• राजा प्राङ्विवाको ब्राह्मणो वा शास्त्रवित्॥ -- गौतमधर्मसूत्र, अध्याय-४, सूत्र-२६
राजा स्वयं ही न्यायकर्ता (पूछने के बाद विचारकर न्याय करने वाला) बने या किसी शास्त्रज्ञ ब्राह्मण को न्यायकर्ता बनाये।
  • यद्वा स्वयं न कुर्यात्तु नृपतिः कार्यनिर्णयम्।
तदा नियुञ्ज्याद्विद्वांसं ब्राह्मणं कार्यनिर्णये ॥ -- मनुस्मृति ८,९
यदि राजा स्वयं कार्यनिर्णय न कर रहा हो तो उसे किसी विद्वान ब्राह्मण को कार्यनिर्णय में लगाना चाहिये।
  • न्यायधीश को तीक्ष्ण बुद्धि होने, अधिक योग्य, प्रदर्शनीय होने, सम्मानित और पूर्ण विश्वस्त होने के बजाय अधिक विचारपूर्ण होना चाहिए। इससे भी ऊपर ईमानदारी और सच्चाई उनका असली गुण हैं। -- फ़्रांसिस बेकन

इन्हें भी देखें

सम्पादन