• उपायेन हि यच्छक्यं न तच्छक्यं पराक्रमैः।
गच्छता पङ्कमार्गेण शृगालेन हतो गजः॥ -- पञ्चतन्त्र
जो कार्य उपाय से सम्भव है, वह पराक्रम से नहीं हो सकता। बिल्कुल उसी प्रकार जैसे कि सियार द्वारा हाथी लोभ देकर दलदल को ओर ले जाने पर दलदल में फंसकर मारा गया।
  • उम्मीद कोई रणनीति नहीं है, भाग्य कोई कारक नहीं है, डर भी कोई विकल्प ही नहीं है।

इन्हें भी देखें सम्पादन