रबीन्द्रनाथ टैगोर

भारतीय बंगला-साहित्यकार, दार्शनिक एवं गीतकार (1861-1941)
(रवीन्द्रनाथ ठाकुर से अनुप्रेषित)

रवीन्द्रनाथ ठाकुर (७ मई १८६१ – ७ अगस्त १९४१) को गुरुदेव के नाम से भी जाना जाता है। वे विश्वविख्यात कवि, साहित्यकार, दार्शनिक और भारतीय साहित्य के एकमात्र नोबेल पुरस्कार विजेता हैं।

रवीन्द्रनाथ ठाकुर

उद्धरण

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  • मिट्टी से मुक्त हो जाना पेड़ के लिए आजादी नही होती।
  • यदि आप गलतियों के लिए अपने दरवाजे बंद करते है तो सत्य अपने आप बाहर आ जायेगा।
  • फूल को तोड़कर आप उनकी खूबसूरती को इक्कठा नही कर सकते।
  • जो दूसरो की भलाई के लिए हमेसा व्यस्त रहते है वे अक्सर अपने लिए समय नही निकाल पाते हैं।
  • उच्च शिक्षा के जरिये सिर्फ जानकारी ही नही प्राप्त कर सकते है बल्कि जीवन कैसे आसान हो और कैसे सफल बने इसका मार्ग प्रशस्त्र करती है।
  • कर्म करते हुए हमेसा आगे बढ़ते रहिये और फल के लिए व्यर्थ चिंता नही करिए और किया हुआ परिश्रम कभी व्यर्थ नही जाता है।
  • हम हमेसा यह प्रार्थना ना करे की हमारे ऊपर कभी भी किसी प्रकार की कोई बाधा या दिक्कत आये बल्कि हमे ईश्वर से यही प्रार्थना करें कि हम उन दुखों का निडरता से उनका सामना करें।
  • हमें आजादी तभी मिलती है जब हम इसकी कीमत चुका देते हैं।
  • प्रसन्न रहना सरल है लेकिन सरल रहना यह बहुत ही कठिन है।
  • खड़े होकर सिर्फ समुद्र के पानी को देखने से आप समुद्र पार नही करते हैं। इसके लिए हमे खुद को आगे बढ़ाना है।
  • मनुष्य की सेवा भी ईश्वर की सेवा है।
  • तथ्य अनेक हो सकते है लेकिन सच्चाई हमेसा एक ही होती है।
  • कला के जरिये व्यक्ति खुद की पहचान उजागर करता है वस्तुओं की नहीं।
  • आस्था वह पक्षी है जो अँधेरे में भी उजाले की शक्ति महसूस करती है।
  • प्रत्येक शिशु जन्म लेकर यही संदेश लेकर आता है की ईश्वर अभी भी मनुष्यों से निराश नही हुआ है।
  • मित्रता की गहराई सिर्फ उसके परिचय पर निर्भर नही करती है।
  • फूल भले ही अकेला होता है लेकिन काँटों से कभी भी इर्ष्या नही करता।
  • मूर्ति का टूटकर धूल में मिल जाना यह दिखलाता है ईश्वर के धूल की कीमत आपके मूर्ति से कही अधिक है।
  • हम दुनिया में तभी जीते हैं जब दुनिया से प्रेम करते हैं।
  • जब खुद पर हसता हु तो मेरे ऊपर का बोझ कम हो जाता है।
  • यदि आप कठिनाई से मुह मोडकर भागते हैं तो यही स्वप्न बनकर आपके नीद में बाधा डालती है।
  • किसी बच्चे की शिक्षा सिर्फ अपने समय तक मत रखिये क्योंकि उसका जन्मकाल और आपका जन्मकाल दोनों में बहुत अन्तर है।
  • पृथ्वी द्वारा स्वर्ग से बातचीत करने का माध्यम होते हैं ये पेड़।
  • तितली महीने नही बल्कि प्रति क्षण की गिनती करती है जिसके कारण उसके पास पर्याप्त समय होता है।
  • हम महानता के सबसे नजदीक तब होते है जब हम विनम्र होते है।
  • मौत प्रकाश को खत्म नही करता बल्कि यह दिखलाता है सुबह हो गयी है अब दीपक बुझाना है।
  • प्रेम का स्वप्न आने के बाद भी आप की नीद नही खुलती तो आपका जीवन धिक्कार है।
  • जो पत्तियों से वृक्ष लदा होता है उसमे फल मुश्किल से ही आते है
  • जीवन हमे ईश्वर द्वारा दिया गया है जिसे हम कमाते है।
  • प्रेम कभी भी अधिकार नही जताता है बल्कि यह जीने की स्वतंत्रता देता है
  • संगीत दो आत्माओ के बीच की दुरी को खत्म कर देता है।
  • उपदेश देना तो बहुत आसान है लेकिन उपाय बताना बहुत ही कठिन।
  • जो कुछ भी हमारा होता है वह हमारे पास जरुर आता है क्युकी हम उसे ग्रहण करने की क्षमता रखते है।
  • जो मन की पीड़ा को दुसरो से नही बता पाते उन्हें ही गुस्सा सबसे अधिक आता है।
  • जिस तरह घोसला सोते हुए पक्षी को आश्रय देता है ठीक उसी तरह मौन हमारी वाणी को आश्रय देता है।
  • विद्यालय वह कारखाने है जिनमे महापुरुषों का निर्माण होता है जिनमे अध्यापक कारीगर होते है।
  • बर्तन में रखा पानी चमकता है जबकि समुद्र का पानी अस्पष्ट होता है यानी छोटे सत्य तो आसानी से बताये जा सकते है जबकि महान सदैव मौन ही रहता है।
  • ईश्वर भले ही बड़े बड़े साम्राज्य से उब जाता है लेकिन छोटे छोटे फूलो से कभी रुष्ट नही होता है।
  • धूल अपना अपमान सहने की क्षमता रखती है और बदले में फूलो का उपहार देती है।
  • यदि हमारे अन्दर प्रेम नही हो तो यह दुनिया हमे कारागार ही लगती है।


  • आयु सोचती है, जवानी करती है।
  • पंखुडियां तोड़ कर आप फूल की खूबसूरती नहीं इकठ्ठा करते।
  • मिटटी के बंधन से मुक्ति पेड़ के लिए आज़ादी नहीं है
  • जो कुछ हमारा है वो हम तक आता है; यदि हम उसे ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं।
  • मंदिर की गंभीर उदासी से बाहर भागकर बच्चे धूल में बैठते हैं, भगवान् उन्हें खेलता देखते हैं और पुजारी को भूल जाते हैं।
  • मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है; ये सिर्फ दीपक को बुझाना है क्योंकि सुबह हो गयी है।
  • हर बच्चा इसी सन्देश के साथ आता है कि भगवान अभी तक मनुष्यों से हतोत्साहित नहीं हुआ है
  • मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती।
  • जो कुछ हमारा है वो हम तक तभी पहुचता है जब हम उसे ग्रहण करने की क्षमता विकसित करते हैं।
  • वे लोग जो अच्छाई करने में बहुत ज्यादा व्यस्त होते है, स्वयं अच्छा होने के लिए समय नहीं निकाल पाते।
  • मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है; ये सिर्फ दीपक को बुझाना है क्योंकि सुबह हो गयी है।
  • मित्रता की गहराई परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती।
एकला चलो रे
चल तू अकेला!
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला,
चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला!
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो चल तू अकेला,
जब सबके मुंह पे पाश..
ओरे ओरे ओ अभागी! सबके मुंह पे पाश,
हर कोई मुंह मोड़के बैठे, हर कोई डर जाय!
तब भी तू दिल खोलके, अरे! जोश में आकर,
मनका गाना गूंज तू अकेला!
जब हर कोई वापस जाय..
ओरे ओरे ओ अभागी! हर कोई बापस जाय..
कानन-कूचकी बेला पर सब कोने में छिप जाय...

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