"तेनजिन ग्यात्सो": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति १५:
* हमारी खुशी का स्रोत हमारे ही भीतर है, और यह स्रोत दूसरों के प्रति संवेदना से पनपता है। ~ दलाई लामा
* प्रसन्नता पहले से निर्मित कोई चीज नहीं है.ये आप ही के कर्मों से आती है. ~ दलाई लामा
* यदि आप दूसरों को प्रसन्न देखना चाहते हैं तो करुणा का भाव रखें. यदि आप स्वयम प्रसन्न रहना चाहते हैं तो भी करुणा का भाव रखें.
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