आजाद हिन्द फौज

द्वितीय विश्व युद्ध में एक्सिस पक्ष पर लड़ रहे भारतीय सशस्त्र बल

आजाद हिन्द फौज, द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान 1 सितंबर 1942 को भारतीय सहयोगियों और जापान द्वारा गठित एक सशस्त्र सेना थी। इसका गठन पहली बार 1942 में रासबिहारी बोस के नेतृत्व में ब्रिटिश भारतीय सेना के भारतीय युद्धबंदियों द्वारा किया गया था, जिन्हें जापान ने मलय अभियान और सिंगापुर में पकड़ लिया था।इसका उद्देश्य भारत से ब्रिटिश शासन को हटाकर भारत को स्वतन्त्र करना था। आजाद हिन्द फौज ने द्वितीय विश्व युद्ध के दक्षिण पूर्व एशियाई भाग में जापानी सैनिकों के युद्ध-अभियान में उनके साथ मिलकर लड़ाई लड़ी।

उद्धरण सम्पादन

दशकों के अभियान में गांधी ने जो हासिल नहीं किया था, बोस की आजाद हिन्द फौज ने दो साल से भी कम समय में हासिल कर लिया और अंग्रेजों को भारत छोड़ने का फैसला करना पड़ा। और उसकी यह उपलब्धि वास्तव में बहुत अधिक गोलियां चलाए बिना मिल गयी। यदि आप शक्ति विकीर्ण करते हैं, तो आपको अक्सर इसका उपयोग करने की आवश्यकता नहीं होती है। दरबारी इतिहासकारों ने हमेशा आजाद हिन्द फौज की भूमिका को कमतर आंका है और स्वतंत्रता की उपलब्धि का श्रेय महात्मा गांधी को दिया है। -- के एल्स्ट (Elst, K.), 'सुभाष बोस विन्डिकेटेद' में (हिन्दू ह्यूमन राइट्स, प्रयाग तथा स्वराज्य, अप्रैल 2019)[१]

इन्हें भी देखें सम्पादन

सन्दर्भ सम्पादन