"मोहनदास करमचंद गांधी": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति २७७:
थोडा सा अभ्यास बहुत सारे उपदेशों से बेहतर है.
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पूर्ण धारणा के साथ बोला गया ” नहीं”"नहीं" सिर्फ दूसरों को खुश करने या समस्या से छुटकारा पाने के लिए बोले गए “हाँ” से बेहतर है.
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पूंजी अपने-आप में बुरी नहीं है, उसके गलत उपयोग में ही बुराई है. किसी ना किसी रूप में पूंजी की आवश्यकता हमेशा रहेगी.