प्रतिदिन ही प्राणी यम के घर में प्रवेश करते हैं, शेष प्राणी अनन्त काल तक यहाँ रहने की इच्छा करते हैं। क्या इससे बड़ा कोई आश्चर्य है?
दाने तपसि शौर्ये च विज्ञाने विनये नये ।
विस्मयो न हि कर्तव्यो बहुरत्ना वसुन्धरा॥
दान, तप, शूरता, विज्ञान, विनय तथा नीति के विषय में आश्चर्य नहीं करना चाहिए। (क्योंकि) यह पृथ्वी अनेक रत्नों वाली है (अर्थात यह धरती गूणी जनों से भरी प्ड़ी है)।
ऊपर सितारों की तरफ देखो अपने पैरों के नीचे नहीं। जो देखते हो उसका मतलब जानने की कोशिश करो और आश्चर्य करो की क्या है जो ब्रह्माण्ड का अस्तित्व बनाये हुए है। उत्सुक रहो। -- स्टीफन हॉकिन्स
आश्चर्य, ज्ञान का आरम्भ है। -- सुकरात
आश्चर्य से दर्शन की उत्पत्ति होती है। -- ए एन व्हाइटहेड, नेचर ऐण्ड लाइफ में
मानव आश्चर्य करने के लिये ही जागता है। विज्ञान उसे पुनः सुलाने का एक तरीका है। -- लुडविग विटगेन्स्टीन
मूर्ख आश्चर्य करता है, बुद्धिमान पूछता है। -- बेंजामिन डिसरायली