"रबिन्द्रनाथ टैगोर": अवतरणों में अंतर
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Hindi quotes (वार्ता | योगदान) '==रबिन्द्रनाथ टैगोर== * आयु सोचती है, जवानी करती है. *...' के साथ नया पृष्ठ बनाया |
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पंक्ति १०:
* मंदिर की गंभीर उदासी से बाहर भागकर बच्चे धूल में बैठते हैं, भगवान् उन्हें खेलता देखते हैं और पुजारी को भूल जाते हैं.
* मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है; ये सिर्फ दीपक को बुझाना है क्योंकि सुबह हो गयी है.
* हर बच्चा इसी सन्देश के साथ आता है कि भगवान अभी तक मनुष्यों से हतोत्साहित नहीं हुआ है
==कविता==
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