• मुस्कान, चेहरे का वास्तविक शृंगार है।
  • सरलता (सादगी) से बढ़कर कोई शृंगार नहीं।
  • आंशिक संस्कृति शृंगार की ओर दौड़ती है, अपरिमित संस्कृति सरलता की ओर। -- बोबी

इन्हें भी देखें सम्पादन