"मोहनदास करमचंद गांधी": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति २८३:
मैं मरने के लिए तैयार हूँ, पर ऐसी कोई वज़ह नहीं है जिसके लिए मैं मारने को तैयार हूँ.
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जब मैं निराश होता हूँ , मैं याद कर लेता हूँ कि समस्त इतिहास के दौरान सत्य और प्रेम के मार्ग की ही हमेशा विजय होती है. कितने ही तानाशाह और हत्यारे हुए हैं, और कुछ समय के लिए वो अजेय लग सकते हैं, लेकिन अंत में उनका पतन होता है. इसके बारे में सोचो- हमेशा.
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उपदेश करने से पहले स्वयंखुद के गुण देखने चाहिए.
==बाह्य सूत्र==
{{wikipedia}}