Ajit verma
प्रस्तावना
Ajit verma जी इस समय आप विकिमीडिया फाउण्डेशन की परियोजना हिन्दी विकिसूक्ति पर हैं। हिन्दी विकिसुक्ति एक मुक्त सु-उक्ति संग्रह है, जो ज्ञान को बाँटने एवं उसका प्रसार करने में विश्वास रखने वाले दुनिया भर के योगदानकर्ताओं द्वारा लिखा जाता है। विकिसूक्ति पर सु-उक्तियाँं, महानुभावो एवम महा पुरुषो के विविध विषयों पर वाक्य, प्रसिद्ध अंतिम शब्द, काव्य, मुहावरे या तो जो भी लोगो में आम तौर पर बोला जाता है और उपयोगी है ऍसी उक्तिओ को यहाँ लिखके और द्रश्य-श्राव्य माध्यम में रख़ा जाता है। महान पुरुषो के उच्च विचार पथदर्शक बन सकते है। इस समय इस परियोजना में ५,०७२ पंजीकृत सदस्य हैं। हमें खुशी है कि आप भी इनमें से एक हैं। विकिसूक्ति से सम्बन्धित कई प्रश्नों के उत्तर आप को अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों में मिल जायेंगे। हमें आशा है आप इस परियोजना में नियमित रूप से शामिल होकर हिन्दी भाषा में ज्ञान को संरक्षित करने में सहायक होंगें। धन्यवाद।
विकिनीतियाँ, नियम एवं सावधानियाँ
विकिसूक्ति के सारे नीति-नियमों का सार इसके पाँच स्तंभों में है। इसके अलावा कुछ मुख्य ध्यान रखने हेतु बिन्दु निम्नलिखित हैं:
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विकिसूक्ति में कैसे योगदान करें?
विकिसूक्ति में योगदान देने के कई तरीके हैं। आप किसी भी विषय पर उक्तिओ का संग्रह बनाना शुरू कर सकते हैं। यदि उस विषय पर पहले से लेख बना हुआ है, तो आप उस में कुछ और जानकारी जोड़ सकते हैं। आप पूर्व बने हुए लेखों की भाषा सुधार सकते हैं। आप उसके प्रस्तुतीकरण को अधिक स्पष्ट और सूक्ति संग्रह के अनुरूप बना सकते हैं। आप उसमें साँचे, संदर्भ, श्रेणियाँ, चित्र आदि जोड़ सकते हैं। योगदान से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण कड़ियाँ निम्नलिखित हैं:
अन्य रोचक कड़ियाँ
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(यदि आपको किसी भी तरह की सहायता चाहिए तो विकिसूक्ति:चौपाल पर चर्चा करें। आशा है कि आपको विकिसूक्ति पर आनंद आएगा और आप विकिसूक्ति के सक्रिय सदस्य बने रहेंगे!) |
मैं गुरु पे लिखू उस काबिल हुआ नही हु
सम्पादनमै आज कोई कविता नहीं , ज़िन्दगी की सच्चाई लिख रहा हु | मुझे इंसान बनाने वालो के , योगदान लिख रहा हु ||
राह पिता ने दिखाया , तो चलना माँ ने सिखाया है | अच्छे बुरे का फर्क देखो , क्या बखूबी सिखाया है ||
भाई ने लिखना सिखाया , तो बहन ने पढ़ना सिखाया है | मुझ जैसे जाहिल को , उठने - बैठने का सलीका सिखाया है ||
किताबों से जो उलझा , तो शिक्षक ने हाथ थामा है | मेरी गलतियों पे ना जाने , कितनी दफा फटकार लगाया है ||
इन् फटकारो ने , आज मुझे इस काबिल बनाया है | या एषु सुप्तेषु जाग्रति , का मुझे पाठ पढ़ाया है ||
मुझे माफ़ करना मै आज कोई कविता नहीं लिख सकता क्यूंकि...
मैं गुरु पे लिखू , मैं उतना बड़ा हुआ नही हु | चंद लफ़्ज़ों में समेट दू , मैं अभी उस काबिल हुआ नही हु || Ajit verma (वार्ता) ०१:५५, १९ सितम्बर २०२० (IST)
अधजली राख है ज़िन्दगी
सम्पादनअधजली राख है ज़िन्दगी , अब तो बस हवाओ का इंतज़ार है ! अब तक काफिर हूँ मै , मुझे पन्हावो का इंतज़ार है ! Ajit verma (वार्ता) ०२:०८, १९ सितम्बर २०२० (IST)