भारत
भारत (आधिकारिक नाम: भारत गणराज्य) दक्षिण एशिया में स्थित भारतीय उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा देश है।
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- उत्तरं यत् समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम् ।
- वर्षं तद् भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः ॥ -- विष्णु पुराण २.३.१
- समुद्र के उत्तर में और हिमालय के दक्षिण में जो देश है उसे भारत कहते हैं तथा उसकी संतानों (नागरिकों) को भारती कहते हैं।
- गायन्ति देवाः किल गीतकानि धान्यास्तु ये भारतभूमिभागे।
- स्वर्गापवर्गास्पदहेतुभूते भवन्ति भूयः पुरुषाः सुरत्वात्।। -- विष्णुपुराण (२।३।२४)
- देवता गीत गाते हैं कि स्वर्ग और अपवर्ग की मार्गभूत भारत भूमि के भाग में जन्मे लोग देवताओं की अपेक्षा भी अधिक धन्य हैं। अर्थात् स्वर्ग और अपवर्ग (मोक्ष-कैवल्य) के मार्ग स्वरूप भारत-भूमि को धन्य धन्य कहते हुए देवगण इसका शौर्य-गान गाते हैं। यहां पर मनुश्य जन्म पाना देवत्व पद प्राप्त करने से भी बढकर है।
- एतद्देशप्रसूतस्य सकासादग्रजन्मनः ।
- स्व स्व चरित्रं शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्व मानवाः ॥ -- मनु
- पुराने काल में, इस देश ( भारत ) में जन्में लोगों के सामीप्य द्वारा ( साथ रहकर ) पृथ्वी के सब लोगों ने अपने-अपने चरित्र की शिक्षा ली ।
- भारत में सब भिन्न अति, ताहीं सों उत्पात।
- विविध देस मतहू विविध, भाषा विविध लखात॥ -- भारतेंदु हरिश्चंद्र
- भू-लोक का गौरव प्रकृति का पुण्य लीला-स्थल कहाँ ?
- फैला मनोहर गिरी हिमालय और गंगाजल जहाँ ।
- सम्पूर्ण देशों से अधिक किस देश का उत्कर्ष है,
- उसका कि जो ऋषिभूमि है, वह कौन ? भारत वर्ष है॥१५॥
- हाँ, वृद्ध भारतवर्ष ही संसार का सिरमौर है,
- ऐसा पुरातन देश कोई विश्व में क्या और है ?
- भगवान की भव-भूतियों का यह प्रथम भण्डार है,
- विधि ने किया नर-सृष्टि का पहले यहीं विस्तार है॥१६॥
- यह पुण्य भूमि प्रसिद्ध है, इसके निवासी 'आर्य्य' हैं;
- विद्या, कला-कौशल्य सबके, जो प्रथम आचार्य्य हैं ।
- सन्तान उनकी आज यद्यपि, हम अधोगति में पड़े;
- पर चिन्ह उनकी उच्चता के, आज भी कुछ हैं खड़े॥१७॥ -- मैथिलीशरण गुप्त (भारत-भारती से)
- मस्तक ऊँचा हुआ मही का, धन्य हिमालय का उत्कर्ष।
- हरि का क्रीड़ा-क्षेत्र हमारा, भूमि-भाग्य-सा भारतवर्ष॥
- हरा-भरा यह देश बना कर विधि ने रवि का मुकुट दिया,
- पाकर प्रथम प्रकाश जगत ने इसका ही अनुसरण किया।
- प्रभु ने स्वयं 'पुण्य-भू' कह कर यहाँ पूर्ण अवतार लिया,
- देवों ने रज सिर पर रक्खी, दैत्यों का हिल गया हिया!
- लेखा श्रेष्ट इसे शिष्टों ने, दुष्टों ने देखा दुर्द्धर्ष!
- हरि का क्रीड़ा-क्षेत्र हमारा, भूमि-भाग्य-सा भारतवर्ष॥ -- मैथिलीशरण गुप्त (मंगलघट पुस्तक के 'भारतवर्ष' शीर्षक से)
- यूनान मिश्र रोमां सब मिट गये जहाँ से ।
- अब तक मगर है बाकी , नाम-ओ-निशां हमारा ॥
- कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी ।
- शदियों रहा है दुश्मन , दौर-ए-जहाँ हमारा ॥ -- मुहम्मद इक़बाल
- भारत वस्तुतः विश्व पुरुष की कुंडलिनी शक्ति है। जब भारत जागृत होगा तो विश्व पुरुष का दिवता में रूपान्तरण हो जाएगा। अगर भारत सो गया , न जागा तो विश्व-मानवता ही समाप्त हो जाएगी। -- श्री अरविन्द
- मैं भौगोलिक मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करता हूँ। मेरा भरत जड़ भारत नहीं है , अपितु वह ज्ञानलोक है , जिसका आविर्भाव ऋषियों की आत्मा में हुवा है। -- गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर
- अगर कोई देश है जो मानवता के लिए पूर्ण और आदर्श है, तो एशिया की ओर ऊँगली उठाऊंगा जहाँ भारत है। -- मैक्समूलर
- यदि मुझसे पूछा जाये कि किस आकाश के नीचे मानवीय मस्तिष्क ने अपने कुछ चुनिन्दा उपहारों को विकसित किया है, जीवन की सबसे बड़ी समस्याओं पर गहन विचार किया है और उनके हल निकाले है, तो मैं भारत की तरफ़ इशारा करूँगा। -- मैक्स मूलर
- भारत मानवता का पलना है। इसके ऊंचे हिमालय से ज्ञान-विज्ञानं की सरिताएँ निकली हैं। सृष्टि की उषा में इसका आंगन ज्ञान से आलोकित हुवा था। मैं भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि भारत का अतीत मेरी मातृभूमि के भविष्य में बदल जाए। -- जैको लाइट ने ' बाइबिल इन इण्डिया ' में
जब तुम भारत के सान्निध्य में आओगे तो तुम्हें अनश्वर शांति का दिव्य मार्ग मिलेगा।
- अमेरिकी इतिहासकार विल डूरण्ट ('सभ्यताओं का इतिहास' में)
भारत हमारी सम्पूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है। भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है, अरबों के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है, बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है, ग्रामीण समाज के रास्ते स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है। अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है।
- — विल्ल डुरान्ट , अमरीकी इतिहासकार
भारत हमें एक परिपक्व मन की सहिष्णुता और नम्रता, भावनाओं को समझान और समेकक करना , और सभी मनुष्यों को प्रेम से संतुष्ट करना सिखाएगा।
- – विल ड्यूरैंट
हम भारतीयों के बहुत ऋणी हैं जिन्होने हमे गिनना सिखाया, जिसके बिना कोई भी मूल्यवान वैज्ञानिक खोज सम्भव नही होती।
- — अलबर्ट आइन्स्टीन
जब यूरोप के लोग भरतीय दर्शन के सम्पर्क में आयेंगे तो उनके विचार और आस्थाएँ बदलेंगी। वे बदले हुवे लोग यूरोप के विचारों और विश्वास को प्रभावित करेंगे। आगे चलकर यूरोप में ही ईसाई-धर्म को संकट उत्पन्न हो जाएगा।
- प्रसिद्ध दार्शनिक शापेन हावर
भारत मानव जाति का पलना है , मानव-भाषा की जन्मस्थली है , इतिहास की जननी है , पौराणिक कथाओं की दादी है, और प्रथाओं की परदादी है। मानव इतिहास की हमारी सबसे कीमती और सबसे ज्ञान-गर्भित सामग्री केवल भारत में ही संचित है।
- — मार्क ट्वेन
यदि इस धरातल पर कोई स्थान है जहाँ पर जीवित मानव के सभी स्वप्नों को तब से घर मिला हुआ है जब मानव अस्तित्व के सपने देखना आरम्भ किया था , तो वह भारत ही है।
- — फ्रान्सीसी विद्वान रोमां रोला
भारत अपनी सीमा के पार एक भी सैनिक भेजे बिना चीन को जीत लिया और लगभग बीस शताब्दियों तक उस पर सांस्कृतिक रूप से राज किया।
- — हू शिह , अमेरिका में चीन के भूतपूर्व राजदूत
दुनिया में कुछ ऐसी जगहें है जहाँ एक बार जाने पर वो आपके हृदय में बस जाती हैं और कभी निकलती नहीं. मेरे लिए, भारत एक ऐसी जगह हैं।
- – कीथ बेल्लोज
वेदों से हम सर्जरी, चिकित्सा, संगीत, घर बनाना, जिसमे यंत्रीकृत कला शामिल है ; की व्यवहारिक कला सीखते हैं। वे जीवन के हर एक पहलू , संस्कृति, धर्म, विज्ञान, नैतिकता, कानून, ब्रह्माण्ड विज्ञान और मौसम विज्ञान के विश्वकोश हैं।
- – विलियम जेम्स
एक अरब वर्ष पुराने जीवाश्म साबित करते हैं की जीवन की शुरुआत भारत में हुई थी।
- – ऐ. ऍफ़. पी. वाशिंगटन
कुछ सन्दर्भों में प्राचीन भारत की न्यायिक प्रणाली सैद्धान्तिक रूप से हमारी आज की न्यायिक प्रणाली से उन्नत थी।
- (In some respects the judicial system of ancient India was theoretically in advance of our own today.)
- – जॉन डब्ल्यू स्पेलमैन (John W. Spellman)