हे हंस यदि नीर (जल) से क्षीर (दूध) को विलग करने में तूही आलस्य करेगा तो फिर इस संसार में और दूसरा कौन कुल की परिपाटी का पालन करेगा?
तपः स्वधर्मवर्तित्वं मनसो दमनं दमः।
क्षमा द्वन्द्वसहिष्णुत्वं हीरकार्यनिवर्तनम् ॥
अपने धर्म ( कर्त्तव्य ) में लगे रहना ही तपस्या है। मन को वश में रखना ही दमन है। सुख-दुःख, लाभ-हानि में एकसमान भाव रखना ही क्षमा है। न करने योग्य कार्य को त्याग देना ही लज्जा है।
कर्म वह दर्पण है, जिसमें हमारा प्रतिबिम्ब दिखाता है। -- आचार्य विनोबा भावे
प्राण-संशय होने पर प्राणियों के लिए कुछ भी अकरणीय नहीं होता। -- कल्हण
अच्छे कामों की सिद्धि में बड़ी देर लगती है, पर बुरे कामों की सिद्धि में यह बात नहीं होती। -- मुंशी प्रेमचंद
अधूरा काम और अपराजित शत्रु, ये दोनों बिना बुझी हुई चिंगारियों की तरह हैं। -- संत तिरूवल्लुवर
अपना कर्तव्य करने से हम उसे करने की योग्यता प्राप्त करते हैं। -- ई. वी. पूसे
अपने से हो सके वह काम, दूसरे से नहीं करवाना चाहिए। -- महात्मा गांधी
अव्यवस्थित कार्य करने वालों को जन में वन में कहीं भी सुख की प्राप्ति नहीं है, क्योंकि जन अपने संसर्ग से जलाते हैं और वन अपनी निर्जनता को जलाता है। -- आचार्य चाणक्य
आदमी काम की अधिकता से नहीं, उसे भार समझकर अनियमित रूप से करने पर थकता है। -- श्रीराम शर्मा आचार्य
आवेश शांत होने पर जो काम किया जाता है, वह फलदायी होता है। -- महात्मा गाँधी
ईश्वर कभी भी उस व्यक्ति की सहायता नहीं करता जो कर्म ही नहीं करता। -- सोफोक्लीज
उद्यम करने से ही कार्य सिद्ध होते हैं, मात्र इच्छा करने से नहीं। -- हितोपदेश
उस कर्तव्य का पालन करो जो तुम्हारे निकटतम हो। -- गेटे
उस काम का करना अच्छा नहीं, जिसे करके पीछे पछताना पड़े और जिसका फल रोते-बिलखते भोगना पड़े। उसी काम को करना ठीक है, जिसे करके पीछे पछताना न पड़े और जिसका फल मनुष्य प्रसन्नचित होकर ग्रहण करे। -- भगवान बुद्ध
कर्तव्य कठोर होता है, भाव प्रधान नहीं। -- जयशंकर प्रसाद
कर्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नहीं करता । कर्तव्य-पालन में ही चित्त की शांति है। -- प्रेमचंद
कर्तव्य कोई ऐसी वस्तु नहीं है, जिसको नाप जोखकर देखा जाय। -- शरतचंद
कर्तव्य पालन स्वभावतः आनन्द में पुष्पित होता है। -- फिलिप्स ब्रुक्स
कर्तव्य-पालन करते हुए मरना जीवन का ही दूसरा नाम है। -- वृन्दावनलाल वर्मा
कर्तव्य-पालन में से ही हक पैदा होता है। -- महात्मा गांधी
कर्तव्यहीनता से कर्तव्य श्रेष्ठ है। पर कर्तव्य से अकर्तव्य श्रेष्ठ। -- विनोवा
कर्म करना जीवन के आनन्द के लिए आवश्यक है। कर्म करते समय मनुष्य अपने दुःख को भी भूल जाता है। -- स्वामी रामतीर्थ
कर्म करने में ही तुम्हारा अधिकार है, फल में नहीं; तुम कर्म फल प्राप्ति का कारण मत बनो और न अपनी प्रवृति कर्म न करने में रखो। -- श्री भगवद्गीता गीता
कर्म वह दर्पण है, जिसमें हमारा प्रतिबिम्ब दिखाता है। -- आचार्य विनोबा भावे
कर्म सदैव भले ही सुख न ला सके, पर कर्म के बिना सुख नहीं मिलता। -- डिजरायली
काम करके कुछ उपार्जन करना शर्म की बात नहीं। दूसरों का मुंह ताकना शर्म की बात है। -- मुंशी प्रेमचंद
कार्य की अधिकता से उकसाने वाला व्यक्ति कभी कोई बड़ा कार्य नहीं कर सकता। -- अब्राहम लिंकन
किसी किश्ती पर अगर फर्ज का मल्लाह न हो तो फिर उसे दरिया में डूब जाने के सिवा और कोई चाराा नहीं। -- प्रेमचंद
कृतज्ञता एक कर्तव्य है,जिसे पूरा करना चाहिए। -- रूसो
कोई भी मनुष्य उस काम को करने में समर्थ हो सकता है, जिसे कोई अन्य मनुष्य कर चुका है। -- डा. युंग
कोई भी व्यक्ति कार्य को सर्वोत्तम रूप में नहीं कर सकता, जब तक कि वह उसमें अपनी सम्पूर्ण योग्यता और पूरी सामर्थ्य नहीं लगा देता। -- स्वेट मार्डेन
जब हम कोई काम करने की इच्छा करते हैं तो, शक्ति आप ही आ जाती है। -- मुंशी प्रेमचन्द
जिसे करना उचित नहीं है उसे प्राणों के कंठ में आ जाने पर भी नहीं कारना चाहिए और जो करणीय है उसे प्राण संकट उपस्थित होने पर भी करना चाहिए। -- अज्ञात
जो कर्तव्य से बचता है, लाभ से वंचित रहता है। -- थ्योडोर पार्कर
जो काम कल करना है, तो आज करो और जो काम करना है, वह अभी कर लो। क्षण भर में यदि प्रलय (मृत्यु) हो गई तो फिर बाकी पड़ा हुआ काम कब करोंगे? -- संत कबीर
जो कार्य बल अथवा पराक्रम से पूर्ण नहीं हो पाता, उपाय द्वारा वह सरलता से पूर्ण हो सकता है। -- हितोपदेश
जो सम्पूर्ण प्राणियों के लिए हितकर और अपने लिए भी सुखद हो, उसे ईश्वररार्पण बुद्धि से करे, सम्पूर्ण सिद्धियों का यही मूल मंत्र है। -- वेदव्यास
जो सिर्फ काम की बात करते हैं, वे अवश्य सफल होते हैं। -- डेल कारनेगी
तेरे बुद्धि और हृदय को जो सत्य लगे, वही तेरा कर्तव्य है। -- महात्मा गाँधी
थका हुआ भी मेरा हाथ न काँपेगा, मेरा गला न बैठ जायेगा, मेरी वीणा न टूटेगी, नवीन प्रभात के लिए तमाम रात मै जागता रहूगाँ, दीपक भी न बुझेगा। -- रवीन्द्रनाथ ठाकुर
दासता को कर्तव्य मान लेना कितना आसान है। -- स्वामी विवेकानन्द
पहले सब चीजें देखकर कोइ कार्य आरंभ करें। आरंभ न करना अच्छा, पर आरम्भ करके छोड़ना अच्छी बात नहीं। -- बोधिचर्या
पूर्वज, भगवान, अतिथि, बन्धु तथा स्वयं इन पाँचों के लिए धर्मानुकूल सतत कर्म करना ही गृहस्थ का प्रधान कर्तव्य है। -- तिरूवल्लुवर
प्रत्येक अच्छा कार्य पहले असंभव होता है। -- कार्लाइल
प्रत्येक अपने क्षेत्र में महान् है, परन्तु एक का कर्तव्य दूसरे का कर्तव्य नहीं हो सकता। -- विवेकानन्द
प्राण-संकट उपस्थित होने पर भी न करने योग्य काम को छोड़ना नहीं चाहिए, यह सनातन धर्म है। -- विष्णुशर्मा
प्रायः सभी के पास बुद्धि है, सभी अपने को समझदार मानेते हैं परन्तु ठीक कर्तव्य का ज्ञान किसी विरले की विवेकी को होता है। -- साधु वेश में एक पथिक
फल को सामने रखकर ही कर्म में प्रवृत्त होने वाले एक प्रकार से दीन होते हैं। -- महाभारत
बड़े कार्य छोटे कार्यो से आरंभ करने चाहिए। -- विलियम शेक्सपीयर
बिना काम किए सड़ जाने से बेहतर यह है कि करते-करते घिस जाएँ। -- रिचर्ड कंवर लैण्ड
मनुष्य की सेवा मनुष्य का प्रथम कर्तव्य है। -- विनोबा भावे
मनुष्य को कर्म करते हुए सौ वर्ष जीने की इच्छा करनी चाहिए। -- इशोपनिषद
मनुष्य को चाहिए की वह ईष्यहित, स्त्रियों का रक्षक, सम्पत्ति का न्यायपूर्वक विभाग करने वाला, प्रियवादी, स्वच्छता तथा स्त्रियों के निकट मीठे वचन बोलने वाला हो, परन्तु उनके वश में कभी न हो। -- वेदव्यास
महान् संघर्षो में पाखण्डपूर्ण कार्य भी साथ-साथ होते रहते हैं। हमारा कर्तव्य है कि हम इनके प्रति सतर्क रहे। -- महात्मा गांधी
यदि आप अपनी ड्यूटी को सैल्यूट करोगे तो आपको किसी भी व्यक्ति को सैल्यूट करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। -- अब्दुल कलाम
यह वह बात नही है जो वकील बताए कि मुझे करनी चाहिए, अपितु यह वह बात है जो मानवता, विवेक ओर न्याय बताते है कि मुझे करनी चाहिए। -- एडमंड
राज्य अपना धर्म पालन करे या न करे, मगर हमें तो अपना कर्तव्य पूरा करने के लिए तैयार रहना चाहिए। -- सरदार पटेल
शुभ कार्य करने से सुख और पाप कर्म करने से दुःख होता है, बिना किए हुए कर्म का फल कहीं नहीं भोगा जाता है। -- महर्षि वेदव्यास
सब कुछ जानते हुए भी जो मनुष्य बुरे काम में प्रवृत्त हो जाए, वह मनुष्य नहीं, गधा है। -- विष्णु शर्मा
सबसे अच्छा यही है कि तू अपना कर्तव्य कर और शेष ईश्वर के अधीन छोड़ दे। -- लांग फैलो
समुद्र को यद्दपि कोई कामना नहीं होती तो भी अनेक नदियाँ उसमें लीन होती रहती हैं। उसी प्रकार उद्दोगी पुरूषों की सेवा सदैव लक्ष्मी करती है अर्थात जो सदैव उद्योग करते हैं उन्हें कभी धन का अभाव नहीं सताता। -- ऋग्वेद
सौभाग्य उन्हीं को प्राप्त होता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर अविचल रहते हैं। -- मुंशी प्रेमचन्द
हमारी उन्नति का एकमात्र उपाय यह हे कि हम पहले वह कर्तव्य करें जो हमारे हाथ में है। ओर इस प्रकार धीरे-धीरे शक्ति-संचय करते हुए क्रमश हम सर्वोच्च अवस्था को प्राप्त कर सकते है। -- स्वामी विवेकानन्द