"चाणक्य": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति २४:
* हमें भूत के बारे में पछतावा नहीं करना चाहिए, ना ही भविष्य के बारे में चिंतित होना चाहिए; विवेकवान व्यक्ति हमेशा वर्तमान में जीते हैं.
* हर मित्रता के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ होता है.ऐसी कोई मित्रता नहीं जिसमे स्वार्थ ना हो. यह कड़वा सच है.
==कविता==
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