"सुभाषित सहस्र": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति २१२:
स्थिति में चट्टान की तरह दृढ़ व ठोस भी बने रहो।<BR>- द्रोणाचार्य</P>
<P>यह सच है कि पानी में तैरनेवाले ही डूबते हैं, किनारे पर खड़े रहनेवाले नहीं,
मगर ऐसे लोग कभी तैरना भी नहीं सीख पाते।<BR>- [http://www.gyanipandit.com/sardar-vallabhbhai-patel-thought-in-hindi/ वल्लभभाई पटेल]</P>
<P>वस्तुतः अच्छा समाज वह नहीं है जिसके अधिकांश सदस्य अच्छे हैं बल्कि वह है जो
अपने बुरे सदस्यों को प्रेम के साथ अच्छा बनाने में सतत् प्रयत्नशील है।<BR>-