अर्थ - सभी गुण स्वर्ण (धन) पर ही आश्रित हैं।
  • अर्थ इत्येव सर्वेषां कर्मणामव्यतिक्रमः ।
न ऋतेऽर्थेन वर्तेते धर्मकामाविति श्रुतिः ॥ -- महाभारत शान्तिपर्व
अर्थ ही समस्त कर्मों की मर्यादा के पालन में सहायक है। अर्थ के बिना धर्म और काम भी सिद्ध नहीं होते - ऐसा श्रुति का कथन है।
  • सुखस्य मूलं धर्मः। धर्मस्य मूलं अर्थः। अर्थस्य मूलं राज्यम् । -- चाणक्य
सुख का मूल धर्म है। धर्म का मूल अर्थ है। अर्थ का मूल राज्य है।
  • अन्ने प्राणाः प्रजाः सर्वा धने तच्च प्रतिष्ठितम् ।
धनवान्धर्ममाप्नोति धनवान्काममश्नुते ॥ -- विष्णुधर्मोत्तरपुराण
प्राण अन्न में होते हैं और अन्न धन में प्रतिष्ठित है। धनवान को धर्म की प्राप्ति होती है और धनावान की कामनाएँ पूर्ण होतीं हैं।
  • यस्यार्थस्तस्य मित्राणि यस्यार्थस्तस्य बान्धवाः ।
यस्यार्थः स पुमांल्लोके यस्यार्थः स च जीवति ॥ -- विष्णुधर्मोत्तरपुराण / चाणक्यनीति
जिस व्यक्ति के पास धन-संपदा होती है उसी के मित्र होते भी होती हैं। जो धनवान होता है उसी के बंधु-बांधव होते हैं। जिसके पास धन हो वही पुरुष माना जाता है और धनवान व्यक्ति ही वास्तव में जीवन है।
  • क्षणशः कणशश्चैव विद्यामर्थं च साधयेत् ।
क्षणे नष्टे कुतो विद्या कणे नष्टे कुतो धनम् ॥
एक-एक क्षण गँवाए बिना विद्या प्राप्त करनी चाहिए और एक-एक कण बचाकर धन अर्जित करना चाहिए। क्षण गँवाने वाले को विद्या प्राप्त नहीं होती, और कण नष्ट करने वाले को धन नहीं मिलता।
  • अधमा धनमिच्छन्ति धनं मानं च मध्यमाः।
उत्तमा मानमिच्छन्ति मानो हि महतां धनम्॥
अधम (मनुष्य) धन की इच्छा करतें हैं, मध्यम धन और मान चाहते हैं, किन्तु उत्तम केवल मान चाहते हैं। महापुरुषों का धन मान ही है।
  • उपार्जितानां वित्तानां त्याग एव हि रक्षणम् ।
तडागोदरसंस्थानां परिस्राव इवाम्भसाम्॥ -- चाणक्य
कमाए हुए धन को खर्च करना ही उसकी रक्षा है। जैसे तालाब का जल के बहते रहने से ही साफ रहता है। (अगर पानी एक जगह पर लंबे समय तक ठहर जाए तो वो सड़ जाता है और किसी और किसी काम का नहीं रहता। इसी प्रकार धन का प्रवाह भी बना रहना चाहिए।)
  • निर्धनता से लज्जा पैदा होती है। लज्जा से पराक्रम नष्ट होता है। पराक्रम न होने से अपमान होता है। अपमान से दुःख मिलता है। दुःख से शोक होता है। शोक से बुद्धि नष्ट हो जाती है और बुद्धि न होने से नाश हो जाता है। अतः निर्धनता ही सब आपत्तियों की आधारशिला है। -- हितोपदेश
  • धनेन लभ्यते प्रज्ञा प्रज्ञया लभ्यते धनम् ।
प्रज्ञार्थौ जीवलोकेऽस्मिन्परस्परनिबन्धनौ ॥ -- समयमातृका
धन से प्रज्ञा प्राप्त होती है और प्रज्ञा से धन मिलता है। इस जीवलोक में प्रज्ञा एवं धन एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं ।
  • ईश्वरः स जगत्पूज्यः स वाग्मी चतुराननः ।
यस्यास्ति द्रविणं लोके स एव पुरुषोत्तमः ॥ -- समयमातृका
इस संसार में जिस व्यक्ति के पास धन है वही ईश्वर है अर्थात् सब कुछ करने में समर्थ है, वही संसार के प्राणियों में पूज्य है, वही चतुर वक्ता है, वही चतुरानन अर्थात् ब्रह्मा के समान महान् पण्डित एवं कर्त्ता है, वही पुरुषश्रेष्ठ है।
  • अज्ञातकालोचितकर्मयोगा रोगा इवाहर्निशपच्यमानाः ।
जगत्त्रये देवमनुष्यनागाः प्रज्ञादरिद्राः खलु सर्व एव ॥ -- समयमातृका
प्राण से भी अधिक प्रिय यह धन न कुल से, न शील से, न रूप से और न विद्या से प्राप्त होता है, यह केवल बुद्धि से प्राप्त होता है। किन्तु इस त्रिजगती में देवता, मनुष्य, नाग आदि सभी प्रज्ञाहीन हैं जो कालोचित कर्म नहीं जानते जिसके कारण रोग की भांति रात-दिन पकते रहते हैं।
  • अतिव्ययोऽनपेक्षा च तथाऽर्जनमधर्मतः ।
मोक्षणं दूरसंस्थानं कोष-व्यसनमुच्यते ॥
अत्यधिक खर्च, धन की देखभाल न करना, अधर्म या अन्याय द्वारा कमाना, मनमाना त्याग, अपने से दूर (छिपाकर) रखना - ये धन के विनाश के कारण हैं।
  • अलब्धं चैव लिप्सेत लब्धं रक्षेत् प्रयत्नतः।
रक्षितं वर्धयेच् चैव वृढं पात्रेषु निक्षिपेत्॥ -- हितोपदेश
  • अलब्धं चैव लिप्सेत लब्धं रक्षेत्प्रयत्नतः ।
रक्षितं वर्धयेच्चैव वृद्धं पात्रेषु निक्षिपेत् ॥ -- मनुस्मृति, अध्याय-७ ; हितोपदेश
अप्राप्त वस्तु (धन, सम्पत्ति) को प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिये। प्राप्त वस्तु की प्रयत्नपूर्वक रक्षा करनी चाहिए। रक्षित की वृद्धि करनी चाहिये तथा बढ़े हुए धन को सुपात्रों में बांट देना चाहिये।
  • सम्पदा सुस्थितमन्यो भवति स्वल्पयापि यः ।
कृतकृत्यो विधिर्मन्ये न वर्धयतितस्य ताम् ॥ -- शिशुपालवध
थोड़ी-सी सम्पत्ति से जो स्वयं को सुस्थिर मानता है, भाग्य भी अपने को कृतकृत्य मानता हुआ उसकी सम्पत्ति को नहीं बढ़ाता ।
  • आपदर्थे धनं रक्षेच्छ्रीमतांकुतः किमापदः। ।
कदाचिच्चलिता लक्ष्मीः सञ्चिताऽपि विनाश्यति ॥ -- चाणक्यनीति ८०, १/७
आपत्ति को दूर करने के लिए धन की रक्षा करें, धनी को विपत्तियाँ कैसी? क्योंकि लक्ष्मी चंचल है । अतः इसके कारण कभी एकत्रित धन भी नष्ट हो जाता है ।
  • जीवामि शतवर्ष तु नन्दाभि च धनेन च ।
इति बुद्धया सञ्चिनुयाद् धनं विद्यादिकं सदा ॥ -- शुक्रनीति, ३/१७८, १७६
मैं बहुत दीर्घजीवी होकर धन के द्वारा अधिक सुख भोगूँगा, ऐसा समझकर मनुष्य को सदैव धन और विद्यादि का सञ्चय करते रहना चाहिए ।
  • अर्थवान् सर्वलोकस्य बहुमतः। -- चाणक्यसूत्र २५५
अर्थवान को सभी लोग सार्वजनिक सम्मान देते हैं।
  • अधनस्य बुद्धिर्न विद्यते। -- चाणक्यसूत्र २९१
धनहीन के पास बुद्धि नहीं रहती।
  • आरोग्यं विद्वत्ता सज्जनमैत्री महाकुले जन्म ।
स्वाधीनता च पुंसां महदैश्वर्यं विनाप्यर्थैः ॥ -- महाभारत शान्तिपर्व ; शार्ङ्गधरपद्धति श्लोकः ३१७
आरोग्य, विद्वत्ता, सज्जनोंसे मैत्री, श्रेष्ठ कुल में जन्म, दुसरों के उपर निर्भर न होना - धन नही होते हुए भी यह सब पुरूषों का एैश्वर्य है।
  • सर्वेषामेव शौचानामर्थशौचं परं स्मृतम् ।
योऽर्थे सुचिहि स शुचिर्न मृद्वारिशुचिः शुचिः ॥ -- मनुस्मृति
सभी पवित्रताओं में धन की पवित्रता ही श्रेष्ठ है। अर्थ की पवित्रता ही पवित्रता है, मिट्टी या जल की पवित्रता पवित्रता नहीं है।
  • जहाँ सुमति तंह सम्पत्ति नाना । जहाँ कुमति तंह बिपति निधाना ॥ -- तुलसीदास
  • सम्पदा तो बुरे सेवक के समान हैं जो सैदेव चलते रहते हैं और एक स्वामी के साथ अधिक नहीं ठहरते। -- बर्क
  • ९९ प्रतिशत समस्याओं को पैसे से हल किया जा सकता है - और शेष १ प्रतिशत के लिए अल्कोहल है। -- Quentin R. Bufogle
  • नियम १: पैसा कभी न खोएं। नियम २: नियम १ को कभी न भूलें। -- वारेन बफेट
  • अगर आज आप जो करना चाहते हैं वे काम नहीं करते तो 20 साल बाद आपको उन लोगों से ज्यादा अफ़सोस होगा जिन्होंने जो चाहा वो काट्वेनम किया। -- मार्क
  • अगर आप अपने समय की कद्र नहीं करते तो कोई दूसरे भी नहीं करेंगे। अपना टाइम और प्रतिभा लुटाना बंद कीजिये। आप जो जानते हैं उसको महत्त्व दीजिये और उससे कमाना शुरू कीजिये। -- किम गर्स्ट
  • अगर आप अमीर होते, तो बचत करने के बारे में सोचते। -- बेंजामिन फ्रैंकलिन
  • अगर मन में ठान लिया तो आधी जीत हो गई। -- थियोडोर रूसवेल्ट
  • अगर हमारी दौलत पर हमारा नियंत्रण है तो हम अमीर हैं, आजाद हैं। यदि हमारी दौलत हम पर नियंत्रण कर लेती है तो हम वास्तव में गरीब हैं। -- एडमंड बुर्के
  • अन्य लोगो को महत्वपूर्ण मानते हुए अपने लक्ष्यों को निर्धारित न करें। -- जाचिनमा एनई
  • अपने ज्ञान में निवेश करना आपको अच्छा ब्याज दिलाता है। -- बेंजामिन फ्रेंकलिन
  • अमीर लोगों के पास छोटा टीवी होता है और बड़ी लाइब्रेरी होती है जबकि गरीब लोगों के पास छोटी लाइब्रेरी होती है और बड़ा सा टीवी होता है। -- जिग जिगलर
  • अमीर लोगों के पास छोटे टीवी और बड़े पुस्तकालय होते हैं, और गरीब लोगों के पास छोटे पुस्तकालय और बड़े टीवी होते हैं। -- ज़िग जिग्लार
  • अरब-खरब धन जोडियें, करिये लाख फरेब, इसे रखोगे तुम कहाँ नहीं कफ़न में जेब।
  • असंतोष और निराशा जो आप महसूस करते हैं वह पूरी तरह से आपकी रचना है। -- स्टीफन रिचर्ड्स
  • असफलता के बाद असफलता पर भी उत्साह बना रहे, यही कामयाबी है। -- विंस्टन चर्चिल
  • आप कितने ऐसे लोगों को जानते हैं जिन्होंने बचत खातों में निवेश करके दौलत कमाई हो? रोबर्ट जी। एलेन
  • आप जिस चीज को पसंद करते हैं वही सही से सीख सकते हैं। पैसे को अपना लक्ष्य मत बनाइये बल्कि जो काम करना चाहते हैं उसको लक्ष्य बनाइये, और फिर उस काम को इतना कुशलता से कीजिये कि दुनिया की नज़रे आपसे हट ही ना पाए। -- माया एन्गलू
  • आप पैसे के बिना युवा हो सकते हैं, लेकिन आप इसके बिना बूढ़े नहीं हो सकते हैं। -- टेनेसी विलियम्स
  • आपकी खाली जेब के कारण कोई वापस नहीं आयेगा। केवल खाली दिमाग और खाली दिल यह काम कर सकते हैं। -- नार्मन विन्सेंट पील
  • आपकी वैल्यू क्या है, यह मुझे मत बताइए। अपना बजट दिखाइए, मैं आपको बता दूंगा आपकी क्या वैल्यू है। -- जो बिडेन
  • आपकी संपत्ति का वास्तविक माप यह है कि यदि आप अपना पूरा पैसा खो देते हैं तो आप कितना मूल्यवान होंगे। -- -Anonymous
  • आपको अपने पैसे पर नियंत्रण प्राप्त करना होगा या इसकी कमी हमेशा के लिए आपको नियंत्रित करेगी। -- डेव रैमसे
  • आपको अपने पैसे पर नियंत्रण लेना चाहिए अन्यथा यह आप पर नियंत्रण कर लेगा। -- डेव रामसे
  • इनोवेशन एक नेता और एक अनुयायी में अंतर बताता है। -- स्टीव जॉब्स
  • इस बात का ज्यादा महत्व नहीं है कि आप कितना पैसा कमाते हो बल्कि महत्व इस बात का है कि आप कितना पैसा अपने पास रख पाते हो और वो पैसा आपके लिए कितना काम करता है और आप उस पैसे को कितनी पीढ़ियों तक अपने पास रख पाते हो। -- रोबर्ट टी। कियोसाकी
  • इंसान कहता हैं कि पैसा आये तो मैं कुछ कर के दिखाऊ और पैसा कहता हैं कि तू कुछ कर तो मैं आऊं.
  • ईश्वर धन और सम्पत्ति उन्हीं मूर्खों को प्रदान करता है जिन्हें वह इसके अतिरिक्त और कोई अच्छी वस्तु प्रदान नहीं करता। -- लूथर
  • एक बुद्धिमान इन्सान को पैसा दिमाग में रखना चाहिए, दिल में नहीं। -- जोनाथन स्विफ्ट
  • एक सफल व्यक्ति वह है जो दूसरों के द्वारा फेंके ईंटों के साथ दृढ़ नींव रख सकता है। -- डेविड ब्रिंकले
  • एक हजार मील की यात्रा एक ही कदम से शुरू होनी चाहिए। -- लाओ त्सू
  • कम खर्च करने की आदत में कई गुण छुपे रहते हैं। -- सिसेरो
  • कामयाब इन्सान वह होता है जो दूसरों द्वारा उस पर फेंके गए पत्थरों से इमारत बना लेता है। -- डेविड ब्रिंकले
  • किसी और की मोमबत्ती को मत बुझाओ क्योंकि इससे तुम्हारा चमक उज्ज्वल नहीं होगा। -- जाचिनमा एनई
  • कोई भला आदमी कभी अचानक ही धनी नहीं बन गया। -- साइरस
  • कोई भी बुरा आदमी कभी दौलत से शांति प्राप्त नहीं कर पाया है। -- प्लेटो
  • कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति का दास नहीं होता है, बल्कि वह पैसों का दास होता है।
  • कोई हालात इतना महत्वपूर्ण नहीं होता है बल्कि हम किसी हालात में अपनी प्रतिक्रिया नकारात्मक या सकारात्मक देते हैं, यह महत्वपूर्ण है। -- जिग जिगलर
  • खुशी केवल धन के होने से नहीं है; यह रचनात्मक प्रयास के रोमांच में, उपलब्धि की खुशी में निहित है। -- फ्रैंकलिन डी रूजवेल्ट
  • ख़ुशी पैसे का मालिक बनाने से नहीं मिलती बल्कि यह उपलब्धि के आनंद में छिपी है, रचनात्मक कोशिश के थ्रिल में छिपी है। -- फ्रेंकलिन डी। रूजवेल्ट
  • गरीबी और अमीरी दोनों ही विचार की संतान हैं। -- नेपोलियन हिल
  • जब आप बहुत पैसा कमाते हैं तो सभी पापों को क्षमा किया जाता है। -- रुपाउल
  • जब आप मान लेते हैं कि आप कर सकते हैं तो मान कर चलिए आधा काम तो कर चुके। -- थिओडोर रूजवेल्ट
  • जब आप शेयर खरीदो तो अपने आप से पूछिये कि क्या आप पूरी कंपनी खरीदेंगे? रेने रिवकिन
  • जब तक आप सोचने जा रहे हैं, तब तक बड़ा सोचें। -- डोनाल्ड ट्रम्प
  • जब तक पैसा हाथ में ना आये उसको खर्च करने की योजना मत बनाइये। -- थॉमस जेफरसन
  • जब सब बेच रहे हों तब आप रुकिए जब तक कि सब वापस खरीदना शुरू ना करें। यह कोई नारा नहीं है। यह कामयाब निवेश का एक सार है। -- जे। पॉल गेट्टी
  • जितना अधिक आप सीखते हैं, उतना अधिक आप कमाते हैं। -- फ्रैंक क्लार्क
  • जितनी बार आप उधार लेते हो, आप अपना भविष्य खराब करते हो। -- नाथन डब्लू. मोरिस
  • जिसका पैसा गया, उसका कुछ गया; जिसका दोस्त गया, उसका कुछ ज्यादा गया; जिसका विश्वास गया, उसका सबकुछ गया। -- एलेनोर रूजवेल्ट
  • जिसके पास कम है और वह कम ही चाहता है तो वह अमीर है उस आदमी से जिसके पास बहुत कुछ है पर वह और ज्यादा चाहता है। -- चार्ल्स कैलेब कोल्टन
  • जी भर के जीयें। इस तरह से सीखिए जैसे कि आपको यहां हमेशा रहना है। -- महात्मा गांधी
  • जीवन का समय अत्यंत लघु हैं, अतः जितनी जल्दी अपने धन का उपभोग कर सकते हैं उतना ही अच्छा हैं। -- सैमुअल जॉनसन
  • जो धनी होना चाहता है वह कभी निर्दोष नहीं हो सकता। -- बाइबल
  • जो भी अपने साधनों में रहता है वह कल्पना की कमी से पीड़ित है। -- ऑस्कर वाइल्ड
  • ज्ञान में निवेश सर्वोत्तम ब्याज का भुगतान करता है। -- बेंजामिन फ्रैंकलिन
  • झुकाव में अन्य सभी सदगुण शामिल हैं। -- सिसरो (Cicero)
  • देश की सम्पत्ति तो मनुष्य हैं – रेशम, कपास या स्वर्ण नहीं। -- रिचार्ड हावे
  • दौलत अपने अधिकार में बहुत सी वस्तुएं होने से नहीं होती, बल्कि कम इच्छाओं के होने से मानी जाती है। -- एपिक्टेट्स
  • दौलत उसकी नहीं होती जिसके पास यह होती है बल्कि यह उसकी होती है जो इसका आनंद उठाता है। -- बेंजामिन फ्रेंकलिन
  • दौलत ज़िन्दगी को पूरी तरह अनुभव करने की योग्यता का होना है। -- हेनरी डेविड थोरे
  • दौलत समुद्र के पानी की तरह होती है। जितना हम पीते हैं उतना ही प्यास बढ़ जाती है। यही बात प्रसिद्धि के साथ भी जुडी है। -Arthur Schopenhauer
  • धन अक्सर बहुत अधिक खर्च होता है। -- राल्फ वाल्डो इमर्सन
  • धन पूरी तरह से जीवन का अनुभव करने की क्षमता है। -- हेनरी डेविड थोरयू
  • धन या तो अपने स्वामी की सेवा करता है या उस पर शासन। -- होरेस
  • नियोक्ता सैलरी नहीं देता। नियोक्ता तो केवल पैसे को हैंडल करता है। सैलरी तो ग्राहक देता है। -- हेनरी फोर्ड
  • निवेश ऐसा होना चाहिए जैसे कि रंग को सूखते हुए देखना या फिर घास को उगते हुए देखना। यदि आप में धीरज नहीं है तो आप ८०० डॉलर लो और लास वेगास चले जाओ। -- पल सेमुअल्सन
  • पूंजी ऐसी बुराई नहीं है; इसका गलत उपयोग है जो बुराई है। किसी न किसी रूप में पूंजी की हमेशा जरूरत होगी। -- महात्मा गांधी
  • पैसा अक्सर ज्यादा कीमत मांगता है। -- राल्फ वाल्डो एमर्सन
  • पैसा अर्जित किया बिना है इसे कभी भी अपना पैसा खर्च न करें। -- थॉमस जेफरसन
  • पैसा एक ड्राईवर की तरह होता है। जहाँ आप चाहोगे ये आप को ले जायेगा, लेकिन यह आपको ड्राईवर नहीं बनाने देगा। -- जिम रोहन
  • पैसा एक भयानक गुरु है लेकिन एक उत्कृष्ट नौकर है। -- P.T. Barnum
  • पैसा एक भयानक मालिक है पर शानदार नौकर है। -- पी.टी. बेरनम
  • पैसा कमाना कोई बड़ी बात नही हैं पर परिवार के साथ रोटी खाना बड़ी बात हैं.
  • पैसा जो सबसे अच्छी चीज खरीद सकता है वह वित्तीय स्वतंत्रता है। -- Rob Berger, Forbes Staff
  • पैसा दृढ़ता के पेड़ पर बढ़ता है। -- जापानी कहावत
  • पैसा बचाना ही पैसा कमाना है -- बेंजामिन फ्रैंकलिन
  • पैसा से आप ख़ुशी नहीं खरीद सकते, लेकिन पैसे की कमी निश्चित रूप से आपको दुख पहुंचाती है। -- डैनियल कन्नमन
  • पैसे की कमी सभी बुराइयों की जड़ है। -- मार्क ट्वैन
  • पैसे के तीन प्रयोग होते हैं – दान, भोग और नाश।
  • पैसे से इन्सान को कभी ख़ुशी नहीं मिली, ना ही कभी मिलेगी। जितना ज्यादा पैसा उसे मिलता है उतना ही वो और भी चाहता है। एक खालीपन को भरने की बजाय वो एक खाली जगह और तैयार कर लेता है। –बेंजामिन फ्रेंकलिन
  • पैसे से सबसे अच्छी जो चीज खरीदी जा सकती है वह है आर्थिक आजादी। -- अज्ञात
  • फाइनेंसियल शांति वस्तुओं से नहीं आ सकती। यह तो एक बात सीखनी पड़ेगी कि जितना आप कमा रहे हो, उससे काम में कैसे जिया जाये, ताकि आप बचे हुए पैसे को वापस निवेश कर सको। जब तक आप यह नहीं करोगे, आप जीत नहीं सकते। -- डेव रामसे
  • बहुत से लोग अर्जित धन खर्च करते हैं, उन चीज़ों को खरीदने के लिए जिनकी उनको आवश्यकता नही हैं, उन लोगों को प्रभावित करने के लिए जिन्हें वे पसंद नहीं करते हैं। -- विल रोजेर्स
  • बोलने से पहले सुन लो। लिखने से पहले सोच लो। खर्च करने से पहले कमाई करो। निवेश करने से पहले, जाँच करो। आलोचना करने से पहले इंतज़ार करो। प्रार्थना करने से पहले माफ़ करो। छोड़ने से पहले कोशिश कर लो। रिटायर होने से पहले, बचत कर लो। मरने से पहले, देना सीखो। -- विलियम ए। वार्ड
  • भाग्य उसका ही साथ देता है जो साहस करता है। -- वर्जिल
  • मुझे पैसा पसंद है। इससे जुडी हर बात मुझे लगती है।-- स्टीव मार्टिन
  • मुझे लगता है कि अगर आप गलत जगहों पर खरीदारी करते हैं तो पैसा ख़ुशी नहीं खरीद सकता है। -- नोरा रॉबर्ट्स
  • मैं अमीर इसलिए हूँ क्योंकि मैं जानता हूँ कि मैं कब मैं गलत होता हूँ…मैं अपनी गलतियों को पहचान कर जिया हूँ। -- जोर्ज सोरोस
  • मैं ऐसा गरीब होना चाहूँगा जिसके पास बहुत सारा पैसा हो। -- पाब्लो पिकासो
  • मैं किस्मत में बहुत विश्वास करता हूँ और जितना मैं ज्यादा काम करता हूँ उतना ही किस्मत का मालिक मैं बन जाता हूँ। -- थॉमस जेफरसन
  • मैं बहुत सारे पैसे के साथ एक गरीब आदमी के रूप में रहना चाहता हूँ। -- पब्लो पिकासो
  • मैं वाल स्ट्रीट पर अमीर बनाने का सीक्रेट बताऊंगा। जब दूसरे डरे हों तो आप लालच बन जाओ। जब दूसरे लालच कर रहे हों तो आप डरे रहो। -- वारेन बफेट
  • मैंने अपना पैसा पुराने तरीके से बनाया। मैं अपने एक दौलतमंद रिश्तेदार की बहुत ध्यान रखता था उसके मरने से पहले। –मेल्कम फ़ोर्ब्स
  • मैंने कभी स्टोक मार्किट में पैसा कमाने की कोशिश नहीं की। मैं तो इस अनुमान के साथ शेयर खरीदता हूँ कि कल ही बाजार बंद हो जायेगा और अगले दस साल नहीं खुलेगा। -- वारेन बफेट
  • यदि आप इसे सब कुछ करने के लिए जीते हैं, तो आपके पास जो कुछ भी है वह पर्याप्त नहीं है। -- विकी रॉबिन
  • यदि आप बचत कर रहे हैं, तो आप सफल हो रहे हैं। -- स्टीव बर्कहोल्डर
  • यदि आपका प्लान A असफल हो जाता है तो याद रखिये 25 अक्षर और भी हैं। -- Chris Guillebeau
  • यदि आपको सबकुछ चाहिए तो जो आपके पास होगा वो कभी प्रयाप्त नहीं होगा। -- विकी रोबिन
  • यदि तुम धनी हो तो धन बचाने का भी उतना ही ध्यान रखों जितना धन प्राप्त करने का। -- फ्रैंकलिन
  • यह अच्छी बात है कि आपके पास पैसा है और पैसे से खरीदी जाने वाली चीजें भी हैं, पर कभी कभी यह भी चेक कर आश्वस्त हो लेना चाहिए कि कहीं आपने वो चीजें तो नहीं खो दी है जो पैसा नहीं खरीद सकता है। -- जोर्ज लोरिमर
  • यह हमारी पसंद है, जो दिखाती है कि हम वास्तव में क्या हैं, हमारी क्षमताओं से कहीं अधिक है। -- J. K Rowling
  • रूपया कितना भी गिर जाएँ, इतना कभी नही गिरता जितना रूपये के लिए इंसान गिर जाता हैं.
  • वह आदमी गरीब नहीं है जिसके पास बहुत कम है, लेकिन वह आदमी जो अधिक चाहता है. -- Seneca
  • वह आदमी सबसे अमीर है जिसका सुख सबसे सस्ता है। -- हेनरी डेविड थोरयू
  • वह जो पैसे खो देता है, बहुत खो देता है; वह जो एक दोस्त को खो देता है, बहुत अधिक खो देता है; वह जो विश्वास खो देता है, सब खो देता है। -- एलेनोर रोसवैल्ट
  • व्यक्ति को अपनी सन्तान के लिए धन एकत्रित नहीं करना चाहिए। यदि पुत्र लायक होगा तो कमा लेगा और नालायक होगा तो उड़ा देगा। -- अनाम
  • संपत्ति बहुत पैसा होने के बारे में नहीं है; इसके पास बहुत सारे विकल्प हैं। -- क्रिस रॉक
  • सबसे बड़ा धन स्वास्थ हैं इसे कभी भी न भूलें। -- अज्ञात
  • समाज की आदर्श स्थिति वह नहीं है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति को सम्पत्ति का समान भाग मिलता है, अपितु आदर्श अवस्था वह है जिसमें प्रत्येक व्यक्ति उसी अनुपात में धन का हिस्सेदार होता है जिस अनुपात में वह सामान्य कोष को भरता हैं। -- हेनरी जार्ज
  • समुदाय में केवल एक वर्ग है जो अमीरों की तुलना में अधिक पैसे के बारे में सोचता है, और वह गरीब है। -- ऑस्कर वाइल्ड
  • सम्पत्ति की लोलुप वासना को बड़ी से बड़ी सम्पत्ति भी शांत नहीं कर सकती। -- जेरमि टेलर
  • सम्पत्ति वह ताकत हैं जिस पर चंद (कुछ) लोगों का नाजायज कब्जा रहता हैं, ताकि अपने फायदें के लिए वे बहुत से लोगों से जबरन श्रम कर सकें। -- सैमुअल जॉनसन
  • सामान्य पढ़ाई से आप अपना गुजारा चला सकते हैं लेकिन दौलत कमाने के लिए आपको पैसा कैसे काम करता है वो पढ़ाई सीखनी पड़ेगी। -- जिम रोहन
  • सालाना कमाई 20 पाउंड्स, सालाना खर्चा 19 पाउंड्स ; परिणाम ख़ुशी। सालाना कमाई 20 पाउंड्स, सालाना खर्चा २० पाउंड्स से ज्यादा, परिणाम गरीबी। -- चार्ल्स डिकन्स
  • हम अपना जीवन जो हमें मिलता है उससे चलाते हैं लेकिन अपना जीवन उससे बनाते हैं जो हम लोगो को देते हैं। -- विंस्टन चर्चिल
  • हम क्या चुनते हैं इससे पता चलता है कि हम असल में क्या हैं योग्यता की बात तो बाद में आती है। -- जे. के. रोलिंग
  • हर दिन एक बैंक अकाउंट जैसा होता है, और समय हमारा धन है। कोई अमीर नहीं है, कोई गरीब नहीं है, सबके पास 24 घंटे हैं। -- क्रिस्टोफर राइस
  • हर बार जब आप पैसे उधार लेते हैं, तो आप अपना भविष्य स्वयं लूट रहे हैं। -- नाथन डब्ल्यू मॉरिस

पञ्चतन्त्र में धन की प्रशंसा

सम्पादन

पंचतंत्र संस्कृत साहित्य का सुविख्यात नीतिग्रन्थ है। इस ग्रन्थ के अंतर्गत एक प्रकरण में व्यावहारिक जीवन में धन-संपदा की महत्ता का वर्णन मिलता है। उसके दो सियार पात्रों (दो भाइयों, दमनक एवं करटक) में से एक भाई दूसरे के समक्ष अधिकाधिक मात्रा में धनसम्पदा अर्जित करने का प्रस्ताव रखता है। दूसरे भाई के 'बहुत अधिक धन क्यों?' के उत्तर में वह धन के विविध लाभों को गिनाना आरम्भ करता है और धन से सभी कुछ सम्भव है, इस बात पर जोर डालता है।

  • न हि तद्विद्यते किञ्चिद्यदर्थेन न सिद्ध्यति ।
यत्नेन मतिमांस्तस्मादर्थमेकं प्रसाधयेत् ॥ -- (पंचतंत्र, मित्रलाभ)
ऐसा कुछ भी नहीं है जिसे धन के द्वारा न पाया जा सकता है । अतः बुद्धिमान् व्यक्ति को एकमेव धन अर्जित करने का प्रयत्न करना चाहिए ।
  • यस्यार्थाः तस्य मित्राणि यस्यार्थास्तस्य बान्धवाः ।
यस्यार्थाः स पुमांल्लोके यस्यार्थाः स च पण्डितः ॥ -- (पंचतंत्र, मित्रलाभ)
जिस व्यक्ति के पास धन हो उसी के मित्र होते हैं, उसी के बंधुबांधव होते हैं, वही संसार में वस्तुतः पुरुष (सफल व्यक्ति) होता है, और वही पंडित या जानकार होता है।
  • न सा विद्या न तद्दानं न तच्छिल्पं न सा कला ।
न तत्स्थैर्यं हि धनिनां याचकैर्यन्न गीयते ॥ -- (पंचतंत्र, मित्रलाभ)
ऐसी कोई विद्या, दान शिल्प (हुनर), कला, स्थिरता या वचनबद्धता नहीं है जिनके धनिकों में होने का गुणगान याचकवृंद द्वारा न किया जाता हो।
  • इह लोके हि धनिनां परोऽपि स्वजनायते ।
स्वजनोऽपि दरिद्राणां सर्वदा दुर्जनायते ॥ -- (पंचतंत्र, मित्रलाभ)
इस संसार में धनिकों के लिए पराया व्यक्ति भी अपना हो जाता है । और निर्धनों के मामले में तो अपने लोग भी दुर्जन (बुरे अथवा दूरी बनाये रखने वाले) हो जाते हैं ।
अर्थेभ्योऽपि हि वृद्धेभ्यः संवृत्तेभ्य इतस्ततः ।
प्रवर्तन्ते क्रियाः सर्वाः पर्वतेभ्य इवापगाः ॥ -- (पंचतंत्र, मित्रलाभ)
चारों तरफ से एकत्रित करके बढ़ाये गये धनसंपदा से ही विविध कार्यों का निष्पादन होता है, जैसे पर्वतों से नदियों का उद्गम होता है।
  • पूज्यते यदपूज्योऽपि यदगम्योऽपि गम्यते ।
वन्द्यते यदवन्द्योऽपि स प्रभावो धनस्य च ॥ -- (पंचतंत्र, मित्रलाभ)
धन का प्रभाव यह होता है कि जो सम्मान के अयोग्य हो उसकी भी पूजा होती है, जो पास जाने योग्य नहीं होता है उसके पास भी जाया जाता है, जिसकी वन्दना (प्रशंसा) का पात्र नहीं होता उसकी भी स्तुति होती है ।
  • अशनादिन्द्रियाणीव स्युः कार्याण्यखिलान्यपि ।
एतस्मात्कारणाद्वित्तं सर्वसाधनमुच्यते ॥ -- (पंचतंत्र, मित्रलाभ)
भोजन का जो संबंध इंद्रियों के पोषण से है वही संबंध धन का समस्त कार्यों के संपादन से है । इसलिए धन को सभी उद्येश्यों की प्राप्ति अथवा कर्मों को पूरा करने का साधन कहा गया है।
  • अर्थार्थी जीवलोकोऽयं श्मशानमपि सेवते ।
त्यक्त्वा जनयितारं स्वं निःस्वं गच्छति दूरतः ॥ -- (पंचतंत्र, मित्रलाभ)
यह लोक धन का भूख होता है, अतः उसके लिए श्मशान का कार्य भी कार्य करने को तैयार रहता है । धन की प्राप्ति के लिए तो वह अपने ही जन्मदाता हो छोड़ दूर देश भी चला जाता है।
  • गतवयसामपि पुंसां येषामर्था भवन्ति ते तरुणाः ।
अर्थे तु ये हीना वृद्धास्ते यौवनेऽपि स्युः ॥ -- (पंचतंत्र, मित्रलाभ)
उम्र ढल जाने पर भी वे पुरुष युवा रहते हैं जिनके पास धन रहता है । इसके विपरीत जो धन से क्षीण होते हैं वे युवावस्था में भी बुढ़ा जाते हैं।

पञ्चतन्त्र में धन की निन्दा

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इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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