भारतीय संस्कृति

भारतीय संस्कृति

भरतीय संस्कृति या भारत की संस्कृत से आशय भारतीय उपमहाद्वीप में उत्पन्न या भारतीय महाद्वीप से सम्बद्ध सामाजिक विचारों, धार्मिक मूल्यों, प्रथाओं, परम्परओं, दर्शन, राजनैतिक प्रणाली, शिल्पकलाओं और प्रौद्योगिकी आदि से है। इसे 'भारतीय सभ्यता' भी कहते हैं।

संस्कृति के लिये "सम्यक् कृतिः संस्कृतिः" अथवा "संस्कृतिः संस्करणम्" इत्यादि व्युत्पत्ति प्राप्त होती है। सम् उपसर्ग पूर्वक (डु)कृ(ञ्) करणे धातु से पाणिनि के "स्त्रियां क्तिन्" सूत्र से क्तिन् प्रत्यय होकर संस्कृति शब्द की उत्पत्ति होती है। यही संस्कृति शब्द आगे अर्थान्तर से संस्कार शब्द बन जाता है।

प्राचीनतम संस्कृति का जहाँ भी उल्लेख होता है वहाँ भारतीय संस्कृति का नाम बड़े आदर से लिया जाता है। भारत की संस्कृति न केवल प्राचीन है अपितु विशाल और महान भी है।


  • यद्यपि पूर्व से पश्‍चिम की ओर बढ़ने पर, सभ्‍यता के चार मुख्‍य उद्गम केंद्र, चीन, भारत, फर्टाइल क्रीसेंट तथा भूमध्‍य सागरीय प्रदेश, विशेषकर यूनान और रोम हैं, भारत को इसका सर्वाधिक श्रेय जाता है क्‍योंकि इसने एशिया महादेश के अधिकांश प्रदेशों के सांस्‍कृतिक जीवन पर अपना गहरा प्रभाव डाला है। इसने प्रत्‍यक्ष ओर अप्रत्‍यक्ष रूप से विश्‍व के अन्‍य भागों पर भी अपनी संस्‍कृति की गहरी छाप छोड़ी है। -- डा. ए एल बाशम , 'भारत का सांस्‍कृतिक इतिहास' नामक लेख में
  • भारतीय संस्कृति का सबसे बड़ा योगदान अहिंसा का सिद्धान्त है। -- महात्मा गांधी
  • भारतीय संस्कृति, ग्रीक संस्कृति की अपेक्षा अधिक विस्तृत, सूक्ष्म, बहुपक्षीय, जिज्ञासु और गहरी है; यह रोमन संस्कृति की अपेक्षा अधिक श्रेष्ठ और मानवीय है; इजिप्ट की पुरातन संस्कृति की तुलना में अधिक विस्तृत तथा आध्यात्मिक है; किसी भी एशियाई सभ्यता की तुलना में अधिक विशाल एवं मौलिक है; १८वीं शताब्दी से पूर्व के यूरोपीय संस्कृति की तुलना में अधिक बुद्धिवादी है। इन संस्कृतियों की सभी अच्छी बातॉं के अलावा भी भारतीय संस्कृति में बहुत कुछ है। भारतीय संस्कृति सभी प्राचीन संस्कृतियों की तुलना में अधिक शक्तिशली, अधिक परिपूर्ण, अधिक प्रेरक और अधिक प्रभवकारी है। -- महर्षि अरविन्द, १९६४ में भारतीय विद्या भवन द्वारा आयोजित 'भारत का सन्देश और लक्ष्य' कार्यक्रम में।
  • हिन्दू संस्कृति आध्यात्मिकता की अमर आधारशिला पर निर्मित है। -- स्वामी विवेकानन्द
  • उपासना, मत और ईश्वर सम्बन्धी विश्वास की स्वतंत्रता भारतीय संस्कृति की परम्परा रही है। -- अटल बिहारी वाजपेयी
  • भारतीय सभ्यता और संस्कृति की विशालता और उसकी महत्ता तो सम्पूर्ण मानव के साथ तादात्म्य स्थापित करने अर्थात् ‘वसुधैव कुटुम्बकम्‘ की पवित्र भावना में निहित है। -- मदनमोहन मालवीय
  • भारत की एकता का मुख्य आधार एक संस्कृति है, जिसका प्रवाह कहीं नहीं टूटा। यही इसकी विशेषता है। भारतीय एकता अक्षुण्ण है क्योंकि भारतीय संस्कृति की धारा निरन्तर बहती रही है और बहेगी। -- मदनमोहन मालवीय
  • भारतीय संस्कृति जीवन के रस का तिरस्कार नहीं हैं, नकार नहीं है, पर एक अलग ढंग का स्वीकार है। भारतीय संस्कृति जीवन को केवल भोग्य रुप में ही नहीं देखती; वह जीवन को भोक्ता के रुप में भी देखती है; बल्कि ठीक-ठीक कहें तो जीवन को भाव के रुप में, अव्यय भाव के रुप में, न चुकने वाले भाव के रुप में देखती है; अंग-अंग कट जाय, तब भी मैदान न छूटे -ऐसे सूरमा के भाव के रूप में देखती है। इस जीवन में मृत्यु नहीं होती, होती भी है तो वह जीवन का पुनर्नवीकरण के रुप में होती है। -- विद्यानिवास मिश्र
  • यूनान ओ मिस्र ओ रूमा सब मिट गए जहाँ से
अब तक मगर है बाक़ी नाम-ओ-निशाँ हमारा
कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी
सदियों रहा है दुश्मन दौर-ए-ज़माँ हमारा --- अल्लामा इक़बाल

बाहरी कड़ियाँ

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