"महावीर": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति १:
==भगवान् महावीर==
 
* शांति और आत्म-नियंत्रण अहिंसा है.है।
* हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया रखो.घृणारखो।घृणा से विनाश होता है.है।
 
* अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है.है।
* हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया रखो.घृणा से विनाश होता है.
* खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है.है।
 
* भगवान् का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है.है। हर कोई सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास कर के देवत्त्व प्राप्त कर सकता है.है।
* अहिंसा सबसे बड़ा धर्म है.
* आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है.है। असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं, वो शत्रु हैं क्रोध, घमंड, लालच,आसक्ति और नफरत.नफरत।
 
* प्रत्येक जीव स्वतंत्र है.है। कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता.करता।
* खुद पर विजय प्राप्त करना लाखों शत्रुओं पर विजय पाने से बेहतर है.
* सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं, और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं.हैं।
 
* एक व्यक्ति जलते हुए जंगल के मध्य में एक ऊँचे वृक्ष पर बैठा है.है। वह सभी जीवित प्राणियों को मरते हुए देखता है.है। लेकिन वह यह नहीं समझता की जल्द ही उसका भी यही हस्र होने वाला है.है। वह आदमी मूर्ख है.है।
* भगवान् का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है. हर कोई सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास कर के देवत्त्व प्राप्त कर सकता है.
* प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है.है। आनंद बाहर से नहीं आता.आता।
 
* आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है. असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं, वो शत्रु हैं क्रोध, घमंड, लालच,आसक्ति और नफरत.
 
* प्रत्येक जीव स्वतंत्र है. कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता.
 
* सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं, और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं.
 
* एक व्यक्ति जलते हुए जंगल के मध्य में एक ऊँचे वृक्ष पर बैठा है. वह सभी जीवित प्राणियों को मरते हुए देखता है. लेकिन वह यह नहीं समझता की जल्द ही उसका भी यही हस्र होने वाला है. वह आदमी मूर्ख है.
 
* प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता.
 
==कविता==
 
 
==बाहरी कडियाँ==
 
* [http://www.gyanipandit.com/bhagwan-mahavir-quotes-in-hindi-with-image/ भगवान् महावीर अनमोल विचार(Hindi Quotes)]