जब तक जिओ, सुख से जीओ। ऋण लेकर घी पीओ। (जलकर) राख हो गयी देह फिर से कहाँ से आयेगी?
प्रेमचंद ने जब गोदान लिखा था, तब वह खुद भी कर्ज़ के बोझ से दबे हुए थे। ‘गोदान’ की मूल समस्या ऋण की समस्या है। इस उपन्यास में किसानों के साथ मानों वह आपबीती भी कह रहे थे। -- रामविलास शर्मा
छोटा ऋण किसी व्यक्ति को आप का ऋणी बनाता है, एक बड़ा ऋण उसको आप का दुश्मन बना देता है।
चिंता करना उस कर्ज को चुकाने जैसा है जो कभी चुका नहीं सकता। -- विल रोजर्स
ऋण एक स्वतंत्र, सुखी व्यक्ति को एक कड़वे इंसान में बदल सकता है। -- माइकल मिहालिक
जो उधार लेता है, वह दुखी होता है। -- थॉमस तुसेर
बहुत से लोग अपने कर्ज चुकाने की तुलना में उपहार देने में अधिक प्रसन्न होते हैं। -- सर फिलिप सिडनी
ऋण बच्चों की तरह हैं - खुशी से पैदा हुए, लेकिन दर्द के साथ पैदा हुए। -- मोलिरे
बहुत से लोग सोचते हैं कि वह आनंद से खरीद रहा है, जबकि वास्तव में वह खुद को बेच रहा होता है। -- बेंजामिन फ्रैंकलिन
खराब कर्ज वह कर्ज है जो आपको गरीब बनाता है। मैं अपने घर पर गिरवी को खराब कर्ज के रूप में गिनता हूं, क्योंकि मैं ही इसका भुगतान कर रहा हूं। खराब ऋण के अन्य रूप कार भुगतान, क्रेडिट कार्ड शेष या अन्य उपभोक्ता ऋण हैं। -- रॉबर्ट कियोसाकी
कल्पना के खेल का हम पर जो कर्ज है, उसकी गणना नहीं की जा सकती। -- कार्ल जुंग
कर्ज किसी भी अन्य जाल की तरह है, इसमें प्रवेश करना काफी आसान है, लेकिन इससे बाहर निकलना काफी कठिन है। -- हेनरी व्हीलर शॉ
मंदी से उभरने के लिए अगर कोई रास्ता नहीं मिल रहा हैं तो कर्ज लेकर भी रास्ता प्राप्त करने की कोशिश मत करो।
कर्ज लाचार इंसान को गरीब कर देता हैं, और गरीब को बर्बाद कर देता हैं।
कर्ज में डूबने पर आप कर्ज दाता के गुलाम बन जाते हैं।
किसी दोस्त से पैसे उधार लेने से पहले, यह तय करें कि आपको किसकी सबसे ज्यादा जरूरत है दोस्त की या पैसो की।
आपके पास जो कुछ भी उसी में रहने का प्रयास करो। जब तक जितना भी हैं लेकिन आपका हैं तो आप खुश रहेंगे।
उधार लेने और उधार चुकाने के चक्कर में दोस्त दुश्मन में बदल जाते हैं।
कर्ज लेकर कोई महल तो बना सकता हैं, लेकिन जीवन की आधी खुशियों को आग लगा देता हैं।
अगर कोई किसी स्टाम्प पर हस्ताक्षर करता हैं, और किसी के कर्ज लेने पर गवाह बनता हैं तो यह उसका एक गलत और पछतावे जैसा निर्णय हो सकता हैं।
यहां याद रखने लायक एक विचार -: जो एक दिन में पांच रूपये कमाता और खर्च सात रूपये करता हैं तो उसका जीवन एक दुखी जीवन के बराबर हैं।
जब कोई विपति आये तो उधार पर विचार करने की आदत न डाले, यह आपको एक मुसीबत से निकाल कर दूसरी मुसीबत में डाल देगा।
एक बेहतर राय – पहला खुद को कभी कर्ज में शामिल मत करो, दूसरा कभी किसी व्यक्ति की जमानत मत बनो।
ऋण एक बंधन का रूप हैं, यह वित्तीय दीमक की तरह धीरे धीरे बढ़ता जाता हैं, और नष्ट करता जाता हैं।
चार चीजे जिनको आप जितना जानते हैं वे उनसे अधिक हैं – पाप, कर्ज, शत्रु, वर्ष।
लोग जब कर्ज लेते हैं तो अपनी स्वतंत्रता के गुलाम हो जाते हैं।
कर्ज चुकाने के दो तरीके हैं – या तो आप अपने बिजनेस को बढाकर आय में वृद्धि करो या अपने खर्चे कम कर दो।
उधार एक जाल जैसा हैं, एक बार जो फंस जाता हैं, वाही आसानी से बाहर नहीं आता हैं।
कर्ज आपके घर के चारों और सौ दरवाजे खड़े कर देता हैं, कर्जदाता कहीं से भी दरवाजा खटखटा सकता हैं।