माघ, संस्कृत के महान कवि थे। 'शिशुपालवधम्' उनकी महान कृति है।

उक्तियाँ सम्पादन

  • मनस्वी पुरुष पर्वत के समान ऊँचे और समुद्र के समान गम्भीर होते हैं। उनका पार पाना कठिन है।
  • कुशल पुरुष की वाणी प्रतिकूल बोलनेवाले प्रबुद्ध वक्ताओं को मूक बना देती है और पक्ष में बोलने वाले मंदमति को निपुण।
  • जहाँ प्रकाश रहता है वहाँ अंधकार कभी नहीं रह सकता।

माघ के बारे में उक्तियाँ सम्पादन

  • उपमा कालिदासस्य भारवेरर्थगौरवम्।
दण्डिनः पदलालित्यं माघे सन्ति त्रयो गुणाः ॥
कालिदास उपमा में, भारवि अर्थगौरव में, और दण्डी पदलालित्य में बेजोड़ हैं। लेकिन माघ में ये तीनों गुण हैं।

इन्हें भी देहें सम्पादन