अगर एक बच्चा गलत रास्ते पर चला जाता है तो इसके लिए वह बच्चा दोषी नहीं है, बल्कि इसके लिए उसके माता-पिता जिम्मेदार है।
अगर किसी इंसान में यह 5 खूबियाँ हैं तो वह स्कूली शिक्षा हासिल किये बिना कामियाब हो सकता है, और वह हैं – 1 चरित्र 2 प्रतिबद्धता 3 दृण विश्वाश 4 तहजीब 5 साहस
अगर कोई जिंदगी में बड़ी चीजें हांसिल करना चाहता है तो उसे पूर्णतया कुशल और समझदार बनना पड़ेगा। पूर्णतया कुशलता और समझदारी का मतलब है – छोटी छोटी बातों और बहस में न उलझना।
अगर कोई मूर्खता की बजाए समझदारी, बुराई की बजाय अच्छाई और असश्यता की बजाय सदगुण को चुनता है, तो ऐसे आदमी के पास स्कूली डिग्रियां न होने के बाबजूत, उसे शिक्षित माना जाना चाहियें।
अगर हम अपने नज़रिये को सकारात्मक बनाना चाहते हैं तो टालमटोल की आदत छोड़ें और ‘तुरंत काम करो’ पर अमल करना सीखें।
अगर हम असफल होना चाहते हैं तो भाग्य में विश्वाश कीजिये, और सफल होना चाहते हैं तो वजह और नतीजों के सिद्धांत में विश्वाश कीजिए।
अगर हम हल का हिस्सा नहीं हैं, तो हम समस्या हैं।
अच्छा महसूस करना अच्छा करने का एक स्वाभाविक परिणाम है; और अच्छा करना अच्छा होने का एक स्वाभाविक परिणाम है।
अच्छाई वापसी का रास्ता ढूंढ लेती है ; यह प्रकृति का बुनियादी नियम है। अच्छा काम करते समय फल पाने की इच्छा रखना जरूरी नहीं है। फल तो कुदरती तोर पर अपने आप मिलता है।
अच्छी आदतों को अपनाना मुश्किल है, लेकिन उसके साथ जीना आसान है। बुरी आदतों को अपनाना आसान है पर उसके साथ जीना मुश्किल है।
अच्छे नेता और नेता बनाने की चेष्टा करते हैं, बुरे नेता अनुयायी बनाने की चेष्टा करते हैं।
अच्छे माँ–बाप अनुशासन लागू करने से नहीं हिचकते, भले ही बच्चे कुछ देर के लिए उन्हें नापसंद करें।
अच्छे माहौल में एक मामूली कर्मचारी की भी काम करने की शक्ति बढ़ जाती है जबकि खराब माहौल में एक अच्छे कर्मचारी की भी कुशलता कम हो जाती है।
अच्छे लीडर्स, हमेंशा अधिक से अधिक अच्छे लीडर्स बनाने के बारे में सोचते हैं, और बुरे लीडर्स, हमेशा अधिक से अधिक अनुयायी बनाने के बारे में सोचते हैं।
अधिकांश लोग जीवन में जीतना चाहते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जीतने में लगने वाली तैयारी की कीमत चुकाने के लिए राज़ी हैं।
अनजान होना शर्म की बात नहीं है लेकिन सीखने की इच्छा न होना शर्म की बात है।
अनुशासन और पछतावा दोनों ही दुखदायक हैं। ज्यादातर लोगों को इन दोनों में से किसी एक को ही चुनना होता है। जरा सोचियें इन दोनों में से कौन ज्यादा तकलीफ में हैं।
अपना एक विजन होना चाहिए- यह अदृश्य को देखने की काबिलियत है। अगर आप अदृश्य को देख सकते हैं तो आप असंभव को भी संभव कर सकते हैं।
अपने को बेहतर बनाने में इतना बक्त लगायें कि दूसरों की आलोचना करने के लिए हमारे पास वक्त ही न बचे। इतने बड़े बने कि चिंता छु न सके और इतने अच्छे बने कि गुस्सा आये ही नहीं।
अपने घटिया नजरिए का एहसास हो जाने पर भी हम उसे बदलते क्यों नहीं?
अवसर केवल एक बार दस्तक देता है। अगला अवसर बेहतर या बुरा हो सकता है, लेकिन कभी भी वैसा ही नहीं होता। इसलिए सही समय पर सही निर्णय लेना इतना महत्वपूर्ण है। गलत समय पर सही निर्णय गलत निर्णय बन जाता है।
असफल हो जाना कोई अपराध नहीं है पर कोशिश न करना यकीनन अपराध हैं।
आत्म-सम्मान और अहंकार का उल्टा सम्बन्ध है।
आत्मसम्मान एक ऐसा अहसास है, जो अच्छाई को समझने और उस पर अमल करने में पैदा होता है।
आधे मन से किया गया प्रयास आधा परिणाम नहीं देता; यह कोई परिणाम नहीं देता।
आप जितनी बहसें जीतते है उतने मित्रों को खो देते हैं।
आपने मित्रों को सावधानी से चुने । हमारे व्यक्तित्व की झलक न सिर्फ हमारे सांगत से झलकती है बल्कि, जिन संगतों से हम दूर रहते हैं उससे भी झलकती है ।
इन्स्पीरेशन सोच है जबकि मोटीवेशन कार्रवाई है।
उद्देश्य: जीवन भर के लक्ष्य को ‘उद्देश्य’ कहा जाता है। अपने उद्देश्य की पहचान करने के लिए ख़ुद से पूछें “यदि आज मेरी आयु सौ होती और मैं पलटकर अपने जीवन को देखता, तो वह क्या है जो मैं कहता कि मेरी उपलब्धि है?” उत्तर आपका उद्देश्य है।
उन चीजों को पसंद करना सीखें, जिन्हें पूरा करना जरूरी है।
एक अशिक्षित चोर ट्रेन से सामान चुरा सकता है, लेकिन एक शिक्षित पूरी ट्रेन चुरा सकता है। हमें ज्ञान और बुद्धिमत्ता के लिए प्रतिस्पर्धा करने की आवश्यकता है, न कि दर्जे के लिए।
एक देश नारे लगाने से महान नहीं बन जाता।
एक बड़े आदमी और एक छोटे आदमी के बीच का अंतर सत्यनिष्ठा और कड़ी मेहनत के प्रति उनकी प्रतिबद्धता है।
एक बेवकूफ बिना सोचे समझे बोलता है और एक बुद्धिमान सोच समझकर।
एक महान आदमी और एक छोटे आदमी के बीच का अंतर ईमानदारी और कड़ी मेहनत के प्रति उनकी वचनबद्धता है।
एक विचार पुस्तक बनाए, विचार हमारी सोच की तुलना में तेजी से उड़ जाते हैं।
ओह, हम जो जीवित रहते हुए महत्त्वकांक्षा से पूरी दुनिया तलाशते रहते हैं, को मरने पर धरती का कितना छोटा टुकड़ा ख़ुद में समा लेता है।
कड़ी और अच्छी तरह से परिश्रम करो और आपको अपनी परियोजना पूर्ण करने की संतुष्टि प्राप्त होगी। कभी-कभी दूसरों की सराहना प्राप्त हो सकती है, लेकिन वह महत्वपूर्ण आंतरिक संतुष्टि का अधिलाभ है।
कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है।
कभी भी दुष्ट लोगों की सक्रियता समाज को बर्बाद नहीं करती, बल्कि हमेंशा अच्छे लोगों की निष्क्रियता समाज को बर्बाद करती है।
कामियाब लोग कठिनाइयों के बाबजूत सफलता हांसिल करते हैं। न कि तब जब कठिनाई नहीं होती।
कामियाबी का यह मतलब नहीं है कि हर इंसान आपको पसंद करे। ऐसे लोग भी हैं जिनसे मान्यता पाना मैं खुद नहीं चाहूंगा। मूर्खों की आलोचना को मैं घिनौने चरित्र के लोगों की तारीफ से बेहतर मानता हूँ।
कार्य टालने की आदत कार्य करने के प्रयास के मुकाबले आपको कहीं अधिक थका देती है।
किसी अज्ञानी को बहस में हराना नामुमकिन है, उसके तर्क कमज़ोर होते हैं, पर लब्ज़ तीखे और कठोर।
किसी को धोखा न दें क्योंकि ये आदत बन जाती है , और फिर आदत से व्यक्तित्व।
किसी क्षेत्र में सफलता दिलाने वाली बढ़त तैयारी से ही मिलती है।
किसी डिग्री का न होना दरअसल फायदेमंद है। अगर आप इंजीनियर हैं या डाक्टर हैं तो आप एक ही काम कर सकते हैं। लेकिन यदि आपके पास कोई डिग्री नहीं है, तो आप कुछ भी कर सकते हैं।
किसी भी प्रोडक्ट को बेचने के लिए 90% दृढ़ विश्वास जबकि 10% प्रोत्साहन होना चाहिए।
कुछ लोग खुद को थोड़ा बेहतर मानते हैं क्योंकि वे गलत का साथ नहीं देते; हालांकि, उनके पास प्रविरोध करने हेतु दृढ़ विश्वास की कमी होती है। उन्हें एहसास नहीं है कि प्रविरोध न करके असल में वे साथ दे रहे हैं।
कुदरत बड़ी समझदार और मेहरबान है क्योंकि उसने आदमी को सोचने की क्षमता का सबसे बड़ा तोहफा दिया है, लेकिन अफसोस की बात है कि बहुत कम ही लोग इस महान तोहफे का पूरा इस्तेमाल कर पाते हैं।
कोई तब तक अच्छा शिक्षक नहीं बन सकता, जब तक वह अच्छा छात्र न हो।
कोई मौका दोबार नहीं खटखटाता। दूसरा मौका पहले वाले मौके से बेहतर या बत्तर हो सकता है, पर वह ठीक पहले वाले मौके जैसा नहीं हो सकता। गलत वक्त पर लिया गया सही फैसला भी गलत बन जाता है।
क्योंकि कुदरत खाली जगह को पसंद नहीं करती, इसलिए वह खाली दिमाग को अहंकार से भर देती है।
क्रियाशीलता में सच्चाई ही न्याय है।
क्षमता हमें सिखाती है कि हम कैसे करें, प्रेरणा निर्धारित करती है कि हम क्यों करें, और दृष्टिकोण यह तय करता है कि हम कितना अच्छा करते हैं।
खतरा न उठाने वाला आदमी कोई गलती भी नहीं करता लेकिन कोशिश न करना, कोशिश करके असफल होने से भी बड़ी गलती है।
खतरे उठाइये पर जुआ मत खेलिये, खतरे उठाने वाले आदमी अपनी ऑंखें खुली करके आगे बढ़ते हैं, जबकि जुआ खेलने वाले अँधेरे में तीर चलाते हैं।
गुब्बारा अपने रंग की वजह से नहीं बल्कि अपने अंदर भरे चीज की वजह से उड़ता है। हमारी जिंदगी में भी यही उसूल लागू होता है। अहम् चीज हमारी अंदरूनी सख्शियत है। हमारी अंदरूनी शक्शियत की वजह से हमारा जो नजरिया बनता है, वही हमें ऊपर उठाता है।
गुस्सा इंसान को मुश्किल में डालता है, और अहंकार उसे आगे बढ़ने से रोकता है।
चरित्र का निर्माण तब नहीं शुरू होता जब बच्चा पैदा होता है; ये बच्चे के पैदा होने के सौ साल पहले से शुरू हो जाता है।
छोटे लोग दूसरों के बारे में बाते करते हैं, बीच के लोग चीजों के बारे में बात करते हैं और महान लोग सुझाव के बारे में।
जब कभी कोई व्यक्ति कहता है कि मैं ये नहीं कर सकता, तो वह वास्तव में दो बातें कह रहा होता है। या तो मैं नहीं जानता कि यह कैसे करना है या मैं यह नहीं करना चाहता।
जब तक आपकी नज़र आपके लक्ष्य पर है, आप बाधाओं को नहीं देखते।
जब हम अपने लोगों की समस्याओं का ध्यान रखते हैं, तो हमारी व्यावसायिक समस्याएं स्वतः हल हो जाती हैं।
जब हालत बिगड़ जाते हैं तो नकारात्मक लोग एक दूसरे पर इल्ज़ाम लगाने लगते हैं।
जिन्हें मौके की पहचान नहीं होती उन्हें मोके का खटखटाना शोरे लगता है।
जिस इंसान में साहस की कमी होती है, वह तकलीफ में आपका साथ अवश्य छोड़ देगा।
जिस तरह किसी भव्य इमारत के टिके रहने के लिए उसकी नीव मजबूत होनी चाहिये, उसी तरह कामियाबी में टिके रहने के लिए भी मजबूत बुनियाद की जरूरत होती है, और कामियाबी की बुनियाद होती है नजरिया।
जिस तरह कोई व्यक्ति डिक्शनरी के ऊपर बैठने से शब्द और स्पेलिंग नहीं सीख सकता, उसी तरह कोई भी व्यक्ति कठिन परिश्रम के बिना अपनी काम करने की शक्ति नहीं बढ़ा सकता।
जीतने वाला हमेशा समाधान का हिस्सा होता है और हारने वाला हमेशा समस्या का हिस्सा होता है।
जीतने वाले कोई अलग काम नहीं करते, वे हर काम को अलग ढंग से करते हैं।
जीतने वाले लाभ देखते हैं, हारने वाले दर्द।
जीवन में ऊपर उठते समय लोगों से अदब से पेश आए, क्योंकि नीचे गिरते समय आप इन लोगों से दोबारा मिलेंगे।
जो करना जरूरी है उसे पसंद करो।
जो भी उधार लें उसे समय पर चूका दें क्योंकि इससे आपकी विश्वसनीयता बढ़ती है।
जो लोग जीतते हैं वह कोई अलग चीजों को अंजाम नहीं देते, बल्कि वो आम चीजों को खास अंदाज में पूरा करते हैं।
जो लोग भविष्य में जाना चाहते हैं, उनके पास सफ़ल होने के लिए दो कौशल होने चाहिए – लोक व्यवहार की क्षमता और विक्रय क्षमता।
ज्यादातर लोग जानकारी या प्रतिभा की कमी की वजह से नहीं, बल्कि कोशिश बंद करने की वजह से असफल होते हैं।
झूठी प्रशंसा स्वीकार करने से, सच्ची आलोचना स्वीकार करना ज्यादा आसान है।
त्रासदी यह है कि यहाँ कई चलते-फ़िरते विश्वकोष हैं, जो जीते-जागते असफ़ल व्यक्ति हैं।
दरअसल डिग्री का न होना फ़ायदेमंद है। यदि आप इंजीनियर या डॉक्टर हैं, तो आप केवल एक ही काम कर सकते हैं। लेकिन यदि आपके पास कोई डिग्री नहीं, तो आप कुछ भी कर सकते हैं।
दिशा गति से अधिक महत्वपूर्ण है। बहुत से लोग तेजी से कहीं नहीं जा रहे हैं।
दुनिया हमें वैसी नहीं दिखती जैसी वह है, बल्कि वैसी दिखती है जैसे हम हैं।
दुष्टों की सक्रियता कभी भी समाज को नष्ट नहीं करती, लेकिन यह हमेशा अच्छे लोगों की निष्क्रियता होती है, जो ऐसा करती है।
दूरदर्शिता रखे। यह अदृश्य देख लेने की क्षमता है। यदि आप अदृश्य देख सकते हैं, तो आप असंभव हासिल कर सकते हैं।
दृष्टिकोण सफ़लता का आधार है। सफ़लता जितनी अधिक होगी, आधार उतना ही मजबूत होगा।
नारे लगाने से कोई राष्ट्र महान नहीं बन जाता।
नेतृत्व धारणा, प्रस्तुति और लोगों के कौशल के बारे में है।
पात्रता वह है, जो अर्थ और संतुष्टि दे। संतुष्टि के बिना सफ़लता खोखली है। यह अच्छाई के बिना रूप जैसी है। जीवन में हमें आकार से अधिक सत्त्व की आवश्यकता है, न कि सत्त्व से अधिक आकार की।
पैसा कमाना कहीं आसान है, लेकिन कुछ अलग कर दिखाना कहीं मुश्किल।
पैसा लोगों के जीवन में बड़ा बदलाव लाने के लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण उपकरण है। यह मूल्यों के आधार पर सकारात्मक या नकारात्मक होता है।
प्रतिकूल परिस्थितियों में – कुछ लोग टूट जाते हैं, कुछ रिकॉर्ड तोड़ते हैं।
प्रेरणा एक आग की तरह है, जिसे जलाए रखने के लिए इसमें लगातार ईंधन डालना पड़ता है। प्रेरणा को बनाए रखने के लिए आपका ईंधन “स्वंय पर विश्वास” ही है।
बहुत सी चीजें बच्चे की परवरिश पर निर्भर करती हैं।
बाधा जितनी बड़ी होगी, अवसर भी उतना ही बड़ा होगा।
बिना कठिन परिश्रम के सफलता नहीं मिल सकती, कुदरत चिड़ियों को खाना जरूर देती है, लेकिन उनके घोंसले में नहीं डालती।
बुद्धिमान लोग झूठी प्रशंसा से बर्बाद होने के बजाय रचनात्मक आलोचना से लाभ उठाना पसंद करते हैं।
बौद्धिक शिक्षा मस्तिष्क को प्रभावित करती है और मूल्यों पर आधारित शिक्षा हृदय को प्रभावित करती है।
मानव बहुकार्यन (मल्टीटास्किंग) कई कार्य करने की क्षमता है, लेकिन एक समय में एक।
मेरा पहला उद्देश्य है निवेश करना और इसके अतिरिक्त भी कुछ बच जाता है तो उसे खर्च करना।
मेरे विचार से यह व्यक्ति का दृढ़ विश्वास है, जो वास्तव में व्यक्ति को आगे लेकर जाता है।
मैं लोगों का उत्साह बढ़ाने को अपनी योग्यता मानता हूँ और वही मेरी सबसे बड़ी पूँजी है। यही एक महत्वपूर्ण रास्ता है जिससे किसी इंसान की अच्छाई उभारी जा सकती है।
मौका आता है तो लोग उसकी अहमियत नहीं पहचानते। जब मौका जाने लगता है तो उसके पीछे भागने लगते हैं।
यदि आप एक सकारात्मक दृष्टिकोण का बनाना और कायम रखना चाहते हैं, तो वर्तमान में जीने और अभी करने की आदत डालिए।
यदि आप सकारात्मक दृष्टिकोण का निर्माण करना चाहते हैं, तो उच्च नैतिक चरित्र के लोगों के साथ जुड़ें और ऐसी किताबें पढ़ें जो आपको सकारात्मक सोच की ओर ले जाये।
यदि आप सोचते हैं की आप कर सकते हैं, तो आप कर सकते हैं ! और यदि आप सोचते हैं कि आप नहीं कर सकते हैं- तो आप नहीं कर सकते हैं ! और दोनों तरह से आप सही हैं !
यदि बच्चा गलत राह पर जाता है, तो वह बच्चा नहीं है, जिसे दोषी ठहराया जाना है; वे माता-पिता, जो जिम्मेदार हैं।
यदि हम समाधान का हिस्सा नहीं हैं, तो हम समस्या हैं।
याद रखें सबसे बड़ा प्रेरक विश्वास है। हमें ख़ुद में यह विश्वास जगाना होगा कि हम अपने कार्यों और व्यवहार के लिए जिम्मेदार हैं। जब लोग जिम्मेदारी स्वीकार करते हैं, तो हर चीज़ में सुधार होता है: गुणवत्ता, उत्पादकता, रिश्ते और टीमवर्क।
योग्यता आपको सफ़लता दिलायेगी ; चरित्र आपको सफ़ल बनाए रखेगा।
लक्ष्य वे सपने हैं, जिनके साथ समय सीमा और कार्य योजना जुडी होती हैं। लक्ष्य मूल्यवान या मूल्यहीन हो सकता है। सपनो को असलियत का रूप चाहत नहीं बल्कि लगन देती है।
लम्बी अवधि के निवेश में आपको हर दिन के मैनेजमेंट की जरुरत नहीं होती है।
लोग इसकी परवाह नहीं करते हैं कि आप कितना जानते हैं, वो ये जानना चाहते हैं कि आप कितना ख़याल रखते हैं।
लोगों से साथ विनम्र होना सीखे। महत्वपूर्ण होना जरुरी है लेकिन अच्चा होना ज्यादा महत्वपूर्ण है ।
विक्रय का नब्बे प्रतिशत दृढ़ विश्वास है, और दस प्रतिशत प्रोत्साहन।
विजेता के पास हर समस्या का समाधान होता है; हारने वाले के पास हर समाधान के लिए एक समस्या होती है।
विजेता बोलते हैं कि “मुझे कुछ करना चाहिए”, हारने वाले बोलते हैं कि “कुछ होना चाहिए”।
विपरीत परिस्थितियों में कुछ लोग टूट जाते हैं, और कुछ लोग रिकार्ड तोड़ते हैं।
वे लोग जो भविष्य में बहुत आगे जाना चाहते हैं उनमें सफल होने के लिए दो योग्यता होनी चाहिए, पहली, लोगों के साथ कुशल व्यवहार करने की और दूसरी, लोगों को कुछ बेचने की।
व्यक्ति का चरित्र न सिर्फ़ उसकी संगत द्वारा आंका जाता है, बल्कि जो संगत वे नज़रंदाज़ करते हैं, उसके द्वारा भी आंका जाता है।
व्यवहारिक समझ की बहुतायत को ‘अक्लमंदी’ कहते है।
शिक्षा ऐसी होनी चाहिये जो हमें केवल रोजी-रोटी कमाना नहीं बल्कि जीने का तरीका भी सिखाये।
शिक्षित लोग अपनी सीमाओं को पहचानते हैं, लेकिन अपनी ताकत पर ध्यान केंद्रित करते हैं।
शुरुआत करने का तरीका बात बंद कर शुरू करना है।
शोध से पता चला है कि एक आदत बनाने या तोड़ने में 31 दिन का सचेत प्रयास करना पड़ता है। इसका अर्थ है, अगर कोई 31 दिनों तक लगातार कुछ अभ्यास करता है, तो 32 वें दिन वह निश्चित रूप से एक आदत बन जाती है। व्यवहार परिवर्तन में सूचना का समावेश कर दिया गया है, जिसे रूपांतरण कहा जाता है।
सकारात्मक कार्यों और सकारात्मक दृष्टिकोण के मेल के साथ मेहनत का संबल आपकी सफ़लता की संभावना बढ़ा देता है।
सकारात्मक की तलाश करने के लिये आवश्यक नहीं कि त्रुटियों को नज़रंदाज़ कर दिया जाये। एक सकारात्मक विचारक होने का अर्थ यह नहीं कि किसी को हर बात पर सहमत होना होगा या हर चीज़ को स्वीकार करना होगा। इसका अर्थ केवल यह है कि व्यक्ति समाधान केंद्रित है।
सकारात्मक दृष्टिकोण के लोगों के कुछ विशेष व्यक्तिगत गुण आसानी से पहचान में आ जाते हैं। वे परवाह करने वाले, आत्मविश्वासी, धैर्यवान और विनम्र होते हैं। उन्हें ख़ुद से और दूसरों से बहुत उम्मीदें होती हैं। वे सकारात्मक परिणामों की उम्मीद करते हैं।
सकारात्मक दृष्टिकोण वाला व्यक्ति सभी मौसमों के फल जैसा है।
सकारात्मक सोच के साथ आपके सकारात्मक कार्य के मेल का परिणाम सफ़लता है।
सक्रिय रूप से राह दिखाने करने वाले अच्छे नेता होते हैं, और सक्रिय रूप से गलत राह दिखाने वाले बुरे नेता होते हैं।
सच्चा चरित्र सही काम करना है, तब भी जब कोई देख न रहा हो।
सत्य का क्रियान्वन ही न्याय है।
सफल लोग अपने काम से Competition करते हैं। वे खुद का रिकॉर्ड बेहतर बनाते हैं और लगातार सुधार लाते रहते हैं।
सफल लोग दो तरह के होते हैं – पहले जो करते तो हैं पर सोचते नहीं ; दूसरे जो सोचते तो हैं लेकिन कुछ करते नहीं। सोचने की क्षमता का इस्तेमाल किये बिना जिंदगी गुजारना वैसा ही है, जैसे की बिना निशाना लगाये गोली चलना।
सफल लोग महान काम नहीं करते, वे छोटे–छोटे कामों को महान ढंग से करते हैं।
सफलता इस बात से नहीं मापी जाती कि हमने जिंदगी में कितनी ऊँचाई हाँसिल की है, बल्कि इस बात से मापी जाती है कि हम कितनी बार गिर कर खड़े हुए हैं। सफलता का आंकलन गिर कर उठने की इस क्षमता से ही किया जाता है।
सफ़लता एक दुर्घटना नहीं है। यह आपके दृष्टिकोण का परिणाम है और आपका दृष्टिकोण एक विकल्प है। इसलिए सफ़लता चुनाव का मुद्दा है और अवसर नहीं।
सफलता और असफलता के बीच उतना ही अंतर है जितना की सही और लगभग सही के बीच होता है।
सफलता और प्रसन्नता का चोली-दामन का साथ है। सफलता का मतलब यह है कि हम जो चाहें उसे पा लें, और प्रान्नता का मतलब है कि हम जो चाहें उसे चाहें।
सफलता के लिए कोई जादुई छड़ी नहीं होती। वास्तविक दुनिया में सफलता सिर्फ काम करने वालों को मिलती है, तमाशबीनों को नहीं।
सबके साथ विनम्र रहें, लेकिन कुछ के साथ घनिष्ट और उन कुछ को अपना विश्वास देने के पहले अच्छी तरह आज़मा लें।
समाधान केंद्रित बनें।
सर्वश्रेष्ठ शिक्षक आपको पीने के लिए कुछ नहीं देंगे, वे आपको प्यासा बना देंगे। वे आपको जवाब नहीं देंगे, लेकिन जवाब तलाशने के लिए आपको रास्ता दिखा देंगे।
सवाल यह है कि क्या हमें प्रतिस्पर्धा से दस गुना अधिक समार्ट होना होगा? बिलकुल नहीं। हमें बस उसमें अपनी नाक घुसेड़ने की ज़रूरत है और नतीज़ा दस गुना बेहतर होगा। सौ अलग-अलग क्षेत्रों में एक प्रतिशत सुधार करना किसी एक क्षेत्र में सौ प्रतिशत सुधार करने की मुकाबले कहीं आसान होता है। यह जीत की बढ़त है!
सही नजरिया के बिना कामियाबी व्यर्थ होती है।
सही समय पर सही निर्णय लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
साकारात्मक सोच के साथ साकारात्मक कार्यों का परिणाम सफलता है।
सीखना बहुत कुछ खाना खाने जैसा ही है। यह मायने नहीं रखता कि हम कितना खाते हैं, लेकिन असल में यह मायने रखता है कि हम कितना पचा पाते हैं।
सीमित सोच के सहारे आप कोई बड़ा लक्ष्य कायम नहीं कर सकते।
सुनना ही एक ताकत है, लेकिन किसी इंसान में यह खूबी जरूरत से ज्यादा बढ़ने पर ज्यादा सुनना और न बोलना उसकी कमजोरी बन जाती है।
हम अपनी खोज खुद नहीं करते, बल्कि खुद का निर्माण वैसा करते हैं जैसा हम बनना चाहते हैं।
हम असफल व्यक्ति तभी माने जायेंगे, जब हम मैदान छोड़ दें।
हम जानकारियों मे डूब रहे हैं लेकिन ज्ञान और बुद्धि के लिए भूखे मर रहे हैं। शिक्षा द्वारा हमें न केवल जीविका उपार्जन का तरीका बल्कि जीने का तरीका भी सिखाना चाहिए।
हम ज्यों ज्यों उपलब्धियां हांसिल करेंगे, हमारी आलोचना भी बढ़ती जायगी।
हमको एक तोला सोना निकालने के लिए कई टन मिट्टी हटानी पड़ती है। लेकिन खुदाई करते वक्त हमारा ध्यान मिट्टी पर नहीं बल्कि सोने पर रहता है।
हमारी समस्यायें व्यावसायिक नहीं होती। हमारी समस्या लोगों से संबंधित होती हैं।
हमारे विचार कारक हैं। आप विचार का बीज बोते हैं, तो आप कार्य की फ़सल काटते हैं। आप कार्य का बीज बोते हैं, तो आप आदत की फ़सल काटते हैं। आप एक आदत का बीज बोते हैं, तो आप चरित्र की फ़सल काटते हैं। आप चरित्र का बीज बोते हैं, तो आप भाग्य की फसल काटते हैं। यह सब एक विचार से प्रारंभ होता है।
हमें अक्सर बताया जाता है कि ज्ञान शक्ति है। लेकिन यह असलियत नहीं है। ज्ञान तो महज जानकारी है। ज्ञान में शक्ति बनने की क्षमता है, और यह तभी शक्ति बनता है जब इसका इस्तेमाल किया जाता है।
हर ठोकर के लगने के बाद खुद से पूछे कि हमने इस तजुर्वे से क्या सीखा ? तभी हम रास्ते के रोड़ो को कामियाबी की सीढ़ी बना पाएंगे।
हारने वाले लोग भाग्य में विश्वास करते हैं, हिम्मती और पक्के इरादे वाले वजह और उसके नतीजों में विश्वास करते हैं।
हिम्मत का मतलब डर का न होना नहीं है, हिम्मत का मतलब तो डर पर काबू पाना है।