संस्कृत
विश्व की प्राचीन एवं समृद्ध भाषा
संस्कृत एक अति प्राचीन भाषा है जिसमें विपुल साहित्य है। यह साहित्य जितना विशाल है, उतना ही विविध भी है। संस्कृत भारोपीय भाषा परिवार की सबसे महत्वपूर्ण भाषा मानी जाती है।
उक्तियाँ
सम्पादन- भारतस्य प्रतिष्ठे द्वे संस्कृतम् संस्कृतिस्तथा ।
- अर्थ : भारत की प्रतिष्ठा दो विषयों में निहित है , संस्कृत और संस्कृति ।
- जब तक हमारे विद्वान, विचारक और शिक्षाविद संस्कृत से अनभिज्ञ रहेंगे तब तक हमारी सम्पूर्ण संस्कृति, साहित्य और जीवन अपूर्ण बना रहेगा। -- भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद
- संस्कृत साहित्य का यूरोप पर इतना अधिक बौद्धिक ऋण है कि उसे अस्वीकार नहीं किया जा सकता। आने वाले वर्षों में यह ऋण और बढ़ने की सम्भावना है। हम तो अपनी वर्णमाला तक को परिपूर्ण नहीं बना पाए हैं। (प्रोफ मैक्डोनेल)
- संस्कृत में जितनी स्पष्टता और दार्शनिक परिशुद्धता है, उतनी ग्रीक सहित विश्व की किसी भी भाषा में नहीं है। -- Friedrich von Schlegel
- संस्कृत भाषा की प्राचीनता जो भी हो, इसकी संरचना आश्चर्यजनक है। यह ग्रीक से अधिक पूर्ण (दोषरहित) है, लैटिन से अधिक शब्दबहुल है, और इन दोनों की अपेक्षा अधिक उत्कृष्टतापूर्वक परिशोधित है; फिर भी क्रियाओं के मूलों के रूप में और व्याकरण के रूपों में, इसका इन दोनों भाषाओं के साथ बहुत दृढ़ सम्बन्ध दिखता है, जिसके केवल संयोग से उत्पन्न होने की स्म्भावना कम है। इन तीनों में इतना दृढ़ सम्बन्ध है कि इनका विश्लेषण करके कोई भी भाषाशास्त्री इनके समान स्रोत से निकलने के ही निष्कर्ष पर पहुंचेगा। किन्तु वह स्रोत अब शायद बचा नहीं नहीं है। -- विलियम जोन्स
- भारत हमारी सम्पूर्ण (मानव) जाति की जननी है तथा संस्कृत यूरोप के सभी भाषाओं की जननी है। भारतमाता हमारे दर्शनशास्त्र की जननी है, अरबों के रास्ते हमारे अधिकांश गणित की जननी है, बुद्ध के रास्ते इसाईयत मे निहित आदर्शों की जननी है, ग्रामीण समाज के पथ स्व-शाशन और लोकतंत्र की जननी है। अनेक प्रकार से भारत माता हम सबकी माता है। -- विल्ल डुरन्ट , अमरीकी इतिहासकार
- संस्कृत न केवल जीवित है बल्कि यह मृत को जीवित करने की औषधि भी है। -- सम्पूर्णानन्द
- संस्कृत में क्या बुराई है? -- भीमराव आम्बेडकर, जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने संस्कृत को भारत की राजभाषा बनाने का प्रस्ताव क्यों किया।
- संस्कृत विश्व की सर्वश्रेष्ठ भाषा है। -- मैक्स मूलर
- संस्कृत के अध्ययन के बिना कोई व्यक्ति सच्चा भारतीय और सच्चा विद्वान नहीं हो सकता। -- महात्मा गांधी
- संस्कृत भाषा के अभिव्यक्ति की विशालता, बहुमुखी प्रतिभा और शक्ति की सराहना इस तथ्य से की जा सकती है कि इस भाषा में पृथ्वी के विभिन्न रूपों का वर्णन करने के लिए ६५ शब्द हैं, पानी के लिए 67 शब्द हैं और वर्षा का वर्णन करने के लिए २५० से अधिक शब्द हैं। -- बंशी पण्डित
- संस्कृत हमारे रक्त में प्रवाहित होती है। केवल संस्कृत ही इस देश की एकता को स्थापित कर सकती है। (डॉ सी वी रमन, संस्कृत को भारत की राजभाषा बनाए जाने के प्रश्न पर)
- यदि आपको एक भाषा स्वीकार करनी है तो विश्व की सर्वश्रेष्ठ भाषा क्यों नहीं स्वीकार करते? (नजीरुद्दीन अहमद, संविधान सभा में भारत की राजभाषा पर चर्चा के समय)
- संस्कृत एक समय विश्व की एकमात्र भाषा थी। यह भाषा ग्रीक और लैटिन से अधिक परिपूर्ण और विपुल है। (Prof. Bopp)
- मैं निम्न जाति के लोगों से कहना चाहता हूँ कि अपनी स्थिति को ऊँचा उठाने का एकमात्र रास्ता संस्कृत का अध्ययन है और यही उनकी एकमात्र सुरक्षा है। आप लोग संस्कृत के विद्वान क्यों नहीं बनते? भारत की सभी जातियों तक संस्कृत शिक्षा पहुँचाने के लिए आप करोड़ों क्यों नहीं लगाते? यही प्रश्न है। जिस क्षण आप यह करेंगे, आप ब्राह्मण के बराबर हो जाएंगे। -- स्वामी विवेकानन्द
- संस्कृत भाषा, देवभाषा है। यह सत्य युग की भाषा है जो वाक् और अर्थ के सत्य और पूर्ण सम्बन्ध पर आधारित है। इसके प्रत्येक स्वर और व्यञ्जन में एक विशेष अन्तर्भूत शक्ति है जो उनकी प्रकृति के कारण है, किसी विकास के कारण या मानव द्वारा चुना हुआ नहीं है। -- श्री अरविन्द , ‘Hymns to the Mystic Fire’)
- सभ्यता के इतिहास में, पुनर्जागरण के बाद, अट्ठारहवीं शताब्दी के उत्तरार्ध में संस्कृत साहित्य की खोज से बढकर विश्वव्यापी महत्व की कोई दूसरी घटना नहीं घटी है। (आर्थर अन्थोनी मैक्डोनेल्ड)
- जब हम संस्कृत साहित्य पर ध्यान डालते हैं तो अनन्त की संकल्पना हमारे सामने आ जाती है। सबसे लंबा जीवन भी उन कार्यों के अवलोकन के लिए पर्याप्त नहीं होगा जो भारत की सीमा से परे हिमालय की तरह हर देश की विशालतम संरचना से ऊपर उभरे और फूले हुए हैं। -- विलियम जोन्स
- पाणिनि का व्याकरण, विश्व के व्याकरणों में सर्वश्रेष्ठ है। यह मानव आविष्कार और उद्योग की सबसे शानदार उपलब्धियों में से एक है। -- सर डब्ल्यू हन्टर
- संस्कृत की संरचना की अप्रतिम पारदर्शिता इसे भारत-यूरोपीय परिवार की भाषाओं में प्रथम स्थान का निर्विवाद अधिकार देती है। -- प्रो० ह्विटनी
- संस्कृत, योरप की आधुनिक भाषाओं की जननी है। - M. Dukois
- सभी लोग पाणिनि के व्याकरण को विश्व का सबसे छोटा और पूर्ण व्याकरण स्वीकार करते हैं। -- प्रो० वेबर
- हिन्दुओं के अलावा कोई भी राष्ट्र अभी तक ध्वनिविज्ञान की इतनी उत्तम प्रणाली की खोज नहीं कर सका है। -- प्रो० विल्सन
- संस्कृत के व्यंजनों का विन्यास, मानव प्रतिभा का अद्वितीय उदाहरण है। -- प्रो० थॉम्पसन
- संस्कृत हर मनुष्य की भाषा है, चाहे वह किसी भी जाति (race) का हो। -- डॉ शहीदुल्लाह, ढाका विश्वविद्यालय के प्रोफेसर
- यदि आप इस कठिनाई (संस्कृत भाषा सीखने की) से पार पाना चाहते हैं तो यह आसान नहीं होगा क्योंकि अरबी भाषा की तरह शब्दों तथा विभक्तियों, दोनों में ही इस भाषा (संस्कृत) की पहुंच बहुत विस्तृत है। इसमें एक ही वस्तु के लिए कई शब्द, मूल तथा व्युत्पन्न, दोनों प्रयुक्त होते हैं और एक ही शब्द का प्रयोग कई वस्तुओं के लिए होता है। -- अलबरूनी, संस्कृत के बारे में, अपनी पुस्तक 'किताब-उल-हिंद' में