"भगत सिंह": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति ७:
* मैं इस बात पर जोर देता हूँ कि मैं महत्त्वाकांक्षा, आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूँ. पर मैं ज़रुरत पड़ने पर ये सब त्याग सकता हूँ, और वही सच्चा बलिदान है. ~ भगत सिंह
* व्यक्तियो को कुचल कर, वे विचारों को नहीं मार सकते। ~ भगत सिंह
* राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है मैं एक ऐसा पागल हूँ जो जेल में भी आज़ाद है.
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