"सुभाषित सहस्र": अवतरणों में अंतर

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जीवन को इस रूप में देखता है, मृत्यु के भय से मुक्त रहता है।<BR>- बर्ट्रेंड
रसेल</P>
<P>हर साल मेरे लिये महत्वपूर्ण है। आज भी मुझ में पूरा जोश है। मुझे महसूस होता है
कि अब भी मैं २५ वर्ष की हूं। मेरे विचार आज भी एक युवा की तरह हैं। मैं आज भी
चीज़ों को जानने के प्रति मेरी उत्सुक्ता बनी रहती है। इसलिये मैं यही कहूंगी कि
जवां महसूस करना अच्छा लगता है।<BR>(लता मंगेशकर, अपने ७६वें जन्म दिवस पर)
काव्यादर्श</P>
<P>बड़ा हुआ तो क्या हुआ जैसे लम्ब खजूर।<BR>पंथी को छाया नहीं फल लागैं अति
दूर।।<BR>——रहीम</P>
<P>कबिरा यह तन खेत है, मन, बच, करम किसान।<BR>पाप, पुन्य दुइ बीज हैं, जोतैं, बवैं
सुजान।।<BR>—-सन्त कबीर</P>