कायर
- सूर समर करनी करहिं कहि न जनावहिं आपु ।
- विद्यमान रन पाइ रिपु कायर कथहिं प्रतापु ॥ -- रामचरितमानस
- सच है, विपत्ति जब आती है,
- कायर को ही दहलाती है,
- शूरमा नहीं विचलित होते,
- क्षण एक नहीं धीरज खोते,
- विघ्नों को गले लगाते हैं,
- काँटों में राह बनाते हैं। -- रामधारी सिंह 'दिनकर, रश्मिरथी में