राजनाथ सिंह
भारत के रक्षा मंत्री
राजनाथ सिंह (जन्म 10 जुलाई 1951) भाजपा एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं। उन्हें 26 मई 2015 को भारत के गृह मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। उन्होंने पहले 28 अक्टूबर 2000 से 8 मार्च 2002 तक उत्तर प्रदेश राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। सम्प्रति (२०२४) वे भारत के रक्षामन्त्री हैं।
उद्धरण
सम्पादन- हमें पारम्परिक सामाजिक मूल्यों को कायम रखना चाहिए, जो सौंदर्य के इस तरह के अशिष्ट प्रदर्शन की अनुमति नहीं देते हैं। मैं इस राज्य में किसी भी सौंदर्य प्रतियोगिता को आयोजित करने की अनुमति नहीं दूंगा।
- ब्यूटी पेजेंट पर प्रतिबंध लगाने पर, जैसा कि "होम स्टेट ऑफ़ मिस वर्ल्ड बार्स ब्यूटी पेजेंट्स" लॉस एंजिल्स टाइम्स (16 दिसंबर 2000) में उद्धृत किया गया है।
- हम यह बताएंगे कि एक सर्वदलीय बैठक में कहा जाएगा कि हम धारा 377 का समर्थन करते हैं क्योंकि हमारा मानना है कि समलैंगिकता एक अप्राकृतिक कृत्य है और इसका समर्थन नहीं किया जा सकता।
- स्वस्थ लोकतंत्र में प्रमुख अंग विपक्ष की अहम भूमिका है, हम उसका सम्मान करते हैं।
- भारत के मान, सम्मान और स्वाभिमान की रक्षा के लिए जो कुछ भी करना पड़ेगा वो हम करेंगे। कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा।
- भारत की साख और विश्वसनीयता पूरी दुनिया में बढ़ी है।
- जिस तरह से जनता ने लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की झोली पूरी तरह भरा है, उससे हम लोग कर्जदार हो गये हैं। इस कर्ज को मेरे साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी प्राणों की बाजी लगा कर भी उतारने का प्रयास करेंगे। देश के सम्मान पर चोट बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
- सरकार पाकिस्तान से अच्छे रिश्ते चाहती है लेकिन हुर्रियत से कोई बातचीत नहीं होगी। देशविरोधी लोगो से कोई बात नहीं की जाएगी।
- बिहार चुनाव का एजेंडा विकास और गुड गवर्नेंस होगा।
- मनुष्य की संतुष्टि का संबंध खुशहाली से है और वह खुशहाली योग के जरिए हासिल की जा सकती है।
- इस देश ने सदैव सभी कौम को पनाह दी है और उसकी रक्षा की है। देश की आन-बान-शान पर कोई आँच न आने पाए।
- इतिहास को सही संदर्भों में पेश किया जाना चाहिए ताकि मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप को अधिक तरजीह मिल सके। इतिहासकार 'अकबर द ग्रेट' कहें, इस पर हमें कोई एतराज नहीं है लेकिन 'प्रताप द ग्रेट' क्यों नहीं?।
- सरकार हिंदी और ऊर्दू सहित सभी भारतीय भाषाओँ को प्रोत्साहित कर रही है। संस्कृत सभी भारतीय भाषाओँ की माँ है और सभी भाषाएँ परस्पर बहनें हुईं।
- भारत अपनी परमाणु क्षमता का उपयोग शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए करने को प्रतिबद्ध है।
- आतंकवाद की कोई सीमा नहीं होती है। इसका कोई मूल्य नहीं होता। कोई सिद्धांत नहीं होता। मानवता से शत्रुता ही इसका एकमात्र उद्देश्य है।
- 5-10 साल में भारत ऐसा भारत बनेगा जो सिर्फ धनवान हीं नहीं बल्कि ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में पूरे विश्व का नेतृत्व करेगा।
- हमारे प्रधानमंत्री जी दुनिया में सिर्फ राजनैतिक कूटनीति हीं नहीं बल्कि सांस्कृतिक कूटनीति करने भी जाते हैं ताकि भारतवासियों का मस्तक गर्व से ऊँचा उठा रहे।
- हम सांप्रदायिक आधार पर लोगों को विभाजित करने के प्रयास की राजनीति में विश्वास नहीं करते।
- राजनीति लोकतंत्र पर आधारित होनी चाहिए , हिंसा का स्थान स्वस्थ राजनीति में नहीं होना चाहिए।
- चाहे हमें कितना ही प्रेशर बिल्ड अप बनाना हो, हम दाऊद को लाकर ही रहेंगे। उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी है। पाकिस्तान उसका पता लगाने और कानूनी प्रक्रिया शुरू करने में विफल रहा है। भारत उसे सौंपे जाने के बारे में सभी स्तरों पर दवाब बनाए हुए है।
- खेत की न्यूनतम आमदनी तय हो और उस आमद राशि का बीमा हो न कि फसल का बीमा हो।
- आस्थास्थल पर कोई चोट पहुँचता है तो उसकी पूरी सुरक्षा हो , हमारी कोशिश हो कि हिन्दुस्तान के माइनॉरिटीज में सेन्स ऑफ़ फियर के जगह सेन्स ऑफ़ डेवलपमेंट का स्थान हो।
- हमारा मानना है कि जेलों में कैदियों की संख्या को कम किया जाना चाहिए। अनावश्यक जेल यातना देना कोई इन्साफ नहीं है।
- मैं चाहूँगा कि हिंदुस्तान के हर शिक्षण संस्थाओं, स्कूलों-कॉलेजों में इसे चिपकाया जाना चाहिए।
- किसी भी तरह के राष्ट्रद्रोह करने वाले को बख्शा नहीं जाएगा।
- वसुधैव कुटुंबकम । इस्लाम और ईसाई के सारे फिरके केवल भारत में मिलते हैं। अपने महान भारत देश का चरित्र हीं ऐसा है जो सबको साथ लेकर चलना चाहता है। जाति, पंथ, मजहब के नाम पर नफरत पैदा करने जैसा गंभीर अपराध कोई दूसरा नहीं है। भारत की तरह ज्ञान और बौद्धिक क्षमता की ऊँचाईयों को कोई दूसरा नहीं पा सका। जो पिंड में है, वही ब्रह्माण्ड में है।
- देश में धर्मांतरण विरोधी कानून की आवश्यकता पर बहस की जरूरत है।
- जब भी अवसर मिलेगा हमारे बीएसएफ अपनी जांबाजी दिखाएँगे। हमें दुनिया की कोई ताक़त शिकस्त नहीं दे सकती। आज BSF ही है जो राष्ट्र की रक्षा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है।
- युवाओं का ऑनलाइन के जरिए कट्टरपंथ की गिरफ्त में आना गंभीर चिंता का मामला है लेकिन भारत में आइएसआइएस अपनी पैठ बनाने में नाकाम रहा है जो अच्छी बात है। भारतीय मुसलमान देशभक्त हैं और किसी चरमपंथी विचारधारा के बहकावे में नहीं आए हैं।
- भारत में दुनिया का भरोसा फिर से बहाल हुआ है और देश के साथ वैश्विक भागीदारी नये स्तर पर पहुंच गयी है।
- संविधान की मर्यादा के वास्ते आगे भी कदम उठाए जाते रहेंगे।
- संस्कारों के साथ समावेशित ज्ञान समाज के लिए कल्याणकारी साबित होता है। शिक्षा और व्यवस्था ऐसी हो जो तन के सुख के लिए धन-धान्य, मन के सुख की खातिर मान-सम्मान और स्वाभिमान, बुद्धि विलास के लिए ज्ञान और आत्मा के सुख के लिए भगवान यानी वैराट्य से साक्षात्कार करा सके।
- समाज के लिए आध्यात्मिक विकास उतना ही आवश्यक है जितना भौतिक विकास। आध्यात्मिक विकास के बिना खुशहाली अधिक दिन तक नहीं रह सकती।
- वर्दी केवल सादे कपड़े का एक टुकड़ा नहीं है, गर्व करो इस वर्दी पर। यह 'राष्ट्रीय स्वाभिमान' की भावना थी जिससे देश को आजादी मिली।
- स्वाभिमानी भारत को कोई ललकार नहीं सकता।
- सरकार के पास अपने वादे पूरे करने के लिए रणनीति, दूरदृष्टि और राजनीतिक इच्छा शक्ति है और कोई भी भारत जैसे भरपूर क्षमता वाले देश को दुनिया की सबसे विकसित अर्थव्यवस्था बनने से नहीं रोक सकता।
- हिन्दुस्तान को यदि धनवान हिन्दुस्तान बनाना है तो गाँवों का विकास करना ही होगा।
- हिंदू शब्द भारतीय संस्कृति है और इसी कारण भारत पूरी दुनिया में अकेला ऐसा देश है जिसने इतनी बड़ी शक्ति व प्राकृतिक संपदा से युक्त होने के बावजूद किसी भी दूसरे देश पर कब्जा करने की कौशिश नहीं की है.भारत के ऋषि-मनिषियों ने पूरे विश्व की धरा को परिवार का सदस्य माना है।
- नेताओं ने आश्वासन तो बहुत दिया लेकिन उसे पूरा नहीं किया। इसके चलते देश में राजनैतिक विश्वास का संकट पैदा हो गया है।
- देश के प्रधानमंत्री ने लालकिले से जो शपथ ली है उसे पूरा करना है और देश के प्रत्येक गाँव को आदर्श गाँव बनाना है।
- सरकार किसी भी आतंकवादी संगठन को भारत में पैर नहीं पसारने देगी।
- संगठित आपराधिक एवं आतंकवादी गिरोहों से निपटने के लिए विश्व के सभी देशों की सरकारों से साथ आने का आह्वान है।
- मैं ऐसी व्यवस्था सृजित करने का आह्वान करता हूँ जिसमें तन के सुख के लिए धन-धान्य हो, मन के सुख के लिए मान-सम्मान हो, बुद्धि के सुख के लिए ज्ञान और आत्मा के सुख के लिए भगवान हो। आर्थिक व भौतिक विकास के साथ आध्यात्मिक विकास होना बहुत जरूरी है।
- 125 करोड़ जनसंख्या देश की बोझ नहीं यह जनशक्ति है इसे श्रमशक्ति में बदला जाएगा।
- यद्यपि तीन चौथाई भारतीय या तो हिन्दी जानते हैं या बोलते हैं तथापि इस भाषा को सरकारी कामकाज में नियमित उपयोग में नहीं लाया जाता; यह विडंबना है।