व्यवहार
मनुष्यों द्वारा प्रदर्शित किए गए व्यवहारों की श्रेणी
व्यवहार, व्यक्ति के दैनिक जीवन का एक भाग है। व्यवहार-कुशलता अपने आप में एक गुण भी हैं जो इंसान को सफल बनाने में मदत करता है। अच्छे व्यवहार जीवन में लाभ देते है तो बुरे व्यवहार जीवन में हानि पहुँचाते हैं। व्यवहारिक व्यक्ति अधिक प्रसन्नचित्त होते हैं। व्यवहार से व्यक्ति पहचाना जाता है। आपका अपना व्यवहार ही आपका शत्रु भी है और मित्र भी। संसार में सभी सम्बन्ध व्यवहार पर आधारित हैं। अपने व्यवहार से ही आप मित्रों को शत्रु और शत्रुओं को मित्र बना सकते हैं।
उक्तियाँ
सम्पादन- न कश्चित कस्यचित मित्रं न कश्चित कस्यचित रिपुः
- व्यवहारेण जायन्ते मित्राणि रिपवस्तथा॥
- न कोई किसी का मित्र होता है, न कोई किसी का शत्रु। व्यवहार से ही मित्र या शत्रु बनते हैं ।
- सदाचार की रक्षा सबसे पहले करनी चाहिए। क्योकि धन तो आता जाता रहता है उसके न रहने पर सदाचारी कमजोर नहीं माना जाता, किन्तु जिसने सदाचार त्याग दिया, वह तो नष्ट ही होना है। -- विदुर नीति
- न कोई किसी का मित्र है न शत्रु। संसार में व्यवहार से ही लोग मित्र और शत्रु होते रहते हैं। -- नारायण पंडित
- व्यवहार में जो जितना सहज होगा, समझना वह उतना ही महान है। -- ओशो
- किसी मजबूर इंसान का मजाक उड़ाने का ख्याल आये, तो उसके स्थान पर स्वयं को रख कर देखो। -- चाणक्य
- अच्छे बनो, तो मैं गारण्टी करता हूँ कि तुम अकेले रह जाओगे, अर्थात तब कोई तुम्हारी बराबरी न कर सकेगा। -- महात्मा गांधी
- जो मिट्टी भी सोना बनाते है, वही व्यवहारकुशल हैं। -- डिजरायली
- आपकी व्यावहारिकता इस बात पर निर्भर करती है कि आप सामने वाले की विचारों को कितना महत्व देते हैं। -- भर्तृहरि
- किसी आदमी की बुराई-भलाई उस समय तक मालूम नहीं होती जब तक कि वह बातचीत न करे। -- सादी
- अच्छे व्यवहार छोटे-छोटे त्याग से बनते हैं। -- इमर्सन
- जो किसी से द्वेष नहीं करता, उसे किसी प्रकार का भी नहीं होता। ऐसे मनुष्यों को अनेकों सुख स्वमेव मिलते रहते है। -- अथर्ववेद
- मिलने पर मित्र का सम्मान करो, पीठ पीछे प्रशंसा करो, विपत्ति के समय सहयोग करो। -- अरस्तु
- दूसरों के प्रति वैसा व्यवहार कभी मत करो जैसा कि तुम दूसरों से पसंद नहीं करते। -- कन्फ्यूशियस
- मेरा विश्वास है कि वास्तविक महान पुरूष की पहली पहचान उसकी नम्रता है। -- रस्किन
- महान पुरूषों की महानता देखना चाहते हो तो उसके द्वारा उस व्यवहार में देखो जो वह छोटे मनुष्यों के साथ करते हैं। -- कार्लाइल
- असली शिक्षा अपने अंदर की सबसे अच्छी बातों को बाहर निकालना है। मनुष्यता से बढ़कर कोई अच्छी बात नहीं। -- महात्मा गांधी
- सदाचार का त्याग करके किसी ने अपना कल्याण नहीं किया। -- विष्णु पुराण
- सदाचार धर्म उत्पन्न करता है और धर्म से आयु बढ़ती है। -- वेदव्यास
- मित्र का हृदय मजाक में भी नहीं दुखाना चाहिए। -- साइरस
- व्यवहार कुशल होने का यह अर्थ कदापि नहीं है कि आप दूसरों से गलत को सच मनवाने में कितने माहिर हैं। बल्कि इसका अर्थ है कि आप सच की कड़वी दवा को कैसी ख़ूबसूरती से पेश करें, ताकि दूसरा व्यक्ति उसे बिना मुंह विचाकाए स्वयं मुस्कराता हुआ पी जाए। -- स्वामी अमारमुनि
- आपका व्यवहार कसौटी है इस बात का कि आप असल में क्या हैं। -- वेदान्त तीर्थ
- मूर्ख आदमी अनुमति के बिना आता है और अनुमति के बिना बोलने लगता है। वह बड़ा मूर्ख है जो ऐसे व्यक्ति पर विश्वास करता हैं। -- महाभारत
- जिसकी जेब में पैसा न हो, उसकी जुबान में शहद होना चाहिए। -- फ्रांसीसी लोकोक्ति
- किताबी ज्ञान के साथ-साथ व्यवहारिक ज्ञान का होना भी जरूरी होता हैं। -- अज्ञात
- अपने सम्मान, सत्य और मनुष्यता के लिए प्राण देने वाल वास्तविक विजेता होता हैं। -- हरि कृष्ण प्रेमी
- जो मनुष्य जिसके साथ जैसा व्यवहार करे, उसके साथ भी वैसा ही व्यवहार करना चाहिए, यह धर्म है। कपटपूर्ण आचरण करने वाले को वैसे ही आचरण द्वारा दबाना उचित है और सदाचारी को सद्व्यवहार के द्वारा ही अपनाना चाहिए। -- वेदव्यास
- एक व्यवहार बुद्धि सौ अव्यावहारिक बुद्धियों से अच्छी है। -- विष्णु शर्मा
- दूसरों के साथ वही व्यवहार करें जैसा आप अपने लिए चाहते हैं। -- अज्ञात
- मुझे अपने संगी-साथियों के बारें में बताएं, मैं बता दूँगा कि आप कौन है। -- गेटे
- अपने साथियों के साथ शत्रुओं जैसा व्यवहार करने का अर्थ होगा शत्रु के दृष्टिकोण को अपना लेना। -- माओ-त्से-तुंग
- सदा सांत्वनापूर्ण मधुर वचन ही बोले, कभी कठोर वचन नहीं बोलेन। पूजनीय पुरूषों का सत्कार करें। दूसरों को दान दें किन्तु स्वयं कभी किसी से कुछ न मांगे। -- महाभारत
- पिता की सेवा और उनकी आज्ञा का पालन जैसा धर्म दूसरा कोई भी नहीं है। -- वाल्मीकि
- भूल करना मनुष्य की सहज प्रवृत्ति है और भूल-सुधार मानवता का परिचायक। -- नचिकेता
- अपने को पारदर्शी बनाओ तो तुम्हारे अंतर्गत प्रकाशों का प्रकाश और परमात्मा का ज्ञान प्रकाशित होगा। -- स्वामी रामतीर्थ
- व्यवहार छोटा सदाचार है। -- पेव
- मालिक से भी अधिक बुरा है लेनदार। चूंकि मालिक केवल तुम्हारे व्यक्तित्व पर अधिकार रखता है, लेकिन लेनदार तुम्हारी आबरू भी ले सकता है और कभी भी तुम्हें तंग कर सकता है। -- विक्टर ह्यूगो