शोले

1975 की रमेश सिप्पी की फ़िल्म

शोले १९७५ में निर्मित एक हिंदी भाषा की फिल्म है। रामगड के ठाकुर बलदेव सिंह एक इंसपेक्टर था, जिसने एक क्रूर डाकू गब्बर सिंह को पकड़कर जेल में डलवा दिया था जिसके पश्चात् गब्बर जेल से भाग निकलता है और ठाकुर के परिवार को बर्बाद कर देता है। इसका बदला लेने के लिए ठाकुर जय (अमिताभ बच्चन) तथा वीरू (धर्मेन्द्र) नामक दो चोरों की मदद लेता है।

निर्देशक - रमेश सिप्पी, लेखक - सलीम-जावेद
  • ये हाथ हमको दे दे, ठाकुर।
  • गब्बर के ताप से तुम्हें एक ही आदमी बचा सकता है।.. खुद गब्बर।
  • तुम्हारा नाम क्या है, बसंती?
  • आधे इधर जाओ, आधे उधर जाओ, बाकी मेरे पीछे आओ।
  • हम अंग्रेर्जों के जमाने के जेलर है! ह हा।
  • हमारे जेल में सुरंग?
  • हमारे जेल में पिस्तौल?
  • ये हाथ नहीं फाँसी का फंदा है, गब्बर।
  • भाग धन्नो भाग! आज तेरी बसंती की इज्जत का सवाल है।
  • यूँ तो हमें ज्यादा बोलने कि आदत तो है नहीं।
  • क्योंकि… ये कौन बोला?
  • बसंती, इन कुत्तों के सामने मत नाचना।

रहीम चाचा

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  • इतना सन्नाटा क्यों है, भाई?

सूरमा भोपाली

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  • ऐसे कैसे पैसे मांग रिये हो।

प्रसिद्ध वाक्य

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  • जो डर गया समझो मर गया।
गब्बर: हम्म... कितने आदमी थे?
कालिया: सरदार... दो आदमी थे।
गब्बर: हम्म... दो आदमी? ... सूअर के बच्चों... वो दो थे, और तुम तीन... फिर भी वापस आ गये। खाली हाथ... क्या समझ कर आये थे?... सरदार बहुत खुस होगा, साबासी देगा क्योँ? धिक्कार है... अरे ओ साँभा... कितना इनाम रखे है सरकार हम पर?
साँभा: पूरे पचास हज़ार...
गब्बर: सूना? पूरे पचास हज़ार... और ये इनाम इसलिए है कि यहाँ से पचास पचास कोस दूर गाँवों में जब बच्चा रात को रोता है तो माँ कहती है - "बेटा सो जा... सो जा नहीं तो गब्बर सिंह आ जाएगा।" और ये तीन हराम ज़ादे... ये गब्बर सिंह का नाम पूरा मिट्टी में मिलाये दिये... इसकी सज़ा मिलेगी... बराबर मिलेगी...
(एक आदमी से पिस्तौल लेता है और उससे पूछता है) कितनी गोली है इसके अंदर?
(वो आदमी चौंक जाता है)
गब्बर: कितनी गोली है?
आदमी: छः सरदार
गब्बर: (खुद से) छ:? (ऊँचे स्वर में) छः गोली... छः गोली है इसके अंदर... छः गोली और आदमी तीन... बहुत नाइंसाफी है ये।
(तीन गोली हवा में उडा देता है) अब ठीक है। हाँ अब ठीक है... अब इसके तीन ख़ानों में गोली है, तीन खाली... अब हम इसको घुमाएगें... अब कहाँ गोली है कहाँ नहीं?... हमको नहीं पता... हमको कुछ नहीं पता। इस पिस्तौल में तीन ज़िंदगी तीन मौत बंद है... देखें किसे क्या मिलता है?
(पहले आदमी की तरफ जा कर उसके सिर पर पिस्तौल चलाता है लेकिन गोली नहीं चलती) बच गया साला...
(दूसरे के सिर पे पिस्तौल चलाता है, वह भी बच जाता है) ये भी बच गया...
(तीसरे की ओर जाकर) अब तेरा क्या होगा कालिया?

बाह्य सूत्र

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