"महावीर": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति १८:
 
* एक व्यक्ति जलते हुए जंगल के मध्य में एक ऊँचे वृक्ष पर बैठा है. वह सभी जीवित प्राणियों को मरते हुए देखता है. लेकिन वह यह नहीं समझता की जल्द ही उसका भी यही हस्र होने वाला है. वह आदमी मूर्ख है.
 
* प्रत्येक आत्मा स्वयं में सर्वज्ञ और आनंदमय है. आनंद बाहर से नहीं आता.
 
==कविता==