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- १०:५१, २१ मई २०२२ दण्ड (इतिहास | सम्पादन) [२,८१५ बाइट] अनुनाद सिंह (चर्चा | योगदान) ('* ''यथावयो यथाकालं यथा प्राणंच ब्राह्मणे। : ''प्रायश्चितं प्रदातव्यंब्राह्मणैर्धर्धपाठकैः। : ''येन शुध्ददर्वाप्नोश्चत न च प्राणैश्चवधयुज्यते। : ''आश्चतिंवा र्हतीं य...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
- १२:१९, २३ अप्रैल २०२२ आर्य (इतिहास | सम्पादन) [३,८१८ बाइट] अनुनाद सिंह (चर्चा | योगदान) ('* ''नार्या म्लेच्छन्ति भाषाभिर्मायया न चरन्त्युत।'' -- महाभारत, सभापर्व 59.11 : आर्य कभी कठोर वचन नहीं बोलते हैं और ना ही छल करते हैं। * ''वृत्तेन हि भवत्यार्यो न धनेन न विद्यय...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)