उपकार को सदा याद रखना चाहिये और अपकार को भूल जाना चाहिये। शुभकार्य में शीघ्रता करनी चाहिये और अशुभ कार्य में दीर्घसूत्रता (टालमटोल)।
खैर खून खांँसी खुशी बैर प्रीति मदपान।
रहिमन दाबे ना दबें जानत सकल जहान।। -- रहीम
इस दोहे में रहीम कवि कहते हैं कि खैर (कुशलता ), खून, खांसी, खुशी, बैर, प्रीति तथा मद्यपान के बारे में सारा संसार जानता है कि उनको कितना भी छुपाया जाए- कितना ही दबाया जाए, वे संसार के सामने उजागर हो ही जाते हैं।