"महावीर": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary |
|||
पंक्ति १०:
* भगवान् का अलग से कोई अस्तित्व नहीं है. हर कोई सही दिशा में सर्वोच्च प्रयास कर के देवत्त्व प्राप्त कर सकता है.
* आपकी आत्मा से परे कोई भी शत्रु नहीं है. असली शत्रु आपके भीतर रहते हैं, वो शत्रु हैं क्रोध, घमंड, लालच,आसक्ति और नफरत.
==कविता==
|