पाणिनि

वैयाकरण, आधुनिक संस्कृत के पिता।

पाणिनि (ईसापूर्व चौथी शताब्दी) संस्कृत के महान वैयाकरण थे जिन्होंने अष्टाध्यायी नामक व्याकरण ग्रन्थ की रचना की।

उक्तियाँ सम्पादन

  • अर्थवदधातुरप्रत्ययः प्रातिपदिकम् ॥ -- अष्टाध्यायी
अर्थवान् या सार्थक शब्द ही प्रातिपादिक (मूल संज्ञाशब्द या प्राकृत) हैं।

पाणिनि के बारे में उक्तियाँ सम्पादन

  • सिंहो व्याकरणस्य कर्तुरहरत्प्राणान् प्रियान् पणिनेः। -- पञ्चतन्त्र
सिंह ने व्याकरण के रचयिता पाणिनि के प्रिय प्राणों को हर लिया।
  • यद्यपि पाणिनीय व्याकरण की प्रसिद्धि बहुत कम है क्योंकि यह एक विशिष्ट प्रकृति का ग्रन्थ है, फिर भी इसमें कोई सन्देह नहीं है कि पाणिनि का व्याकरण किसी भी प्राचीन सभ्यता की सबसे महान बौद्धिक उपलब्धियों में से एक है और १९वीं शताब्दी के पहले विश्व के किसी भी भाग में निर्मित व्याकरणों में सबसे विस्तृत एवं वैज्ञानिक व्याकरण है। -- प्रोफेसर ए एल बाशम (२०१३)
  • पाणिनि का मस्तिष्क असाधारण था। उन्होंने एक ऐसी मशीन बनायी जो मानव इतिहास में अद्वितीय है। पाणिनि ने हमसे यह अपेक्षा नहीं कि थी कि उनके नियमों में ह कुछ नये विचार जोड़ेगें। पाणिनीय व्याकरण के साथ हम जितना अधिक खिलवाड़ करते हैं, उतना ही यह हमसे दूर होता जाता है। -- ऋषि राजपुरोहित, जो कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में पाणिनीय व्याकरण पर एक शोध पत्र लिख रहे हैं। (15 दिसम्बर २०२२)