"नरेन्द्र मोदी": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति १७:
==कविता: पतंग==
 
पतंग.. मेरे लिए उ‌र्घ्वगति का उत्सव,
 
मेरा सूर्य की ओर प्रयाण।
 
पतंग.. मेरे जन्म-जन्मांतर का वैभव,
 
मेरी डोर मेरे हाथ में..
पंक्ति ३१:
विहंगम दृश्य सेसा,
 
मेरा पतंग.. अनेक पतंगों के बिच,
 
मेरा पतंग उलझता नहीं..
पंक्ति ३७:
वृक्षों की डालियों में फंसता नहीं..
 
पतंग.. मानो मेरा गायत्री मंत्र,
 
धनवान हो या रंक,