"भारत": अवतरणों में अंतर
दक्षिण एशिया में संप्रभु देश
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१०:१४, १५ जुलाई २०११ का अवतरण
- गायन्ति देवा
- किल गीतकानि धान्यास्तु ये भारतभूमिभागे।
- स्वर्गापवर्गास्पदहेतुभूते भवन्ति भूय
- पुरुषा: सुरत्वात्।।
– अर्थात् स्वर्ग और अपवर्ग (मोक्ष-कैवल्य) के मार्ग स्वरूप भारत-भूमि को धन्य धन्य कहते हुए देवगण इसका शौर्य-गान गाते हैं। यहां पर मनुश्य जन्म पाना देवत्व पद प्राप्त करने से भी बढकर है।
- एत देश प्रसूतस्य सकाशादग्र जन्मन
- ।
- स्वं स्वं चरित्र शिक्षेरन् पृथिव्यां सर्व मानवा
- ।।
अर्थात एस देश में उत्पन्न अग्रजन्मा महापुरुषों के पास बैठ कर संसार भर के मानव अपने-अपने चरित्र की शिक्षा ग्रहण करें। क्योंकि यह “विश्व-गुरू” है।
- यूनान मिश्र रोमन, सब मिट गए जहां से,
- बाकी मगर है अब तक, नामो निशां हमारा
- कुछ बात है कि हस्ती, मिटती नहीं हमारी
- सदियों रहा है दुश्मन, दौर ए जहां हमारा
-- मुहम्मद इक़बाल