अमित शाह भारत के एक राजनेता हैं। सम्प्रति वे भारत के गृहमन्त्री एवं सहकारिता मन्त्री हैं। उन्हें राजनीति का चाणक्य माना जाता है। अमित शाह के ही अध्यक्ष पद पर रहते हुए बीजेपी ने नए-नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। यहां तक की 2014 और 2019 में लोकसभा का चुनाव बहुमत से जीतकर अमित शाह ने अपनी राजनीति के शतरंज का खिलाड़ी साबित किया।

अमित शाह ने गुजरात में अपना राजनीतिक सफर आरम्भ किया था। वहां की राजनीति में मुख्य पदों पर आसीन रहे। जब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी हुआ करते थे तब वह गुजरात में गृह मंत्रालय का भार संभालते थे।

उन्होंने अनेक क्रान्तिकारी फैसले भी लिए, जैसे धारा 370 को हटाना अनुच्छेद 35 को समाप्त करना। उन्होंने रक्षा सौदा, देश की सीमा की सुरक्षा आंतरिक सुरक्षा आदि अनेक प्रकार के महत्वपूर्ण कार्यों का निर्वहन किया।

उद्धरण

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  • जीवन में आगे बढ़ना है तो पहले एक लक्ष्य निर्धारित करो कार्य कोई छोटा बड़ा नहीं होता छोटा कार्य करके ही बड़ा कार्य करने का अभ्यास होता है।
  • मैं घटता हुआ समुद्र हूं लौट कर वापस अवश्य आऊंगा।
  • मैं जब भारत कहता हूं तो मेरा आशय संपूर्ण भारत से है पीओके और अक्साई चीन भी।
  • मैं भारत का एक इंच भी अपने देश के शत्रुओं के पास नहीं रहने दूंगा इसके लिए चाहे मुझे अपने प्राण देने पड़े।
  • हमारे पूर्वज जो गलतियां करते हैं उसका सुधार करना हमारा दायित्व है हम उन गलतियों के सुधार से ही आगे का सुनहरा भविष्य देख सकते हैं।
  • जब कानून का हवाला दिया जाता है तो यह सभी के लिए मान्य होता है चाहे वह किसी भी जाति धर्म का हो जो कानून देश का है वह यहां के निवासियों पर अवश्य लागू होगी।
  • शिक्षा किसी एक वर्ग या समुदाय की जागीर नहीं है शिक्षा पर सभी का बराबर अधिकार है इस अधिकार से किसी को वंचित नहीं किया जा सकता।
  • भारत सभी धर्मों का आदर करता है यह संविधान उसे अधिकार देता है उस सविधान का गला घोट कर किसी के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए।
  • जब तक देश का युवा आगे नहीं बढ़ेगा उसे आत्मनिर्भर नहीं बनाया जाएगा तब तक देश का विकास संभव नहीं है न्यू इंडिया के सपने को साकार करने के लिए युवाओं को आगे आना होगा।
  • देश में स्वच्छता बिना जन-भागीदारी के संभव नहीं है स्वच्छता स्थल की ही नहीं मन की भी प्रासंगिक है।
  • व्यक्ति को कमल से प्रेरणा लेना चाहिए वह कीचड़ में रहकर भी स्वयं को निखरता है।
  • सरकारे अगर पूर्ण इच्छाशक्ति से कार्य करें तो अपने एक कार्यकाल में भी वह ऐतिहासिक कार्य कर सकती है जिसके लिए जनता हमेशा याद रखे।
  • सामान्य तौर पर विजय पाकर व्यक्ति अहंकारी हो जाता है और पराजय का मुख देखकर हतोत्साहित जबकि इन दोनों पर काबू पाकर व्यक्ति स्वयं को महान बना सकता है।
  • किसी भी संघर्षशील व्यक्ति के लिए राष्ट्रवाद उसकी प्रेरणा होनी चाहिए और अंत्योदय अंतिम लक्ष्य।
  • व्यक्ति को राजनीति से ऊपर उठकर विचार करना चाहिए राष्ट्रहित में कार्य करना चाहिए पार्टी , संगठन आदि की विचारधारा राष्ट्र से ऊपर नहीं हो सकती।
  • भारतीय संस्कृति विश्व विख्यात है भारत की पहचान उसकी संस्कृति से है इसको बनाए रखना सभी देशवासियों का कर्तव्य है।
  • गरीबी हटाओ आदि के नारे लगाकर गरीबी नहीं हटाई जाती, गरीबी हटाने के लिए गरीब का जीवन को जीना पड़ता है।
  • जिस सरकार के पास भविष्य की योजना नहीं होती वह सरकार अपना भंडार भरने का ध्येय रखती है।
  • हम किस प्रकार एक श्रेष्ठ व्यक्ति बन सके उसके लिए दिन-रात विचार करना चाहिए श्रेष्ठता से बढ़कर और कुछ नहीं होता यही जीवन की संचित पूंजी होती है।
  • चुने गए जनप्रतिनिधि का कर्तव्य होना चाहिए पूंजीवादी विचारधारा से ऊपर उठकर दरिद्र नारायण की सेवा करना।
  • राष्ट्र के पुनर्निर्माण और मजबूत नीवं डालने के लिए प्रबल इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है।
  • शत्रु की निर्बलता योद्धा की ताकत का परिचायक नहीं होती योद्धा अपने बाहुबल और मजबूत इच्छा शक्ति से स्वयं का परिचय देता है।
  • समाज का परिवर्तन तभी संभव है जब समाज में समरूपता का भाव जागृत होगा।
  • कोई भी बड़ा संगठन एक व्यक्ति के संघर्ष से नहीं खड़ा होता उसको खड़ा करने के लिए कितने ही नीव का पत्थर बनते हैं।
  • समाज का कार्य समाज में परिवर्तन के साथ-साथ देश को उन्नति का मार्ग दिखाती है।

हिन्दी के विषय में

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  • हिंदी ने न तो कभी किसी अन्य भारतीय भाषा के साथ प्रतिस्पर्धा की है और न ही प्रतिस्पर्धा करेगी।...किसी भी देश की मौलिक और रचनात्मक अभिव्यक्ति केवल उसकी अपनी भाषा के माध्यम से ही संभव है जो हमारे पास है। सभी भारतीय भाषाओं और बोलियों को अपने साथ लेकर चलना हमारी सांस्कृतिक विरासत है। -- (१४ सितम्बर २०२३ को हिन्दी दिवस के अवसर पर अपने सम्बोधन में)
  • हिंदी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में भाषाओं की विविधता को एकजुट करती है। हिंदी एक लोकतांत्रिक भाषा रही है। इसने विभिन्न भारतीय भाषाओं और बोलियों के साथ-साथ कई वैश्विक भाषाओं को भी सम्मान दिया है और उनकी शब्दावलियों, वाक्यों और व्याकरण नियमों को अपनाया है। इसने स्वतंत्रता आंदोलन के कठिन दिनों के दौरान देश को एकजुट करने में भी अभूतपूर्व भूमिका निभाई।. इसने कई भाषाओं और बोलियों में विभाजित देश में एकता की भावना पैदा की। संचार की भाषा के रूप में हिंदी ने देश में पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक स्वतंत्रता संग्राम को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संविधान निर्माताओं ने 14 सितंबर 1949 को हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। किसी भी देश की मौलिक और रचनात्मक अभिव्यक्ति उसकी अपनी भाषा से ही संभव है। -- (१४ सितम्बर २०२३ को हिन्दी दिवस के अवसर पर अपने सम्बोधन में)