प्रभात
(सबेरा से अनुप्रेषित)
- ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरान्तकारी भानुः शशि भूमिसुतो बुधश्च ।
- गुरुश्च शुक्रः शनि राहुकेतवः कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥
- ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरान्तकारी भानुः शशि भूमिसुतो बुधश्च ।
- गुरुश्च शुक्र: शनिराहुकेतवः कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम् ॥
- ब्रह्मा, मुरारी, त्रिपुरान्तकारी, सूर्य, चंद्र, मङ्गल और बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, केतु - मेरी सुबह को सफल बनाएं ।
- बीती विभावरी जाग री !
- अम्बर-पनघट में डोबो रही, तारा-घट उषा नागरी।
- खग कुल कुल-कुल सा बोल रहा, किसलय का आँचल डोल रहा
- लो यह लतिका भी भर लायी, मधु-मुकुल नवल रस गागरी। -- जयशंकर प्रसाद
- सोहत ओढ़ पीतु पटु, स्याम सलौने गात ।
- मनौ नीलमनि-सैल पर, आतपु पर्यो प्रभात ॥ -- बिहारी
- भगवान श्रीकृष्ण का नीला शरीर पीतांबर ओढ़े दिव्य स्वरूप ऐसे प्रतीत हो रहा है, मानो नीलमणि पर्वत पर सुबह का सूर्य शोभायमान हो।