंने इसे देखा है, समाज में एकता रखनी है ताकि वह अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ सके और आगे बढ़ सके।
  • सच्चा लोकतंत्र या स्वराज कभी भी असत्य और हिंसक साधनों से नहीं आ सकते हैं।
  • हम उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के अंत के लिए पूर्ण समर्थन देना अपना नैतिक कर्तव्य समझेंगे, ताकि हर जगह लोग अपने भाग्यनिर्माण के लिए स्वतंत्र हों।
  • हम केवल दुनिया में केवल तभी सम्मान पा सकते हैं अगर हम आंतरिक रूप से मजबूत हैं और हमारे देश से गरीबी और बेरोजगारी को खत्म कर दे।
  • हम न केवल अपने लिए बल्कि दुनिया भर के लोगों के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास करते हैं।
  • हम भले ही अपने देश की आजादी चाहते हैं, लेकिन उसके लिए ना ही हम किसी का शोषण करेंगे और ना ही दूसरे देशों को नीचा दिखाएंगे। मैं अपने देश की स्वतंत्रता कुछ इस प्रकार चाहता हूं कि दूसरे देश उससे कुछ सीख सकें और देश के संसाधनों को मानवता के लाभ के लिए प्रयोग में ले सकें।
  • हम सभी को अपने-अपने क्षेत्रों में उसी समर्पण, उसी उत्साह और उसी संकल्प तथा उसी भावना के साथ काम करना होगा जो रणभूमि में एक योद्धा को प्रेरित और उत्साहित करती है। और यह सिर्फ बोलना नहीं है, बल्कि वास्तविकता में कर के दिखाना है।
  • हम स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं, प्रत्येक देश के लोगों के लिए आजादी, बाहरी हस्तक्षेप के बिना, अपने खुद की नियति बनाने के लिए स्वतंत्रता।
  • हमारा रास्ता सीधा और स्पष्ट है। अपने देश में सबके लिए स्वतंत्रता और संपन्नता के साथ समाजवादी लोकतंत्र की स्थापना और अन्य सभी देशों के साथ विश्व शांति और मित्रता का संबंध रखना।
  • हमारी ताकत और मजबूती के लिए सबसे जरूरी काम है, लोगों में एकता स्थापित करना।
  • हमारे देश की अनोखी बात यह है कि हमारे यहाँ हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख, पारसी और अन्य सभी धर्मों के लोग रहते हैं। हमारे यहाँ मंदिर और मस्जिद, गुरुद्वारे और चर्च हैं। लेकिन हम यह सब राजनीति में नहीं लाते हैं। भारत और पाकिस्तान के बीच यही अंतर है।
  • हमें उन कठिनाइयों पर विजय पानी है जो हमारे सामने आती हैं और हमारे देश की खुशी और समृद्धि के लिए दृढ़ता से काम करना चाहिए।
  • हमें एक साथ मिलकर किसी भी प्रकार के अपेक्षित बलिदान के लिए दृढ़तापूर्वक तत्पर रहना है।
  • हमें शांति के लिए उतनी ही बहादुरी से लड़ना चाहिए, जितना हम युद्ध में लड़ते हैं।
  • हर कार्य की अपनी एक गरिमा है और हर कार्य को अपनी पूरी क्षमता से करने में ही संतोष प्राप्त होता है।
  • हर राष्ट्र के जीवन में एक समय आता है जब वह इतिहास के क्रॉस-रोड पर खड़ा होता है और उसे चुनना होता है कि किस रास्ते पर जाना है। लेकिन हमारे लिए कोई कठिनाई या झिझक की आवश्यकता नहीं है, कोई दाईं या बाईं ओर नहीं है। हमारा रास्ता सीधा और स्पष्ट है – सभी के लिए स्वतंत्रता और समृद्धि के साथ-साथ एक समाजवादी लोकतंत्र का निर्माण, और विश्व के सभी देशों के साथ शांति और दोस्ती।

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