"महावीर": अवतरणों में अंतर

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पंक्ति १२:
 
* आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है. असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं, वो शत्रु हैं क्रोध, घमंड, लालच,आसक्ति और नफरत.
 
* प्रत्येक जीव स्वतंत्र है. कोई किसी और पर निर्भर नहीं करता.
 
* सभी मनुष्य अपने स्वयं के दोष की वजह से दुखी होते हैं, और वे खुद अपनी गलती सुधार कर प्रसन्न हो सकते हैं.
 
* एक व्यक्ति जलते हुए जंगल के मध्य में एक ऊँचे वृक्ष पर बैठा है. वह सभी जीवित प्राणियों को मरते हुए देखता है. लेकिन वह यह नहीं समझता की जल्द ही उसका भी यही हस्र होने वाला है. वह आदमी मूर्ख है.
 
==कविता==