कवि
जो व्यक्ति कविता लिखता है
उक्तियाँ
सम्पादन- अपारे काव्यसंसारे कविरेकः प्रजापतिः।
- यथाऽस्मै रोचते विश्वं तथा वै परिवर्तते ॥ -- अग्निपुराण / ध्वन्यालोक, तृतीय उद्योत
- इस अपार काव्य संसार में कवि ही अकेला प्रजापति (ब्रह्मा) है। उसे जैसा विश्व अच्छा लगता है, यह उसे (विश्व को) वैसा ही बना देता है।
- नियतिकृतनियमरहितां ह्लादैकमयीमनन्यपरतन्त्राम्।
- नवरसरुचिरां निर्मितमादधती भारती कवेर्जयती ॥ -- काव्यप्रकाश, आनन्दमंगल, प्रथमउल्लास
- विधाता के द्वारा निर्मित नियमों से रहित, आह्लादमयी, अपने अतिरिक्त अन्य समस्त कार्यकलाप की अधीनता से परे, अलौकिक रस से भरी और नितान्त मनोहर कवि-भारती की जय हो।
- वियोगी होगा पहला कवि, आह से उपजा होगा गान,
- निकल कर आँखों से चुपचाप, बही होगी कविता अनजान! -- सुमित्रानन्दन पन्त
- जहाँ न पहुँचे रवि, तहाँ पहुँचे कवि ।
- यम कुबेर दिगपाल जहांते, कबि कोबिद कहि सके कहां ते। -- तुलसीदास, हनुमान के बारे में
- गद्यं कवीनां निकषं वदन्ति -- दण्डी
- गद्यकाव्य को कवियों की कसौटी कहते हैं।
- कविर्दण्डी कविर्दण्डी कविर्दण्डी न संशयः
- दण्डी (ही) कवि हैं, दण्डी (ही) कवि हैं, दण्डी (ही) कवि हैं - इसमें कोई सन्देह नहीं।