हरिवंश राय बच्चन हिंदी साहित्य के ‘छायावादी काल’ के विख्यात कवियों और लेखकों में से एक माने जाते हैं। उन्न्होंने हिंदी काव्य के क्षेत्र में एक से बढ़कर एक श्रेष्ठ कविताओं की रचना की। हरिवंश राय बच्चन की सबसे प्रसिद्ध रचनाओं में से एक “मधुशाला” मानी जाती है जिसे हिंदी साहित्य जगत में बहुत प्रसिद्धि मिली है। मुख्यत काव्य की रचना करने वाले हरिवंश राय बच्चन जी ने हिंदी साहित्य में अविस्मर्णीय योगदान दिया है।

उद्धरण

सम्पादन
  • हारना तब आवश्यक हो जाता है, जब लड़ाई अपनों से हो, और जीतना तब आवश्यक हो जाता है, जब लड़ाई अपने आप से हो।
  • लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
  • मंजिल मिले ये तो मुकद्दर की बात है, हम कोशिश न करे ये तो गलत बात है।
  • आज अपने ख़्वाब को मैं सच बनाना चाहता हु, दूर की इस कल्पना के पास जाना चाहता हूँ।
  • मन का हो जाए तो अच्छा, न हो तो और भी अच्छा।
  • तू न थकेंगा कभी, तू न थमेंगा कभी, तू न मुड़ेगा कभी, कर शपथ कर शपथ कर शपथ, अग्निपथ अग्निपथ, अग्निपथ।
  • किसी ने बर्फ से पूछा की आप इतने ठंडे क्यों हो? बर्फ ने कहा मेरा अतीत भी पानी है, मेरा भविष्य भी पानी है फिर मैं घमड़ किस बात का रखू।
  • गिरना भी अच्छा है, औकात का पता चल जाता है। बढ़ते है जब हाथ उठाने को अपनो का पता चलता है।
  • रब ने नवाजा हमे जिंदगी देकर, हम शौहरत मांगते रह गए।
  • क्या बात करे इस दुनिया की हर शख्स के अपने अफ़साने है जो सामने है उसे बुरा कहते है और जिसको कभी देखा नहीं उसे सभी खुदा कहते है।
  • जब मुसीबत आये तो समझ जाना जनाब जिंदगी हमें कुछ नया सिखाने वाली है।
  • जिंदगी में इतने व्यस्त हो जाओ की उदास होने का वक्त ही न मिले।
  • मजबूरियां देर रात तक जागती है और जिम्मेदारियां आपको सुबह जल्दी उठा देती है।
  • सोचा था घर बनाकर बैठूँगा सुकून से पर घर की जरूरत ने मुसाफिर बना डाला।
  • संघर्ष इंसान को मजबूत बनाता है, फिर चाहे वो कितना ही कमजोर क्यों ना हो।
  • आज अपने ख्वाब को मैं सच बनाना चाहता हूं, दूर की इस कल्पना के पास जाना चाहता हूं।
  • जो लहरों से डरता है वह कभी भी नौका पार नहीं कर पाता है।
  • सीख रहा हूँ अब मैं भी इंसानों को पढ़ने का हुनर, सुना है चेहरे पर किताबों से ज्यादा लिखा होता है।
  • ये समंदर भी तेरी तरह खुदगर्ज निकला, जिंदा थे तो तैरने ने दिया और मर गए तो डूबने न दिया।
  • कभी फूलों की तरह मत जीना जिस दिन खिलोगे बिखर जाओगे,जीना है तो पत्थर बन के जियो, किसी दिन तराशे गए तो खुदा बन जाओगे।
  • जो बीत गयी सो बात गयी जीवन एक सितारा था। माना वह बेहद प्यारा था, वह डूब गया तो डूब गया, अंबर के आनन को देखो।
  • बैठ जाता हूं, मिट्टी पर अक्सर क्योंकि मुझे मेरी औकात अच्छी लगती है। मैंने समंदर से सीखा है, जीने का सलीका, चुपचाप से बहना और मौज में रहना।
  • मैं छुपाना जानता तो जग मुझे साधु समझता, शत्रु बन गया है छल रहित व्यवहार मेरा।
  • प्यार किसी को करना, लेकिन कहकर उसे बताना क्या, अपने को अर्पण करना पर औरों को अपनाना क्या।
  • मैं यादों का किस्सा खोलूं, तो कुछ दोस्त बहुत याद करते हैं।
  • हो जाए न पथ में रात कहीं, मंजिल भी तो है दूर नहीं। यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी जल्दी चलता है, दिन जल्दी जल्दी ढलता है।
  • संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम, कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होती। कोशिश करने वालों की कभी हार नही होती।
  • एक बरस में एक बार ही जलती होली की ज्वाला, एक बार ही लगती बाजी, जलती दीपों की माला। दुनिया वालों किंतु किसी दिन आ मंदिरालय में देखो,दिन को होली रात को दिवाली, रोज मनाती मधुशाला।
  • जग भव सागर तरने को नाव बनाए, मैं भव मौजों में मस्त बहा करता हूं।
  • मैं जग जीवन का भार लिए फिरता हूं, फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूं। कर दिया किसी ने झंकृत जिनको छूकर, मैं सांसों में दो तार लिए फिरता हूं।
  • गुजरते वक्त के साथ एक दिन यूं ही गुजर जाऊंगा, करके कुछ आँखों को नम कुछ दिलों में यादे बन कर बस जाऊँगा।
  • जो छूट गए फिर कहाँ मिले पर बोलो टूटे तारों पर, कब अम्बर शोक मनाता है, जो बीत गई सो बात गई।
  • असफलता एक चुनौती हैं, स्वीकार करो क्या कमी रह गयी, देखो और सुधार करो जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम संघर्ष का मैदान छोड़ मत भागो तुम, कुछ किये बिना ही जय जय कर नहीं होती कोशिश करनेवालों की हर नहीं होती।
  • उतर नशा जब उसका जाता, आती है संध्या बाला, बड़ी पुरानी, बड़ी नशीली नित्य ढला जाती हाला। जीवन की संताप शोक सब इसको पीकर मिट जाते, सुरा-सुप्त होते मद-लोभी जागृत रहती मधुशाला।
  • मैं जग-जीवन का भार लिए फिरता हूँ, फिर भी जीवन में प्यार लिए फिरता हूँ।