"स्वामी विवेकानन्द": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति १५८:
 
* एक शब्द में, यह आदर्श है कि तुम परमात्मा हो.
 
* उस व्यक्ति ने अमरत्त्व प्राप्त कर लिया है, जो किसी सांसारिक वस्तु से व्याकुल नहीं होता.