"भगत सिंह": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति ३:
* प्रेमी, पागल, और कवी एक ही चीज से बने होते हैं। ~ भगत सिंह
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* राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है मैं एक ऐसा पागल हूँ जो जेल में भी आज़ाद है.
पंक्ति १३:
* यदि बहरों को सुनना है तो आवाज़ को बहुत जोरदार होना होगा. जब हमने बम गिराया तो हमारा धेय्य किसी को मारना नहीं था. हमने अंग्रेजी हुकूमत पर बम गिराया था. अंग्रेजों को भारत छोड़ना चाहिए और उसे आज़ाद करना चहिये.
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* इंसान तभी कुछ करता है जब वो अपने काम के औचित्य को लेकर सुनिश्चित होता है, जैसाकि हम विधान सभा में बम फेंकने को लेकर थे.
==कविता==
==बाहरी कडियाँ==
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