विवाह
पारस्परिक संबंध का प्रकार
(शादी से अनुप्रेषित)
विवाह हिन्दुओं के सोलह संस्कारों में से प्रमुख संस्कार है। 'विवाह' का शाब्दिक अर्थ है- विशेष रूप से वहन करना।
उद्धरण
सम्पादन- इहेमाविन्द्र सं नुद चक्रवाकेव दम्पती ।
- प्रजयौनौ स्वस्तकौ विस्वमायुर्व्यऽशानुताम् ॥ -- अथर्ववेद
- हे भगवान इंद्र! आप इस नवविवाहित जोड़े को चक्रवाक पक्षियों की जोड़ी की तरह एक साथ लाएं; उन्हें वैवाहिक आनन्द लेने दें, और उनकी सन्तान के साथ, एक पूर्ण जीवन जीने दें।
- अत्यासन्ने चातिदूरे अत्याढ्ये धनवर्जिते ।
- वृत्ति हीने च मूर्खे च कन्यादानं न शस्यते ॥
- अत्यंत नज़दीक हो, अत्यंत दूर हो, अति धनवान या अति गरीब हो, उपजीविका का साधन न हो, और मूर्ख हो – इन्हें कन्या नहीं देनी चाहिए ।
- ब्राह्मो दैवस्तथैवार्षः प्राजापत्यस्तथाऽऽसुरः ।
- गान्धर्वो राक्षसश्चैव पैशाचश्चाष्टमोऽधमः ॥ -- मनुस्मृति, अध्याय तीन
- विवाह आठ प्रकार के होते हैं जो क्रमशः ये हैं: ब्राह्म विवाह, दैव विवाह, आर्ष विवाह, प्राजापत्य विवाह , आसुर विवाह, गान्धर्व विवाह, राक्षस विवाह, और आठवां पैशाच विवाह, जो अधम विवाह है।
- आच्छाद्य चार्चयित्वा च श्रुतिशीलवते स्वयम् ।
- आहूय दानं कन्याया ब्राह्मो धर्मः प्रकीर्तितः ॥ -- मनुस्मृति, अध्याय तीन
- वेदों-शास्त्रों का अध्ययन जिसने किया हो ऐसे वर को स्वयमेव आमंत्रित करके, उसे वस्त्र-आभूषण आदि अर्पित करके, और समुचित रूप से पूजते हुए कन्या का सोंपा जााना धर्मयुक्त ‘ब्राह्म’ विवाह कहलाता है।
- सहोभौ चरतां धर्ममिति वाचाऽनुभाष्य च ।
- कन्याप्रदानमभ्यर्च्य प्राजापत्यो विधि स्मृतः ॥ -- मनुस्मृति, अध्याय तीन
- विवाहोत्सुक स्त्री-पुरुष को वर-कन्या के रूप में स्वीकार कर “तुम दोनों मिलकर साथ-साथ धर्माचरण करो” यह कहते हुए और उनका समुचित रूप से स्वागत-सत्कार करते हुए वर को कन्या प्रदान करना ‘प्राजापत्य’ विवाह कहलाता है ।
- इच्छयाऽन्योन्यसंयोगः कन्यायाश्च वरस्य च ।
- गांधर्वः स तु विज्ञेयो मैथुन्यः कामसम्भवः ॥ -- मनुस्मृति, अध्याय तीन
- कन्या एवं वर की इच्छा और परस्पर सहमति से स्थापित संबंध, जो शारीरिक संसर्ग तक पहुंच सकते हैं, की परिणति के रूप में हुए विवाह को ‘गांधर्व’ विवाह की संज्ञा दी गई है।
- हत्वा छित्वा च भित्वा च क्रोशन्तीं रुदन्तीं गृहात् ।
- प्रसह्य कन्याहरणं राक्षसो विधिरुच्यते ॥ -- मनुस्मृति, अध्याय तीन
- कन्यापक्ष के निकट संबंधियों, मित्रों, सुहृदों आदि को डरा-धमका करके, आहत करके, अथवा उनकी हत्या करके रोती-चीखती-चिल्लाती कन्या घर से जबरन उठाकर ले जाना और विवाह करना राक्षस विधि का विवाह कहलाता है।
- सुप्तां मत्तां प्रमत्तां वा रहो यत्रोपगच्छति ।
- सः पापिष्ठो विवाहानां पैशाचश्चाष्टमोऽधमः ॥ -- मनुस्मृति, अध्याय तीन
- जब कोई कन्या सोई हो, भटकी हो, नशे की हालत में हो, अथवा सुरक्षा के प्रति असावधान हो, तब यदि कोई उसके साथ शारीरिक संबंध बनाकर अथवा अन्यथा विवाह कर ले तो उसे निकृष्टतम श्रेणी का ‘पैशाच’ विवाह कहा जाता है।
- षडानुपूर्व्या विप्रस्य क्षत्रस्य चतुरोSवरान्।
- विट्शूद्रयोस्तु तानेव विद्याद्धर्म्यानराक्षसान्॥ -- मनुस्मृति, अध्याय तीन
- ब्राह्मण को आदि से ६ प्रकार के विवाह, क्षत्रिय को असुरादि क्रम से ४ प्रकार के, वैश्य शूद्र को राक्षस रहित ३ प्रकार के विवाह धर्मानुकूल कहे गये हैं।
- तीर्थव्रतोद्यापनयज्ञ दानं मया सह त्वं यदि कान्तकुर्याः।
- वामांगमायामि तदा त्वदीयं जगाद वाक्यं प्रथमं कुमारी ॥ -- विवाह के लिये कन्या की शर्त
- तीर्थ, व्रत, उद्यापन, यज्ञ, दान आदि सभी शुभ कर्म तुम मेरे साथ ही करोगे तभी मैं तुम्हारे वाम अंग में आ सकती हूँ। अर्थात् तुम्हारी पत्नी बन सकती हूं।
- धर्मे च अर्थे च कामे च इमां नातिचरामि ॥ -- विवाह में वर का वचन
- धर्म में, अर्थ में, और काम में अपने कर्तव्य में, इनकी सलाह का उल्लंघन नहीं करूँगा। अर्थात अपनी वित्तीय प्रतिबद्धताओं में, अपनी आवश्यकताओं में, मैं इनकी बातों का उल्लंघन नहीं करूँगा। दूसरे शब्दों में इसका अर्थ है - मेरे कर्तव्य में, मेरी वित्तीय प्रतिबद्धताओं में, मेरी जरूरतों में, मैं आपसे सलाह लूंगा, आपकी सहमति लूंगा और कार्रवाई करूंगा।
- वरयेत् कुलजां प्राज्ञो विरूपामपि कन्यकाम्।
- रूपशीलां न नीचस्य विवाहः सदृशे कुले ॥ -- चाणक्य
- आचार्य चाणक्य के अनुसार समझदार मनुष्य वही है जो विवाह के लिए नारी की बाहरी सुंदरता न देखते हुए मन की सुंदरता देखे। यदि कोई उच्च कुल या बड़े परिवार की कन्या दिखने में सुंदर नहीं है लेकिन सुंस्कारी हो तो उससे विवाह कर लेना चाहिए। जबकि कोई सुंदर कन्या यदि संस्कारी न हो, नीच कुल की हो, जिसका चरित्र ठीक न हो तो उससे किसी भी परिस्थिति में विवाह नहीं करना चाहिए। विवाह हमेशा समान कुल में शुभ रहता है।
- युधिष्ठिर ने पूछा- पितामह! जो समस्त धर्मों का, कुटुम्बीजनों का, घर का तथा देवता, पितर और अतिथियों का मूल है, उस कन्यादान के विषय में मुझे कुछ उपदेश कीजिये। पृथ्वीनाथ ! सब धर्मों से बढ़कर यही चिन्तन करने योग्य धर्म माना गया है कि पात्र को कन्या देनी चाहिये? भीष्मजी ने कहा- बेटा ! सत्पुरुषों को चाहिये कि वे पहले वर के शील-स्वभाव, सदाचार, विद्या, कुल, मर्यादा और कार्यों की जाँच करें। फिर यदि वह सभी दृष्टियों से गुणवान प्रतीत हो तो उसे कन्या प्रदान करें। युधिष्ठिर! इस प्रकार ब्याहने योग्य वर को बुलाकर उसके साथ कन्या का विवाह करना उत्तम ब्राहामणों का धर्म-ब्रम्ह विवाह है। जो धन आदि के द्वारा वरपक्ष को अनुकुल करके कन्यादान किया जाता है, वह शिष्ट ब्राम्हण और क्षत्रियों का सनातन धर्म कहा जाता है। (इसी को प्राजापत्य विवाह कहते हैं)। युधिष्ठिर! जब कन्या के माता-पिता अपने पसंद किये हुए वर को छोड़कर जिसे कन्या पसंद करती हो तथा जो कन्या को चाहता हो ऐसे वर के साथ उस कन्या का विवाह करते हैं, तब दवेता पुरुष उस विवाह को गान्धर्व धर्म (गान्धर्व विवाह) कहते हैं। नरेश्वर! कन्या के बन्धु-बान्धवों को लोभ में डालकर उन्हें बहुत-सा धन देकर जो कन्या को खरीद ले जाता है, इसे मनीषी पुरुष असुरों का धर्म (आसुर विवाह)कहते हैं। तात! इसी प्रकार कन्या के रोते हुए अभिभावाकों को मारकर, उनके मस्तक काटकर रोती हुई कन्या को उसके घर से बलपूर्वक हर लाना राक्षसों का काम (राक्षस विवाह) कहा जाता है। युधिष्ठिर! इन पांच (ब्राहय, प्राजापत्य,गान्धर्व , आसुर और राक्षस) विवाहों में से पूर्वकथित तीन विवाह धर्मानुकुल हैं और शेष दो पापमय हैं। आसुर और राक्षस विवाह किसी प्रकार भी नहीं करने चाहियें[१]। नरश्रेष्ठ! बारह, क्षात्र (प्राजापत्य) तथा गान्धर्व- ये तीन विवाह धर्मानुकुल बताये गये हैं। ये पृथक हों या अन्य विवाहों से मिश्रित- करने ही योग्य हैं। इसमें संशय नहीं है। ब्राम्हण के लिये तीन भार्याएँ बतायी गयी हैं (ब्राहामण-कन्या, क्षत्रिय-कन्या और वैश्य–कन्या), क्षत्रिय के लिये दो भार्याएँ कही जाती हैं (क्षत्रिय-कन्या और वैश्य-कन्या)। वैश्य केवल अपनी ही जाति की कन्या के साथ विवाह करे। इन स्त्रियों से जो संतानें उत्पन्न होती हैं वे पिता के समान वर्णवाली होती हैं (माताओं के कुल या वर्ण के कारण उनमें कोई तारतम्य नहीं होता)। ब्राम्हण की पत्नियों में ब्राम्हण-कन्या श्रेष्ठ मानी जाती है, क्षत्रिय के लिये क्षत्रिय-कन्या श्रेष्ठ है (वैश्य की तो एक ही पत्नी होती है; अत: वह श्रेष्ठ है ही)।कुछ लोगों का मत है कि रति के लिये शूद्र-जाति की कन्या से भी विवाह किया जा सकता है; परंतु और लोग ऐसा नहीं मानते (वे शूद्र-कन्या को त्रैवर्णिकों के लिये अग्राह बतलाते हैं)। श्रेष्ठ पुरुष ब्राम्हण का शुद्र-कन्या के गर्भ से संतान उत्पन्न करना अच्छा नहीं मानते। शूद्रा के गर्भ से संतान उत्पन्न करने वाला प्रायश्चित का भागी होता है। तीस वर्ष का पुरुष दस वर्ष की कन्या को, जो रजस्वला न हुई हो, पत्नी रूप में प्राप्त करे। अथवा इक्कीस वर्ष का पुरुष सात वर्ष की कुमारी के साथ विवाह करे। -- महाभारत, अनुशासन पर्व, अध्याय ४४
- उष्ट्राणां च विवाहेषु गीतं गायन्ति गर्दभाः ।
- परस्परं प्रशंसन्ति अहो रूपमहो अहो ध्वनिः ॥ -- महासुभषितसंग्रह
- ऊंटों के विवाह में गधे यदि गीत गा रहे हों तो वे परस्पर एक दूसरे की प्रशंसा मे कहते है कि अहा ! क्या सुन्दरता है और क्या मधुर गायन है!
- (ऊंट कुरूपता का प्रतीक है और गधा कर्कश वाणी का प्रतीक है। जब कभी दो अयोग्य व्यक्ति एक दूसरे की प्रशंसा करें, तो व्यंग्यात्मक रूप में इसी प्रकार उसे व्यक्त किया जाता है।)
- सदा वक्रः सदा क्रूरः सदा पूजामपेक्षते ।
- कन्याराशिस्थितो नित्यं जामाता दशमो ग्रहः ॥
- सदा वक्र (टेढ़ा), सदा क्रूर (निर्दयी), सदा पूजा की अपेक्षा करने वाला, नित्य कन्या राशि में ही स्थित रहने वाला जमाता (जमाई) दसवाँ ग्रह है।
- त्रयः कालकृताः पाशाः शक्यन्ते न निवर्तितुम्।
- विवाहो जन्म मरणं यथा यत्र च येन च॥
- विवाह, जन्म और मृत्यु – ये तीन काल द्वारा निर्मित पाश (बन्धन) हैं।ये तीनों कब, किस प्रकार, और किस कारण होंगे- यह अपरिहार्य हैं, इसको नियंत्रित नहीं किया जा सकता।
- कन्या वरयते रूपं माता वित्तं पिता श्रुतम् ।
- बंधवाः कुलमिच्छन्ति मिष्ठान्ने इतरे जनाः ॥ -- सुभाषितरत्नसमुच्चय
- विवाह सम्बन्ध स्थापित करते समय कन्या, रूप का वरण करती है, कन्या की माता की पसंद अपने दामाद का धनवान होना तथा पिता की पसंद उसका विद्वान और प्रसिद्ध होना होता है। अन्य सम्बन्धियों की इच्छा होती है कि विवाह सम्बन्ध किसी उच्च कुल में हो और अन्य लोगों (बरातियों) की रुचि केवल बढिया स्वागत सत्कार और मिष्ठान (दावत) में होती है ।
- प्रीति बिरोध समान सन करिअ नीति असि आहि।
- जौं मृगपति बध मेडुकन्हि भल कि कहइ कोउ ताहि॥ -- रामचरितमानस
- प्रीति और वैर बराबरी वाले से ही करना चाहिए, नीति ऐसी ही है। सिंह यदि मेढ़कों को मारे, तो क्या उसे कोई भला कहेगा?
- तुलसी कबहुँ न त्यागिए अपने कुल की रीति।
- लायक ही सों कीजिए ब्याह बैर अरु प्रीति॥ -- तुलसीदास
- तुलसीदास कहते हैं कि अपने कुल की रीति को कभी नहीं छोड़ना चाहिए। वैर, विवाह और प्रीति अपने समान व्यक्तियों से ही करना चाहिए।
- राम सीय सुंदर प्रतिछाहीं। जगमगात मनि खंभन माहीं
- मनहुँ मदन रति धरि बहु रूपा। देखत राम बिआहु अनूपा॥ -- रामचरितमानस
- श्री रामजी और श्री सीताजी की सुंदर परछाहीं मणियों के खम्भों में जगमगा रही हैं, मानो कामदेव और रति बहुत से रूप धारण करके श्री रामजी के अनुपम विवाह को देख रहे हैं।
- अच्छे विवाह का रहस्य यह समझना है कि विवाह सम्पूर्ण होना चाहिए, यह स्थायी होना चाहिए, और यह बराबरी का होना चाहिए। -- फ्रैंक पिटमैन
- अच्छी शादी, ख़ुशहाल शादी से भिन्न होती है। -- डेबरा विंगर
- अच्छा विवाह दो अच्छे माफ कर देने वालों का मिलन है। -- रूथ बेल ग्राहम
- यदि जीवन-साथियों को ये एहसास हो जाये कि बेहतर कभी-कभी बदतर के बाद आता है, तो अधिक शादियाँ बच सकेंगी। -- डग लार्सन
- अगर अच्छी शादी जैसी कोई चीज होती है, तो यह इसलिए है कि यह प्यार के बजाय दोस्ती जैसी है। -- मिशेल डी मोंटैगने
- यदि मैं विवाह करता हूँ, तो मैं पूरी तरह विवाहित होना चाहता हूँ। -- ऑड्रे हेपब्र्न
- अपने विवाहित जीवन को सुखी रखने के लिए जरूरी है कि जब आप गलत हों तो स्वीकार कीजिये, और अगर आप सही हैं तो अपना मुह बन्द रखिये। -- ओग्डेन नैश
- अपने जीवनसाथी को सावधानी से चुनिए। इस एक निर्णय से आप अपने समस्त सुख या दुःख का 90 प्रतिशत भाग पायेंगे। -- एच जैक्सन ब्राउन जूनियर
- आप किसी को तब तक नहीं जान पाते हैं जब तक कि आप उनसे विवाह नहीं कर लेते। -- एलानोर रूज़वेल्ट
- आपको मेरी यही सलाह है कि आप विवाह कर लें। अगर आपको अच्छी पत्नी मिल जाती है, तो आप सुखी रहेंगे। यदि नहीं, तो आप एक दार्शनिक बन जायेंगे। -- सुकरात
- इस दुनिया में कोई भी चीज एक विवाहित स्त्री के समर्पण जैसी नहीं है। यह एक ऐसी वस्तु है जिसके बारे में कोई भी विवाहित व्यक्ति कुछ नहीं जानता। -- ऑस्कर वाइल्ड
- उस व्यक्ति के साथ विवाह मत कीजिये जिसके साथ रहकर आप जी सकें। किसी ऐसे व्यक्ति से विवाह कीजिये जिसके बिना आप जिन्दा न रह सकें। -- जेम्स डॉबसन
- अच्छा विवाह वह है जो लोगों में परिवर्तन लाने और उन्नति करने का अवसर देता है और वह भी उस तरीके से जिसमें वे अपने प्रेम को व्यक्त कर सकें। -- पर्ल एस. बक
- अच्छा विवाह उदारता की प्रतियोगिता है। -- डायने सॉयर
- अच्छी शादी से ज्यादा प्यारा, दोस्ताना और आकर्षक रिश्ता, समन्वय या साथ नहीं है। -- मार्टिन लूथर
- औरत के लिए उस व्यक्ति के साथ सुखी रहना मुश्किल है, जो उससे उस तरह बर्ताव करने पर बहुत जोर देता है, जैसे कि वह पूर्णतया सामान्य व्यक्ति हो। -- ऑस्कर वाइल्ड
- ख़ुश व्यक्ति उस स्त्री से विवाह करता है जिसे वह प्रेम करता है; एक ख़ुशहाल व्यक्ति उस स्त्री से प्रेम करता है, जिससे वह विवाह करता है। -- अज्ञात
- खुशहाल शादी का रहस्य यह है कि आप चार दीवारों के भीतर किसी के साथ शांति से रह सकते हैं, यदि आप संतुष्ट हैं कि आप जिससे प्यार करते हैं वह आपके पास है, या तो ऊपर या नीचे, या उसी कमरे में, और आपको लगता है कि वह गर्मजोशी आपको बार-बार नहीं मिलती, बस यही तो प्यार है। -- ब्रूस फोर्सिथ
- विवाह में तीन आदमी होते हैं, एक स्त्री, एक पुरुष, और एक वह जिसे मै तीसरा व्यक्ति कहता हूँ, जो सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है, वह व्यक्ति जो स्त्री और पुरुष दोनों से मिलकर बना है। -- जोस सरामागो
- सचमुच के सुखमय विवाह की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता है स्वामिभक्ति (निष्ठा)। बिना विश्वास के कोई भी सफल विवाह सम्भव नहीं है। -- अरविन्द सिंह
- सफल विवाह के लिए जरूरी है कि आप कई बार प्यार में पड़ें, लेकिन हमेशा एक ही व्यक्ति के साथ। -- मिग्नन मकलौघ्लीन
- सफल विवाह के लिए भावपूर्ण प्रेम से भी ज्यादा कुछ चाहिये। एक चिरस्थायी युति के लिए हर हाल में एक दूसरे के प्रति नैसर्गिक प्रेम होना चाहिये। -- अज्ञात
- सफल विवाह वह नहीं है जब आप अपनी पत्नी के साथ शांति से रह सकें, बल्कि तब है जब आप उसके बिना शांति से न रह सकें। -- यासिर कढ़ी
- सफल विवाह एक ऐसा भवन है, जिसे हर दिन फिर से बनाया जाना चाहिए। -- आंद्रे मौरिस
- सर्वोत्तम विवाह केवल उन सच्चे प्राणियों के बीच ही संभव है जो एक दूसरे को अपने दिल की गहराइयों से प्यार कर सकें। -- अरविन्द सिंह
- साधारण विवाह और एक असाधारण विवाह के बीच का अन्तर हर दिन बस थोड़ा अतिरिक्त देने में है; जितनी बार सम्भव हो, जब तक हम दोनों जीवित रहें। -- फॉन वीवर
- सुखी विवाह का रहस्य हमेशा रहस्य रहता है। -- हेनरी यंगमैन
- स्त्री की कल्पना बहुत तेज होती है; यह एक क्षण में ही प्रशंसा से प्रेम और फिर प्रेम से विवाह तक पहुँच जाती है। -- जेन ऑस्टिन
- एक-दूसरे से प्रेम तो कीजिये, पर प्रेम को कभी भी बंधन मत बनने दीजिये। साथ-साथ झूमिये और आनंद तो मनाइये, पर ध्यान रहे आपमें से कोई भी अपना अकेलापन न खोए। -- खलील जिब्रान
- ऐसे व्यक्ति से शादी न करें जिसके साथ आप रह सकें; सिर्फ उस व्यक्ति से शादी करें जिसके बिना आप रह न सकें। -- जेम्स सी. डॉबसन
- केवल वे ही व्यक्ति विवाह के पवित्र बंधन में बंधने के अधिकारी हैं जो एक दूसरे की भलाई के लिये खुद को पूरी तरह समर्पित कर सकें। -- अरविन्द सिंह
- कोई भी रिश्ता चमकीली धूप नहीं होता, लेकिन दो लोग छाता साझा कर एक साथ तूफान से बच सकते हैं। -- अनजान
- कोई भी स्त्री उस व्यक्ति का आधिपत्य स्वीकार नहीं करना चाहती जो ईश्वर की आज्ञानुसार चलने को तैयार नहीं है। -- टी. डी. जकेस
- ख़ुशहाल शादी आपके एक साथ बिताये दिनों, महीनों या सालों की संख्या पर आधारित नहीं होती। यह इस बारे में है कि आप एक-दूसरे से हर दिन कितना प्यार करते हैं। -- अज्ञात
- खुशहाल शादी एक लंबा संवाद है, जो हमेशा बहुत छोटा लगता है। -- आंद्रे मौरिस
- खुशहाल शादी का केवल एक ही तरीका है और जैसे ही मुझे पता चलता है कि यह क्या है, मैं फिर से शादी कर लूंगी। -- क्लिंट ईस्टवुड
- ख़ुशहाल शादी की शुरूवात तब होती है, जब हम उससे शादी करते हैं, जिससे हम प्यार करते हैं और यह फलती-फूलती है, जब हम उससे प्यार करते हैं, जिससे हम शादी करते हैं। -- टॉम मुलेन
- ख़ुशहाल शादी फिंगर-प्रिंट्स की तरह हैं, हर एक अलग है और हर एक खूबसूरत है। -- अज्ञात
- ख़ुशहाल शादी में तीन चीज़ें होती है: एक साथ होने की यादें, गलतियों की माफ़ी और कभी भी एक-दूसरे को न छोड़ने का वादा। -- सुरभि सुरेंद्र
- चिरस्थायी विवाह की नींव उन दो लोगों द्वारा डाली जाती है, जो अपने द्वारा लिए गये पवित्र वचन पर विश्वास करते और जीते हैं। -- दारलेने शख्त
- जब आप विवाह करने जा रहें हों, तो अपने आप से यह सवाल पूछिये: क्या आपको विश्वास है कि आप इस व्यक्ति से अपनी वृद्धावस्था में अच्छी तरह से वार्तालाप करने में सक्षम होंगे? विवाह में दूसरी सभी चीज़ें अस्थायी हैं। -- फ्रेडरिक नीत्से
- जब विवाह में आप त्याग करते हैं, तो आप एक-दूसरे के लिए नहीं बल्कि एक रिश्ते की एकता के लिए त्याग कर रहे होते हैं। -- जोसेफ कैंपबेल
- जहाँ बिना प्रेम के विवाह है, वहाँ बिना विवाह के प्यार होगा। -- बेंजामिन फ्रेंक्लिन
- दूर रहने का गिला मत कर ऐ दोस्त, पास रहकर भी कोई रिश्ता ख़ास नहीं होता। ये तो दिल से दिल मिलने की बात है, वरना सात फेरों में भी प्यार नहीं होता। -- अज्ञात
- दो मानवीय आत्माओं के लिए, इससे ज्यादा श्रेष्ठ बात और क्या हो सकती है कि वे यह महसूस करें कि वे जीवन भर साथ रहने के लिए जुड़े हैं – समस्त श्रमों में एक दूसरे को सशक्त करने के लिए, सभी दुखों में एक दूसरे का सहारा बनने के लिए, समस्त पीडाओं में एक-दूसरे की सहायता करने के लिए, और अंतिम विदाई के क्षणों में खामोश कही न जा सकने वाली यादों में एक दूसरे के साथ एक होने के लिए? -- जॉर्ज इलीयट
- पत्नी को चाहिए कि वह पति के घर लौटने पर खुश हो, और पति को चाहिए कि पत्नी को उसके घर से निकलने पर दुःख हो। -- मार्टिन लूथर किंग जूनियर
- पुरुष एक सम्पूर्ण स्त्री के सपने देखता है और स्त्री एक संपूर्ण पुरुष के सपने देखती है; लेकिन वे यह नहीं जानते कि भगवान ने उन दोनों को एक दूसरे को परिपूर्ण करने के लिए ही बनाया है। -- पुरानी कहावत
- पुरुष, स्त्री से इस आशा में शादी करता है कि वे कभी नहीं बदलेंगी। स्त्रियाँ पुरुषों से इस आशा में विवाह करती हैं कि वे बदल जायेंगे। अन्ततः दोनों ही निराश होते हैं। -- अल्बर्ट आइंस्टीन
- प्यार की कमी असफल शादियों की वजह नहीं है, बल्कि मित्रता की कमी असली वजह है। -- फ्रेडरिक नीत्से
- प्रत्येक महान सम्बन्ध, विशेषकर विवाह, सम्मान पर ही निर्भर है। अगर यह सम्मान पर निर्भर नहीं है, तो जो कुछ भी अच्छा प्रतीत होता है वह लम्बे समय तक नहीं चल सकेगा। -- एमी ग्रांट
- प्रेम कमजोरी नहीं है। यह मजबूत होता है। केवल विवाह के संस्कार ही इसमें समाहित हो सकता है। -- बोरिस पास्टर्नक
- प्रेम की कमी नहीं, बल्कि मित्रता की कमी है जो विवाह को असफ़ल बना देती है। -- फ्रेडरिक निएत्ज़्स्चे
- प्रेम बिना वैध विवाह के भी नैतिक है, लेकिन बिना प्यार के विवाह अनैतिक है। -- एलन की
- बचे-खुचे ध्यान से विवाह सफल नहीं हो सकता। इसके लिए सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना होगा। -- अज्ञात
- बिना संघर्ष के विवाह लगभग असंभव है, जैसे बिना संकट के राष्ट्र। -- आंद्रे मौरिस
- मुझे लगता है कि लंबे समय तक चलने वाले स्वस्थ रिश्ते विवाह के विचार से अधिक महत्वपूर्ण हैं। प्रत्येक सफल विवाह के मूल में एक सशक्त भागीदारी होती है। -- कार्सन डेली
- मेरी शादी के संदर्भ में, आप जानते हैं, अपने पति के प्यार में पड़ना अब तक मेरे साथ हुई सबसे अच्छी बात थी। -- कैरोलीन कैनेडी
- मैं बस शादीशुदा होने के लिए शादी नहीं करना चाहती। इससे अधिक अकेलेपन के बारे में कुछ सोच नहीं सकती कि मैं अपना बाकी जीवन किसी ऐसे व्यक्ति के साथ बिताऊँ, जिससे मैं बात नहीं कर सकती, या इससे भी बदतर, जिसके साथ मैं ख़ामोश नहीं रह सकती। -- मैरी एन शफ़र
- मैंने पहली बार अहिंसा की अवधारणाओं को अपनी शादी से सीखा। -- महात्मा गांधी
- मैंने हमेशा से विवाह को किसी भी व्यक्ति के जीवन की वह सबसे रोचक घटना समझा है, जो किसी के सुख या दुःख की बुनियाद है। -- जॉर्ज वाशिंगटन
- यदि आप प्यार और शादी के बारे में पढ़ना चाहते हैं, तो आपको दो अलग-अलग किताबें खरीदनी होंगी। -- एलन राजा
- यदि आपका विवाह सुखमय नहीं है, तो आपका सुखी परिवार नहीं हो सकता। -- जेरेमी सिस्टो
- यह शादी हँसी से भरी हो, हमारा हर दिन जन्नत में हो। -- रूमी
- सुन्दरता नहीं बल्कि उत्तम चरित्र के शानदार गुण पति को बांधकर रखते हैं। -- यूरिपाईडस
- प्यार की कमी नहीं, बल्कि दोस्ती की कमी वैवाहिक जीवन को दुखदायी बनाती है। -- फ्रेडरिक नीत्शे
- वह व्यक्ति सुखी है जिसे एक सच्चा दोस्त मिल गया है, पर उससे भी ज्यादा सुखी वह है जिसे वह सच्चा दोस्त अपनी पत्नी में मिला है। -- फ्रैंज शुबर्ट
- विवाह आपको अपने जीवन में एक विशेष व्यक्ति को परेशान करने देता है। -- अज्ञात
- विवाह उम्र की बात नहीं है; यह सही व्यक्ति पा लेने की बात है। -- सोफिया बुश
- विवाह उस जंजीर में एक सुनहरा छल्ला है जिसकी शुरुआत एक झलक है और जिसका अंत अनंतकाल। -- खलील जिब्रान
- विवाह एक युगल गीत होना चाहिए – जब एक गाये, तो दूसरा ताली बजाये। -- जो मरे
- विवाह एक साथ समस्याओं को हल करने का एक प्रयास है, जो तब थी ही नहीं, जब आप अपने दम पर रह रहे थे। -- एडी कैंटर
- विवाह का अभिप्राय एक जैसा सोचना नहीं, बल्कि एक साथ सोचना है। -- रॉबर्ट सी. डोड्स
- विवाह का फूल केवल विश्वास की जमीन में ही पनप सकता है।
- विवाह को ख़ूबसूरत होने के लिए परिपूर्ण होना आवश्यक नहीं है। -- अज्ञात
- विवाह दो स्नेहमयी आत्माओं का मिलन है, जिसमे दोनों जीवनभर साथ निभाने का वचन ही नहीं देते, बल्कि एक-दूसरे को अपना विश्वास भी सौंपते हैं। यह विश्वास है- एक-दूसरे के प्रति पूर्ण समर्पण का, दूसरे के दुःख को अपने दुःख से बढ़कर मानने का, अपने जीवनसाथी को उसी रूप में स्वीकार करने का और उसे पूर्ण स्वतंत्रता से जीने का अधिकार देने का।
- विवाह न तो स्वर्ग और न ही नरक है, यह तो बस एक यातना है। -- अब्राहम लिंकन
- विवाह न तो स्वर्ग है और न ही नर्क, यह मात्र शुद्धि है। -- अब्राहम लिंकन
- विवाह पतझड़ में पत्तियों का रंग देखने जैसा है; हर गुजरते दिन के साथ कभी बदलते और अधिक असाधारण रूप से सुंदर। -- फॉन वीवर
- विवाह मनुष्य की सबसे स्वाभाविक अवस्था है, और वह अवस्था, जिसमें आपको वास्तविक आनंद मिलेगा। -- बेंजामिन फ्रैंक
- विवाह मित्रता की उच्चतम अवस्था है। यदि सुखमय है, तो यह हमारी चिंता को बांटकर कम कर देता है, साथ ही यह आपसी भागीदारी से हमारे सुखों को दोगुना कर देता है। -- सैमुअल रिचर्डसन
- विवाह में प्रेम एक सुंदर सपने की पूर्ति होना चाहिए, और न कि अंत, जैसा कि प्रायः होता है। -- अल्फोंस कर्र
- विवाह में मन और उद्देश्य की अनुपयुक्तता के जैसी दूसरी कोई असमानता नहीं हो सकती है। -- चार्ल्स डिकेन्स
- विवाह में सफ़लता केवल सही साथी खोज लेने से नहीं मिल जाती, बल्कि सही साथी बनने से आती है। -- बार्नेट आर. ब्रिकनर
- विवाह संज्ञा नहीं है; यह एक क्रिया है। यह वह नहीं है, जो आपको मिलता है। यह वह है, जो तुम्हारे द्वारा किया जाता है। यह वह तरीका है, जिससे आप अपने साथी को हर दिन प्रेम करते हैं। -- बारबरा डे एंजेलिस
- विवाह समझौता नहीं है, विवाह बंधन नहीं है, जैसा कुछ लोग कहते हैं। बल्कि यह दायित्वों से भरे मर्यादित जीवन की ओर बढ़ा कदम है। यह आपकी आजादी नहीं छीनता, बल्कि आपको अपनी सामर्थ्य बढाने का एक अवसर देता है। अपने चरित्र को और ऊँचा उठाने का अवसर देता है। उन मुश्किलों के जरिये, उन जिम्मेदारियों के जरिये जिन्हें वैसे स्वीकार करने का साहस हम कभी नहीं कर पाते।
- विवाह समय की कसौटी पर खरा उतरता है, जब आप और आपका जीवनसाथी दोनों चीजों को बेहतर बनाने की दिशा में काम करते हैं। और जब हम विपत्तियों का सामना करते हैं, तो हमें सबसे अधिक परखा जाता है। यदि आप प्रतिकूलताओं को एक साथ एक टीम की तरह पार कर सकते हैं, तो आप आधी लड़ाई जीत चुके हैं। -- अज्ञात
- विवाह, अंततः, भावुक दोस्त बनने का अभ्यास है। -- हार्विल हेंड्रिक्स
- विवाह, परिवार, सभी रिश्ते - सही नर्तक खोजने के बजाय नृत्य सीखने की एक प्रक्रिया है। -- पॉल पियर्सल
- विवाह : प्रेम इसका सिद्धांत है। आजीवन मित्रता उपहार है। करुणा ध्येय है। जब तक मृत्यु हमें अलग न करे, इसकी अवधि है। -- फॉन वीवर
- शादियाँ जन्नत में तय होती हैं। -- पुरानी कहावत
- शादी अपने सबसे अच्छे दोस्त के साथ जीवन साझा करना, पूरे रास्ते सफ़र का आनन्द उठाना और हर गन्तव्य पर एक साथ पहुँचना है। -- फॉन वीवर
- शादी आपको ख़ुशगवार नहीं बनाती – आप अपनी शादी को ख़ुशगवार बनाते हैं। -- डॉ. लेस एंड लेस्ली पैरेट
- शादी आसान नहीं होती। इसमें दूसरे व्यक्ति के लिए समझौता, त्याग और स्वयं को प्रकट करना होता है। हालांकि, यदि आप इस पर चलने और इस प्रक्रिया में ढलने के इच्छुक हैं, तो यह शानदार इनाम का वादा करता है। -- अज्ञात
- शादी एक उत्तम संस्थान है, लेकिन मैं एक संस्थान के लिए तैयार नहीं हूँ। -- मे वेस्ट
- शादी एक जुआ है, आओ ईमानदार रहें। -- योको ओनो
- शादी एक पिंजरे की तरह है; कोई भी व्यक्ति गौर कर सकता है कि बाहर के पंछी अंदर आने को बेताब रहते हैं और जो अंदर हैं, वे भी बाहर निकलने के लिए उतने ही उतावले रहते हैं। -- मिशेल डी मोंटेनेगी
- शादी एक साझेदारी है, लोकतंत्र नहीं। -- निकोलस स्पार्क्स
- शादी का केंद्र यादें हैं। -- बिल कॉस्बी
- शादी किसी ऐसे की तलाश नहीं है, जो सबसे ज्यादा प्यार करे। यह किसी ऐसे की तलाश है, जो आपको सबसे कम दुःख पहुँचाये। -- अज्ञात
- शादी की कोई गारंटी नहीं है। यदि आप ये तलाश रहे हैं, तो जाकर कार की बैटरी के साथ रहें। -- इरमा बॉम्बेक
- शादी को ख़ुशहाल बनाने में जो मायने रखता है, वह यह नहीं है कि आप कितने एक-दूसरे के कितने अनुकूल हैं, बल्कि यह है कि आप अपनी प्रतिकूलता से कैसे निपटते हैं। -- जॉर्ज लीविंगर / लियो टॉल्स्टॉय
- शादी दो लोगों का गठबंधन है, जिनमें से एक को कभी जन्मदिन याद नहीं रखता है और दूसरा उसे कभी नहीं भूलता। -- ओग्डेन नैश
- शादी ने मुझे बहुत ख़ुश कर दिया है और मैं अपनी पत्नी के साथ गहरे प्यार में हूँ और मैं हर दिन उसके लिए भगवान का शुक्रिया अदा करता हूँ। -- हैरी कॉनिक, जूनियर
- शादी में ईमानदारी बहुत ज़रूरी है। आप आधे सच और आधे झूठ के बल पर एक मजबूत रिश्ता नहीं बना सकते। हर समय ईमानदार रहें। -- अज्ञात
- शादी में कठिनाई यह है कि हम एक 'व्यक्तित्व' के प्यार में पड़ते हैं, लेकिन एक 'चरित्र' के साथ रहना पड़ता है। -- पीटर डे व्रीस
- शादी में ख़ुशी पूरी तरह से संयोग की बात है। -- जेन ऑस्टेन
- शादी से पहले अपनी आँखें पूरी खुली रखें, शादी की बाद आधी बंद। -- बेंजामिन फ्रैंकलिन
- शादी से पहले हम एक-दूसरे के लिए क्या करते हैं, यह इस बात का संकेत नहीं है कि हम शादी के बाद क्या करेंगे। -- गैरी चैपमैन
- शादी अपरिचितों से लड़ने से हमें रोकने का प्रकृति का तरीका है। -- एलन राजा
- विवाह एक के अधिकारों को आधा कर देता है और एक के कर्तव्यों को दोगुना कर देता है। -- लुईसा मे अलकॉट
- विवाह पैसे की तरह, अभी भी हमारे साथ है; और, पैसे की तरह, लगातार इसकी कीमत घट गई। -- रॉबर्ट ग्रेव्स
- शायद शादी में मेरी समस्या – और यह कई महिलाओं की समस्या है – हम अंतरंगता और स्वतंत्रता दोनों चाहते थे। दोनों में संतुलन बनाना कठिन है, फिर भी शादी के लिए दोनों ही आवश्यकता महत्वपूर्ण है। -- हदि लामर
- सच्चे वैवाहिक संबंधों में, पति और पत्नी की स्वतंत्रता बराबर होगी, उनकी निर्भरता एक दूसरे पर, और उनके दायित्व पारस्परिक। -- लुक्रेटिया मोट्ट
- सफल विवाह का महान रहस्य है- सभी आपदाओं को घटना मानना और किसी भी घटना को आपदा न मानना। -- सर हेरोल्ड जॉर्ज निकोलसन
- सफल विवाह में कई बार प्यार में पड़ने की आवश्यकता होती है, हमेशा एक ही व्यक्ति के साथ। -- मिग्नॉन मैकलॉघलिन
- सभी शादियाँ खुशहाल होती हैं। यह तो बाद में एक साथ रहना है, जो परेशानी का सबब बनता है। -- रेमंड हल
- सर्वोत्तम विवाह वह नहीं है, जब एक सर्वगुण संपन्न जोड़ा एक साथ जुड़ता है। यह वह है, जब एक जोड़ा सर्वगुण संपन्न न होते हुए भी अपने मतभेदों का आनन्द लेना सीख लेता है। -- डेव मयूरेर
- सर्वोत्तम विवाह वह है, जो व्यक्तियों में और जिस तरह से वे अपने प्रेम को व्यक्त करते हैं, उसमें परिवर्तन और विकास की अनुमति दे। -- मोती एस बक
- सर्वोत्तम शादियाँ साझेदारी हैं। साझेदारी के बिना एक सर्वोत्तम शादी नहीं हो सकती। -- हेलेन मिरेन
- सामान्यतः वे विवाह प्रेम और धैर्य से परिपूर्ण होते हैं जिनका आरम्भ दीर्घकाल के प्रणयनिवेदन के उपरान्त होता है। -- जोसफ एडिसन
- सुखी विवाह का रहस्य, रहस्य ही बना रहता है। -- हेनी यंगमैन
- सुखी विवाह की दो कसौटियाँ हैं; धन और गरीबी। -- अज्ञात
- सुखी विवाह के लिए मेरा यह निर्देश है – किसी ऐसे व्यक्ति से विवाह करें, जो वैसा कुछ भी न करता हो, जैसा आप करते हैं। -- मैक्सिन जीरा
- हमारी ख़ुशहाल शादी थी क्योंकि हम हर समय साथ थे। हम पति-पत्नी होने के साथ-साथ दोस्त भी थे। हमने एक अच्छा समय गुजारा। -- जूलिया चाइल्ड
- हर औरत उस आदमी का सपना देखती है जो एक बेटी की तरह से उसकी सुरक्षा करे, एक पत्नी की तरह उससे प्यार करे और अपनी माँ की तरह उसका सम्मान करे। -- अज्ञात
- अच्छी शादी एक अन्धी पत्नी और बहरे पति के बीच ही हो सकती है।
हिन्दू विवाह के सात फेरे और वचन
सम्पादनविवाह के बाद कन्या वर के वाम अंग में बैठने से पूर्व उससे सात वचन लेती है। कन्या द्वारा वर से लिए जाने वाले सात वचन निम्नलिखित हैं-
- प्रथम वचन
- तीर्थव्रतोद्यापन यज्ञकर्म मया सहैव प्रियवयं कुर्याः ।
- वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति वाक्यं प्रथमं कुमारी ॥
- (यहाँ कन्या वर से कहती है कि) यदि आप कभी तीर्थयात्रा को जाओ तो मुझे भी अपने संग लेकर जाना। कोई व्रत-उपवास अथवा अन्य धर्म कार्य आप करें तो आज की भांति ही मुझे अपने वाम भाग में अवश्य स्थान दें। यदि आप इसे स्वीकार करते हैं तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।
- द्वितीय वचन
- पुज्यौ यथा स्वौ पितरौ ममापि तथेशभक्तो निजकर्म कुर्या:।
- वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं द्वितीयम ॥
- (कन्या वर से दूसरा वचन मांगती है कि) जिस प्रकार आप अपने माता-पिता का सम्मान करते हैं, उसी प्रकार मेरे माता-पिता का भी सम्मान करें तथा कुटुम्ब की मर्यादा के अनुसार धर्मानुष्ठान करते हुए ईश्वर भक्त बने रहें तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।
- तृतीय वचन
- जीवनं अवस्थात्रये मम पालनां कुर्यात्
- वामांगंयामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं तृ्तीयम् ॥
- (तीसरे वचन में कन्या कहती है कि) आप मुझे ये वचन दें कि आप जीवन की तीनों अवस्थाओं (युवावस्था, प्रौढावस्था, वृद्धावस्था) में मेरा पालन करते रहेंगे, तो ही मैं आपके वामांग में आने को तैयार हूँ।
- चतुर्थ वचन
- कुटुम्बसंपालनसर्वकार्य कर्तु प्रतिज्ञां यदि कातं कुर्याः ।
- वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं चतुर्थम् ॥
- (कन्या चौथा वचन ये माँगती है कि) अब तक आप घर-परिवार की चिन्ता से पूर्णत: मुक्त थे। अब जबकि आप विवाह बंधन में बँधने जा रहे हैं तो भविष्य में परिवार की समस्त आवश्यकताओं की पूर्ति का दायित्व आपके कंधों पर है। यदि आप इस भार को वहन करने की प्रतीज्ञा करें तो ही मैं आपके वामांग में आने को तैयार हूँ। विवाह पश्चात कुटुम्ब पौषण हेतु पर्याप्त धन की आवश्यकता होती है। इस वचन द्वारा यह स्पष्ट है कि पुत्र का विवाह तभी करना चाहिए जब वो अपने पैरों पर खडा हो, पर्याप्त मात्रा में धनार्जन करने लगे।
- पंचम वचन
- स्वसद्यकार्ये व्यवहारकर्मण्ये व्यये मामापि मन्त्रयेथा।
- वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: पंचमत्र कन्या ॥
- (इस वचन में कन्या जो कहती है कि) अपने घर के कार्यों में, विवाहादि, लेन-देन अथवा अन्य किसी हेतु खर्च करते समय यदि आप मेरी भी मन्त्रणा लिया करें तो मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।
- षष्ट वचन
- न मेपमानमं सविधे सखीनां द्यूतं न वा दुर्व्यसनं भंजश्चेत् ।
- वामाम्गमायामि तदा त्वदीयं ब्रवीति कन्या वचनं च षष्ठम ॥
- (कन्या कहती है कि) यदि मैं अपनी सखियों अथवा अन्य स्त्रियों के बीच बैठी हूँ तब आप वहाँ सबके सम्मुख किसी भी कारण से मेरा अपमान नहीं करेंगे। यदि आप जुआ अथवा अन्य किसी भी प्रकार के दुर्व्यसन से अपने आप को दूर रखें तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।
- सप्तम वचन
- परस्त्रियं मातृसमां समीक्ष्य स्नेहं सदा चेन्मयि कान्त कुर्या ।
- वामांगमायामि तदा त्वदीयं ब्रूते वच: सप्तममत्र कन्या ॥
- (अन्तिम वचन के रूप में कन्या ये वर मांगती है कि) आप पराई स्त्रियों को माता के समान समझेंगें और पति-पत्नि के आपसी प्रेम के मध्य अन्य किसी को भागीदार न बनाएंगें। यदि आप यह वचन मुझे दें तो ही मैं आपके वामांग में आना स्वीकार करती हूँ।