बुद्धिमान व्यक्ति जब कोई उपाय सोचे तो उसके साथ ही अपाय (उपाय के सम्भावित दुष्परिणाम) बारे में भी सोचना चाहिये। देखो कैसे मूर्ख बकुले के बच्चों को नेवले ने खा लिया।
उपायेन हि यच्छक्यं न तच्छक्यं पराक्रमैः ॥ -- हितोपदेश / माघ
जो काम उपाय से किया जा सकता है, वह पराक्रम से नहीं किया जा सकता।
जो सम्पूर्ण भौतिक पदार्थों की वास्तविकता का ज्ञान रखनेवाला, सब कार्यों के करने का ढंग जानने वाला तथा मनुष्यों में सबसे बढ़कर उपाय का जानकार है, वह मनुष्य पण्डित कहलाता है।