भावार्थ : (लक्ष्मी कहतीं हैं कि) मैं विधवा होने के डर से शूरवीर व्यक्तियों का वरण नहीं करती हूँ, उदारहृदय व्यक्तियों के साथ रहने मे मुझे लज्जा आती है (कि वे कहीं मुझे किसे अन्य व्यक्ति को न दे दें ) तथा किसी विवाहित विद्वान के साथ भी रहना नहीं चाहती हूँ। इसीलिये मैं एक कृपण व्यक्ति के आश्रय में ही रहती हूँ।
भावार्थ : कृपण के पास जो धन सम्पत्ति सुलभ होती है उनका उपभोग वह अप कर्म (कंजूसी) के कारण नहीं कर पाता है। उसकी स्थिति ऐसे कौवों के समान हो जाती है जिनकी चोंचें अंगूरों की फसल पकने के समय ही रोगग्रस्त हो जाती हैं।
रक्षन्ति कृपणाः पाणौ द्रव्यं प्राणमिवात्मनः ।
तदेव सन्तः सततमुत्सृजन्ति यथा मलम् ॥
कृपण (लोभी) प्राण की तरह द्रव्य का अपने हाथ में रक्षण करता है, पर सन्त पुरुष उसी द्रव्य को मल की तरह त्याग देते हैं।
कदर्योपात्त वित्तानां भोगो भाग्यवतां भवेत् ।
दन्ता दलति कष्टेन जिह्वा गिलति लीलया ॥
कंजूस द्वारा अर्जित धन का उपभोग भाग्यशाली को प्राप्त होता है। दांत कष्ट से जिस (खुराक) को चबाता है, उसे जिह्वा आसानी से निगल जाती है।
पिपीलिकार्जितं धान्यं मक्षिकासंचितं मधु ।
लुब्धेन संचितं द्रव्यं समूलं च विनश्यति ॥
चींटी के द्वारा संगृहीत अन्न, मक्खी का संचित मधु और कृपण का संचित धन उनको छोड़ सबके काम आता है। अतः धन का सदुपयोग उसके सार्थक कार्यों में निवेश से है, निरर्थक संग्रह से नहीं।
कंजूस लोग अपने धन का न तो उपभोग करते हैं, न किसी अन्य कार्य में खर्च करते हैं, और न किसी को दान देते हैं। उनका धन अन्त में चोर ही ले जाते हैं। -- चाणक्य
संसार में सबसे दयनीय कौन है? सिर्फ वही जो धनवान होकर भी कंजूस है। -- विद्यापति
कंजूस के पास जितना धन होता है उतना ही वह उसके लिए तरसता है जो उस के पास नहीं होता। -- पब्लिलियस सायरस
कंजूसी और सुख शांति ने कभी एक दूसरे को देखा ही नहीं, फिर वे कैसे एक दूसरे से परिचित हों ? -- बेंजामिन फ्रैंकलिन
गरीबी बहुत कुछ चाहती है, पर कंजूसी सब कुछ चाहती है। -- पब्लिलियस सायरस
कंजूस आदमी एक-एक पाई के लिए उतना ही उत्तेजित हो जाता है, जितना कि महत्वाकांक्षी किसी राज्य पर विजय के लिए। -- एडम स्मिथ
निर्धन की तरह जीना और धनवान होकर मरना केवल पागलपन है। -- टामस मिड्लटन
कंजूसी मैं तुझे जनता हूँ! तू विनाश करने वाली और व्यथा देने वाली है। -- अथर्ववेद
लालची व्यक्ति का सम्मान, चुगली करने वाले की मित्रता, बुरी आदतों वालों की विद्या, कंजूस का सुख नष्ट हो जाता है।