सर्वपल्ली राधाकृष्णन
डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन (तमिल: சர்வபள்ளி ராதாகிருஷ்ணன்; 5 सितम्बर 1888 – 17 अप्रैल 1975) भारत के प्रथम उप-राष्ट्रपति (1952 - 1962) और द्वितीय राष्ट्रपति रहे।
उक्तियाँ
सम्पादन- दुनिया के सारे संगठन अप्रभावी हो जायेंगे यदि यह सत्य कि प्रेम द्वेष से शक्तिशाली होता है उन्हें प्रेरित नही करता।
- उम्र या युवावस्था का काल-क्रम से लेना-देना नहीं है। हम उतने ही नौजवान या बूढें हैं जितना हम महसूस करते हैं। हम अपने बारे में क्या सोचते हैं यही मायने रखता है।
- एक साहित्यिक प्रतिभा, कहा जाता है कि हर एक की तरह दिखती है, लेकिन उस जैसा कोई नहीं दिखता।
- शिक्षा का परिणाम एक मुक्त रचनात्मक व्यक्ति होना चाहिए जो ऐतिहासिक परिस्थितियों और प्राकृतिक आपदाओं के विरुद्ध लड़ सके।
- केवल निर्मल मन वाला व्यक्ति ही जीवन के आध्यात्मिक अर्थ को समझ सकता है। स्वयं के साथ ईमानदारी आध्यात्मिक अखंडता की अनिवार्यता है।
- लोकतंत्र सिर्फ विशेष लोगों के नहीं बल्कि हर एक मनुष्य की आध्यात्मिक संभावनाओं में एक यकीन है।
- कला मानवीय आत्मा की गहरी परतों को उजागर करती है। कला तभी संभव है जब स्वर्ग धरती को छुए|
- हमें मानवता को उन नैतिक जड़ों तक वापस ले जाना चाहिए जहाँ से अनुशाशन और स्वतंत्रता दोनों का उद्गम हो|
- धर्म भय पर विजय है; असफलता और मौत का मारक है।
- मानवीय जीवन जैसा हम जीते हैं वो महज हम जैसा जीवन जी सकते हैं उसक कच्चा रूप है।