पुत्र

व्यक्ति जो शिशु से बड़ा है और आदमी से छोटा है
  • एकेनापि सुपुत्रेण विद्यायुक्ते च साधुना।
आह्लादितं कुलं सर्वं यथा चन्द्रेण शर्वरी॥
जिस प्रकार अकेला चन्द्रमा रात की शोभा बढ़ा देता है, ठीक उसी प्रकार एक ही विद्वान, सज्जन पुत्र कुल की शोभा और ख्याति बढ़ा देता है।
  • वरमेको गुणी पुत्रो न च मूर्खशतान्यपि।
एकश्चन्द्रस्तमो हन्ति न च तारागणोऽपि च॥
सौ मूर्ख पुत्रों से एक गुणी पुत्र श्रेष्ठ है। केवल चंद्रमा ही अंधकार को दूर करता है, तारों का (इतना बड़ा) समूह नहीं करता।
  • यदि पुत्रः कुपुत्रः स्यात् व्यर्थो हि धनसञ्चयः।
यदि पुत्रः सुपुत्रः स्यात् व्यर्थो हि धनसञ्चयः॥
यदि पुत्र सुपुत्र है, तो धन का संचय व्यर्थ है, और पुत्र कुपुत्र हो तो भी धन का संचय व्यर्थ है। (पूत सपूत त का धनसंचय, पूत कपूत त का धनसंचय?)
किं जातैर्बहुभिः पुत्रैः शोकसन्तापकारकैः।
वरमेकः कुलावल्भबो यत्र विश्राम्यते कुलम्॥
शोक और सन्ताप उत्पन करने वाले अनेक पुत्रों के पैदा होने से क्या लाभ है? कुल को सहारा देने वाला ज्ञानी, कर्मठ और धन कमाने वाला एक ही पुत्र श्रेठ है, जिसके सहारे सारा कुल विश्राम करता है।
लालयेत् पञ्चवर्षाणि दशवर्षाणि ताडयेत्।
प्राप्ते तु षोडशे वर्षे पुत्रं मित्रवदाचरेत्॥
पुत्र का पाँच वर्ष तक लालन करें, दस वर्ष तक ताड़न करें, सोलहवाँ वर्ष लग जाने पर उसके साथ मित्र के समान व्यवहार करना चाहिए।
एकोऽपि गुणवान् पुत्रो निर्गुणैश्च शतैर्वरः।
एकश्चन्द्रस्तमो हन्ति न च ताराः सहस्रशः॥
एक गुणी पुत्र ही सौ गुणहीन पुत्रों से श्रेष्ठ है, वैसे ही जैसे अकेला चन्द्रमा रात्रि के अन्धकार को दूर करता है न कि असंख्य तारे।
मूर्खश्चिरायुर्जातोऽपि तस्माज्जातमृतो वरः।
मृतः स चाल्पदुःखाय यावज्जीवं जडो दहेत्॥
मूर्ख पुत्र के चिरायु होने से मर जाना अच्छा है, क्योंकि ऐसे पुत्र के मरने पर एक ही बार दुःख होता है, जिन्दा रहने पर वह जीवन भर जलता रहता है।
  • कुम्भः परिमितम्भः पिबत्यसौ कुम्भसंभवोऽम्भोधिम्।
अतिरिच्यते सुजन्मा कश्चित् जनकं निजेन चरितेन॥
घड़े में सीमित मात्रा में जल आता है किन्तु घड़े से उत्प्न्न हुए अगस्त्य मुनि समुद्र को पीते हैं। उसी प्रकार कुछ अच्छे पुत्र अपने पिता की अपेक्षा बहुत अधिक और श्रेष्ठतर कार्य सम्पन्न कर देते हैं।
  • पितृभिः ताडितः पुत्रः शिष्यस्तु गुरुशिक्षितः।
घनाहतं सुवर्णं च जायते जनमण्डनम्॥
पिता द्वारा ताडित (मारा फटकारा गया) पुत्र, गुरु द्वारा पढ़ाया जाने वाला शिष्य और हथौड़े से ठोका गया सोना लोगों के लिए आभूषण बन जाता है।

इन्हें भी देखें

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