• नारी शिक्षा, विशेषकर नये मूल्यों के प्रति उनकी जागरूकता, उन्हें नये व्यवसायों के लिये प्रशिक्षित करना, उनका अपने अधिकारों के लिये जागरूक होना, यह सब अभिशाप है। यह सब उनके लिये हानिकर समझा जाता है। वस्तुतः इन सब कार्यों को समाज में व्यवधान ढालने जैसा समझा जाता है और इसे इस्लाम को नीचा दिखाने जैसा माना जाता है। -- अरुण शूरी, The World of Fatwas Or The Sharia in Action (2012, हार्पर कोलिन्स)

इन्हें भी देखें सम्पादन